फाइल फोटो
नई दिल्ली:
मध्य प्रदेश के मंदसौर ज़िले में जिन पांच किसानों की जान गई है वो पुलिस द्वारा की गई गोलीबारी में मारे गए थे. ये बात मध्य प्रदेश सरकार ने अपनी रिपोर्ट में लिखकर केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी है. मंत्रालय को राज्य सरकार ने ये भी बताया गया है कि किसानों का विरोध प्रदर्शन अब सात जिलों में पहुंच चुका है. मंदसौर, नीमच, धार, रतलाम, देवास, शाजापुर और सिहोर. मंत्रालय का अनुमान है कि ये हिंसा न सिर्फ़ मध्य प्रदेश बल्कि और राज्यों में भी फैल सकती है, इसलिए राज्य सरकार को सख़्त क़दम उठाने के लिए भी कहा गया है. मंत्रालय ने राज्य सरकार से इस बारे में भी विस्तृत जानकारी देने को कहा है कि किन हालात में पुलिस ने किसानों पर फ़ायरिंग की. हालाकि शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक़ गुस्साई भीड़ पुलिस स्टेशन पर हमला करने वाली थी जब पुलिस ने फ़ायरिंग की. बहरहाल अपनी रिपोर्ट में राज्य सरकार ने पूरा विवरण दिया है कि किस तरह हालात 5-6 जून को ख़राब होते चले गए.
रिपोर्ट में लिखा है कि 5 जून को किसानों ने बाज़ार बंद का आह्वान किया था. जिसके चलते कई इलाक़ों में चक्का जाम से लेकर हिंसा भी हुई, रेलवे की संपत्ति को भी नुक़सान पहुंचाया गया. रिपोर्ट में लिखा है, "मंदसौर जिले के भानपुरा पुलिस स्टेशन की हद में चक्का जाम के दौरान रेल लाइन और रेल गाड़ियों को नुक़सान पहुंचाया गया." अगले दिन यानी 6 जून को किसानों ने फिर धरना दिया. भीड़ जब हिंसा पर उतर आई तो उन्हें रोकने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले भीड़ पर छोड़े और फिर उनपर लाठीचार्ज भी किया.
पीपलिया मंडी के बीच को महू-नीमच हाईवे पड़ता है. उग्र भीड़ ने उसे भी बंद कर दिया. कुछ लोगों ने आगज़नी भी की. रिपोर्ट बताती है की 25 ट्रक और 2 पुलिस की गाड़ियां इस भीड़ ने जला दीं. दोपहर 2-3 बजे जब पत्थरबाज़ी होने लगी तब भीड़ को क़ाबू करने के लिए पुलिस ने फ़ायरिंग की जिसमें पांच किसान मारे गए और 8 ज़ख़्मी हुए.
अब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उस पुलिस दल की जानकारी मांगी है जिन्होंने गोली चलाई. बताया जाता है की CRPF ने पहली गोली चलाई. उधर कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मंदसौर ना जाने देने के बारे में केन्द्रीय गृहमंत्रालय के एक उच्च अधिकारी ने एनडीटीवी इंडिया को बताया कि ये फ़ैसला राज्य सरकार का था. अधिकारी का कहना था, "राज्य सरकार का मानना था कि राहुल गांधी के उन इलाक़ों में जाने से हिंसा दुबारा भड़क सकती थी इसलिए उन्हें नहीं जाने दिया गया."
दरअसल भाजपा सरकार ये आरोप लगा रही है कि हिंसा को बढ़ावा देने के पीछे कांग्रेस का हाथ है. केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी इस ओर इशारा किया. राजनाथ ने चेतावनी दी, "जो लोग शरारत कर रहे हैं वो संभल जाएं."
रिपोर्ट में लिखा है कि 5 जून को किसानों ने बाज़ार बंद का आह्वान किया था. जिसके चलते कई इलाक़ों में चक्का जाम से लेकर हिंसा भी हुई, रेलवे की संपत्ति को भी नुक़सान पहुंचाया गया. रिपोर्ट में लिखा है, "मंदसौर जिले के भानपुरा पुलिस स्टेशन की हद में चक्का जाम के दौरान रेल लाइन और रेल गाड़ियों को नुक़सान पहुंचाया गया." अगले दिन यानी 6 जून को किसानों ने फिर धरना दिया. भीड़ जब हिंसा पर उतर आई तो उन्हें रोकने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले भीड़ पर छोड़े और फिर उनपर लाठीचार्ज भी किया.
पीपलिया मंडी के बीच को महू-नीमच हाईवे पड़ता है. उग्र भीड़ ने उसे भी बंद कर दिया. कुछ लोगों ने आगज़नी भी की. रिपोर्ट बताती है की 25 ट्रक और 2 पुलिस की गाड़ियां इस भीड़ ने जला दीं. दोपहर 2-3 बजे जब पत्थरबाज़ी होने लगी तब भीड़ को क़ाबू करने के लिए पुलिस ने फ़ायरिंग की जिसमें पांच किसान मारे गए और 8 ज़ख़्मी हुए.
अब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उस पुलिस दल की जानकारी मांगी है जिन्होंने गोली चलाई. बताया जाता है की CRPF ने पहली गोली चलाई. उधर कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मंदसौर ना जाने देने के बारे में केन्द्रीय गृहमंत्रालय के एक उच्च अधिकारी ने एनडीटीवी इंडिया को बताया कि ये फ़ैसला राज्य सरकार का था. अधिकारी का कहना था, "राज्य सरकार का मानना था कि राहुल गांधी के उन इलाक़ों में जाने से हिंसा दुबारा भड़क सकती थी इसलिए उन्हें नहीं जाने दिया गया."
दरअसल भाजपा सरकार ये आरोप लगा रही है कि हिंसा को बढ़ावा देने के पीछे कांग्रेस का हाथ है. केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी इस ओर इशारा किया. राजनाथ ने चेतावनी दी, "जो लोग शरारत कर रहे हैं वो संभल जाएं."
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