मोदी सरकार (Modi Government) ने 11 मार्च को नागरिकता संशोधन कानून 2019 (CAA) को देश में लागू कर दिया है. CAA के आने के बाद मुंबई में मुस्लिम समाज के कुछ लोग असमंजस में हैं. उन्हें इस बात का खौफ है कि CAA के बाद नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स यानी NRC भी जल्द लागू किया जा सकता है. ऐसे में मुस्लिम समुदाय (Muslim Community) के लोग इन दिनों अपने कागजात जुटाने और उनमें छोटी-मोटी गलतियों को सही कराने में लगे हुए हैं. जानकारी के मुताबिक, अब तक 40 हजार लोग अपने डॉक्युमेंटेशन पर करेक्शन करवा चुके हैं. कुछ लोग कागजात के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर भी लगा रहे हैं.
120 वर्ग फुट के मुंबई के नागपाड़ा स्थित जाने-माने वकील नदीम सिद्दीक़ी के दफ्तर में इन दिनों हमेशा भीड़ लगी रहती है. ज्यादातर लोग एक ही समुदाय से हैं. हर रोज करीब 200 लोग अपने कागजातों की खामियां ठीक कराने पहुंच रहे हैं. NDTV ने ऐसे ही कुछ लोगों से बात की.
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इमरान अंसारी करीब 40 साल से मुंबई में बसे हैं. वो कहते हैं कि अगर CAA और NRC पर विरोध की जगह नेता कागजातों को लेकर समुदाय को जागरूक करते, तो गलतफहमियां नहीं होती. इमरान अंसारी ने NDTV से कहा, “नेताओं ने लोगों को बहकाया. CAA और NRC का विरोध करवाया. अगर वो कहते कि कागजात में गड़बड़ियों को ठीक कर लो, तो CAA और NRC का इतना विरोध होता ही नहीं." वो कहते हैं, "जो बरसों से किसी जगह रह रहा है, उनके पास तो किसी ना किसी तरह के कागजात होंगे ही. अगर दस्तावेजों में गड़बड़ियां हैं, तो ठीक करवाइए. सरकार क्यों निकालेगी आपको?"
वकील नदीम सिद्दीकी ने NDTV से कहा, "पहले 40-50 लोग दस्तावेज बनवाने या उनमें गड़बड़ियां ठीक कराने आते थे. अब रोजाना करीब 200 लोग आ रहे हैं. सरकार की नीयत को लेकर ऐसा माहौल है कि कहीं इनकी नागरिकता ना चली जाए. लिहाजा ये लोग अपने-अपने कागजात को दुरुस्त करा रहे हैं."
CAA क्या है?
CAA यानी नागरिकता संशोधन कानून. ये 11 मार्च 2024 को देश में लागू किया जा चुका है. CAA के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर-हिंदुओं को भारत की नागरिकता दी जाएगी. इस कानून के जरिए इन देशों से आए हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी समुदाय के लोगों को भारत की नागरिकता दिए जाने का प्रावधान है. संसद के दोनों सदनों से CAA विधेयक को 11 दिसंबर, 2019 में पारित किया गया था. यह कानून उन लोगों पर लागू होगा, जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए थे.
NRC क्या है और इसकी जरूरत क्यों पड़ी?
नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स बिल एक रजिस्टर है, जिसमें भारत में रह रहे सभी वैध नागरिकों का रिकॉर्ड रखा जाएगा. NRC की शुरुआत 2013 में सुप्रीम कोर्ट की देख-रेख में असम में हुई थी. वर्तमान में असम के अलावा ये अन्य किसी भी राज्य में ये लागू नहीं है.
भारत का वैध नागरिक साबित करने के लिए चाहिए ये कागजात
भारत का वैध नागरिक साबित होने के लिए व्यक्ति के पास आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र, पासपोर्ट, सिटिजनशिप सर्टिफिकेट, रिफ्यूजी रजिस्ट्रेशन या सरकार के द्वारा जारी कोई वैध पहचान और स्थाई पता का प्रूफ होना चाहिए. इस प्रक्रिया के लिए 1986 में सिटीजनशिप एक्ट में संशोधन कर असम के लिए विशेष प्रावधान किया गया. इसके तहत रजिस्टर में उन लोगों के नाम शामिल किए गए हैं, जो 25 मार्च 1971 के पहले असम के नागरिक हैं या उनके पूर्वज राज्य में रहते आए हैं.
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