एडमिरल सुनील लांबा (फाइल फोटो).
नई दिल्ली:
हिंद महासागर में समुद्री डकैती रोकने के नाम पर चीनी पनडुब्बियों का मूवमेंट अजीब है. यह सुरक्षा की दृष्टि से एक खतरा हो सकता है. इसे इसी रूप में देखना चाहिए. नौसेना प्रमुख सुनील लांबा ने यह बात कही है.
नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने कहा कि ''हिंद महासागर इलाके में चीन की पनडुब्बियों की मौजूदगी चिंता का विषय तो है लेकिन चीन की इन पनडुब्बियों का पाकिस्तान और श्रीलंका के करीब डिप्लॉयमेंट 2013 से शुरू हुआ है. हर साल दो पनडुब्बी इस इलाके में मूवमेंट करती हैं. इस पैटर्न में कोई परिवर्तन नहीं देखा गया है. नौसेना प्रमुख ने यह भी कहा कि समुद्री डकैती रोकने के नाम पर पनडुब्बियों का मूवमेंट अजीब है और इस पर हमारी नजर है.''
यह भी पढ़ें : चीन से परमाणुशक्ति-चालित लड़ाकू पनडुब्बी हासिल कर सकता है पाकिस्तान : NDTV एक्सक्लूसिव
लांबा ने कहा कि ''हम निगरानी कर रहे हैं कि वे कहां जा रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि यदि भविष्य में पाकिस्तान के ग्वादर से पीएलए नेवी के जहाज़ ऑपरेट होते हैं तो यह सुरक्षा के लिहाज़ से एक ख़तरा है और हमको इसको इसी रूप में देखना चाहिए. नौसेना प्रमुख के मुताबिक नौसेना अदन की खाड़ी से लेकर मलक्का तक और सुंदा से लेकर लुंबोक तक के इलाके पर चौबीसों घंटे नजर रखे हुए है.''
यह भी पढ़ें : चीन की चाल! हिंद महासागर में 'समुद्री डाकुओं' से लड़ने गया चीनी युद्धपोत मलेशिया में आया नजर
हिंद महासागर सहित दूसरे इलाकों में चीन और दूसरे देशों पर काबू रखने के लिए भारत परमाणु ताकत से लैस छह पनडुब्बी बना रहा है. इसके बारे में एडमिरल लांबा ने बस इतना ही कहा कि यह कार्यक्रम शुरू हो गया है. फिलहाल भारत के पास रूस से लिया गया आईएनएस चक्र और अरिहंत पनडुब्बी है. इसमें से पनडुब्बी चक्र सोनार हादसे की शिकार हुई, इसकी मरम्मत की जा रही है. वहीं अरिहंत को लेकर नौसेना प्रमुख ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. देश में बनी स्कार्पीन क्लास की कलवरी पनडुब्बी को जल्द ही नौसेना में शामिल कर लिया जाएगा. इसका सी ट्रायल का काम लगभग पूरा हो चुका है.
VIDEO : स्कार्पिन का डाटा लीक
दूसरी पनडुब्बी खांदेरी का भी सी ट्रायल चल रहा है. नौसेना प्रमुख ने देश में बने लाइट कॉम्बेट एयरक्रॉफ्ट तेजस को लेकर उठे सवाल पर कहा कि हमारा पहला स्वदेशी विमान वाहक पोत विक्रांत 2020 तक शामिल हो जाएगा लेकिन अभी तक तेजस इस लायक नहीं है कि वह विमानवाहक पोत के टेक से ऑपरेट कर सकें. नौसेना दिवस से पहले एडमिरल सुनील लांबा ने कहा कि हम देशवासियों को यह भरोसा दिलाना चाहते हैं कि भारतीय नौसेना हर समय देश की समुद्री सीमा की रक्षा के लिए तैयाार है.
नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने कहा कि ''हिंद महासागर इलाके में चीन की पनडुब्बियों की मौजूदगी चिंता का विषय तो है लेकिन चीन की इन पनडुब्बियों का पाकिस्तान और श्रीलंका के करीब डिप्लॉयमेंट 2013 से शुरू हुआ है. हर साल दो पनडुब्बी इस इलाके में मूवमेंट करती हैं. इस पैटर्न में कोई परिवर्तन नहीं देखा गया है. नौसेना प्रमुख ने यह भी कहा कि समुद्री डकैती रोकने के नाम पर पनडुब्बियों का मूवमेंट अजीब है और इस पर हमारी नजर है.''
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लांबा ने कहा कि ''हम निगरानी कर रहे हैं कि वे कहां जा रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि यदि भविष्य में पाकिस्तान के ग्वादर से पीएलए नेवी के जहाज़ ऑपरेट होते हैं तो यह सुरक्षा के लिहाज़ से एक ख़तरा है और हमको इसको इसी रूप में देखना चाहिए. नौसेना प्रमुख के मुताबिक नौसेना अदन की खाड़ी से लेकर मलक्का तक और सुंदा से लेकर लुंबोक तक के इलाके पर चौबीसों घंटे नजर रखे हुए है.''
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हिंद महासागर सहित दूसरे इलाकों में चीन और दूसरे देशों पर काबू रखने के लिए भारत परमाणु ताकत से लैस छह पनडुब्बी बना रहा है. इसके बारे में एडमिरल लांबा ने बस इतना ही कहा कि यह कार्यक्रम शुरू हो गया है. फिलहाल भारत के पास रूस से लिया गया आईएनएस चक्र और अरिहंत पनडुब्बी है. इसमें से पनडुब्बी चक्र सोनार हादसे की शिकार हुई, इसकी मरम्मत की जा रही है. वहीं अरिहंत को लेकर नौसेना प्रमुख ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. देश में बनी स्कार्पीन क्लास की कलवरी पनडुब्बी को जल्द ही नौसेना में शामिल कर लिया जाएगा. इसका सी ट्रायल का काम लगभग पूरा हो चुका है.
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दूसरी पनडुब्बी खांदेरी का भी सी ट्रायल चल रहा है. नौसेना प्रमुख ने देश में बने लाइट कॉम्बेट एयरक्रॉफ्ट तेजस को लेकर उठे सवाल पर कहा कि हमारा पहला स्वदेशी विमान वाहक पोत विक्रांत 2020 तक शामिल हो जाएगा लेकिन अभी तक तेजस इस लायक नहीं है कि वह विमानवाहक पोत के टेक से ऑपरेट कर सकें. नौसेना दिवस से पहले एडमिरल सुनील लांबा ने कहा कि हम देशवासियों को यह भरोसा दिलाना चाहते हैं कि भारतीय नौसेना हर समय देश की समुद्री सीमा की रक्षा के लिए तैयाार है.
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