मुल्लापेरियार बांध (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के इस आग्रह पर केरल की प्रतिक्रिया पूछी कि मुल्लापेरियार बांध की सुरक्षा का जिम्मा सीआईएसएफ के सुपुर्द किया जाए।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एचएल दत्तू की अगुवाई वाली पीठ ने तमिलनाडु के आग्रह पर नोटिस जारी किया। इस आग्रह में यह भी कहा गया है कि केरल सरकार को नए बांध के निर्माण के लिए पर्यावरण एवं वन विभाग से पर्यावरण मंजूरी हासिल करने की अनुमति न दी जाए।
तमिलनाडु ने अपने एक आवेदन में अदालत से यह आदेश देने का आग्रह किया था कि केरल को उसके नए प्रस्तावित बांध के लिए स्थल पर पर्यावरण प्रभाव का आकलन करने से रोका जाए।
पीठ को तमिलनाडु सरकार के वकील ने बताया कि मामले के पूर्ववर्ती फैसले के अनुसार, स्थल पर कोई भी नए बांध का निर्माण दोनों राज्यों की सहमति से ही किया जा सकता है। पीठ में न्यायमूर्ति अमिताव राय और न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा भी हैं।
तमिलनाडु सरकार ने 20 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर केरल में मुल्लापेरियार बांध की सुरक्षा के लिए सीआईएसएफ को तैनात किए जाने की मांग की थी। बांध की सुरक्षा का कार्य फिलहाल केरल सरकार देख रही है।
केरल सरकार ने भी एक आवेदन दाखिल कर 5 मई, 2014 को दिए गए फैसले पर स्पष्टीकरण मांगा, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने बांध का जल संग्रह स्तर बढ़ाकर 142 फुट करने की अनुमति दी थी।
बहरहाल, राज्य ने बाद में यह कहते हुए आवेदन वापस ले लिया कि वह तीन-सदस्यीय मुल्लापेरियार समिति के समक्ष जाएगा। पीठ ने आवेदन वापस लेने का यह आग्रह स्वीकार कर लिया, जिसमें केरल ने तर्क दिया था कि पानी के संग्रह का स्तर तब तक 142 फुट तक न बढ़ाया जाए, जब तक कि बांध के सभी 13 'स्पिलओवर गेट' काम नहीं करने लगते। केरल का तर्क था कि फैसले के समय केवल 12 'स्पिलओवर गेट' ही काम कर रहे थे।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एचएल दत्तू की अगुवाई वाली पीठ ने तमिलनाडु के आग्रह पर नोटिस जारी किया। इस आग्रह में यह भी कहा गया है कि केरल सरकार को नए बांध के निर्माण के लिए पर्यावरण एवं वन विभाग से पर्यावरण मंजूरी हासिल करने की अनुमति न दी जाए।
तमिलनाडु ने अपने एक आवेदन में अदालत से यह आदेश देने का आग्रह किया था कि केरल को उसके नए प्रस्तावित बांध के लिए स्थल पर पर्यावरण प्रभाव का आकलन करने से रोका जाए।
पीठ को तमिलनाडु सरकार के वकील ने बताया कि मामले के पूर्ववर्ती फैसले के अनुसार, स्थल पर कोई भी नए बांध का निर्माण दोनों राज्यों की सहमति से ही किया जा सकता है। पीठ में न्यायमूर्ति अमिताव राय और न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा भी हैं।
तमिलनाडु सरकार ने 20 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर केरल में मुल्लापेरियार बांध की सुरक्षा के लिए सीआईएसएफ को तैनात किए जाने की मांग की थी। बांध की सुरक्षा का कार्य फिलहाल केरल सरकार देख रही है।
केरल सरकार ने भी एक आवेदन दाखिल कर 5 मई, 2014 को दिए गए फैसले पर स्पष्टीकरण मांगा, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने बांध का जल संग्रह स्तर बढ़ाकर 142 फुट करने की अनुमति दी थी।
बहरहाल, राज्य ने बाद में यह कहते हुए आवेदन वापस ले लिया कि वह तीन-सदस्यीय मुल्लापेरियार समिति के समक्ष जाएगा। पीठ ने आवेदन वापस लेने का यह आग्रह स्वीकार कर लिया, जिसमें केरल ने तर्क दिया था कि पानी के संग्रह का स्तर तब तक 142 फुट तक न बढ़ाया जाए, जब तक कि बांध के सभी 13 'स्पिलओवर गेट' काम नहीं करने लगते। केरल का तर्क था कि फैसले के समय केवल 12 'स्पिलओवर गेट' ही काम कर रहे थे।
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