(प्रतीकात्मक तस्वीर)
मुंबई:
पश्चिम रेलवे (डब्ल्यूआर) ने उन खबरों का खंडन किया है जिनमें कहा गया था कि मुंबई-अहमदाबाद खंड की सभी ट्रेनों में 40 फीसदी सीटें खाली रहती हैं और यह दावा भी किया कि इन ट्रेनों में 100 फीसदी से अधिक सीटें भरी रहती हैं. रेल मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट किया, ‘मीडिया रिपोर्टों के विपरीत मुंबई-अहमदाबाद ट्रेन खंड पर चलने वाली ट्रेनों में यात्रियों की तादाद क्षमता से 100 फीसदी से भी अधिक होती है और बुलेट ट्रेन से इसे जबरदस्त लाभ पहुंचेगा.’ एक बयान में पश्चिम रेलवे ने कहा कि मुंबई एवं अहमदाबाद के बीच चलने वाली ट्रेनों में 40 फीसदी सीटें खाली रहने से संबद्ध रिपोर्ट पर वह स्पष्ट करना चाहता है कि इस खंड में बीते तीन महीने में पश्चिम रेलवे को 30 करोड़ रुपये का घाटा वहन करने की बात में तथ्यात्मक सच्चाई नहीं है जबकि हकीकत में इस खंड में 100 फीसदी से अधिक सीटें भरी रहती हैं.
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गोयल ने ट्विटर पर पश्चिम रेलवे का बयान भी पोस्ट किया. पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (सीपीआरओ) रवींद्र भाकड़ ने कहा, ‘रिपोर्टों के विपरीत उक्त तीन महीने में इस खंड से पश्चिम रेलवे की कुल कमाई 233 करोड़ रुपए रही.’ इससे पहले शहर के रहने वाले आरटीआई (सूचना का अधिकार) कार्यकर्ता अनिल गलगली ने सूचना के तहत प्राप्त जानकारी का हवाला दावा करते हुए कहा था कि पश्चिम रेलवे की वास्तविक कमाई और कमाई की संभावना में 29 करोड़ रुपए का फर्क है क्योंकि मुंबई -अहमदाबाद खंड से गुजरने वाली ट्रेनों में 40 फीसदी सीटें खाली रहती हैं. गलगली ने बुलेट ट्रेन परियोजना को लेकर भी चिंता जाहिर की थी और कहा था कि यह वित्तीय तौर पर और साथ ही आम आदमी के दृष्टिकोण से ‘कोई व्यवहारिक विकल्प’ नहीं है.
VIDEO : बुलेट ट्रेन : कितना ज़रूरी, कितना दिखावा?
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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गोयल ने ट्विटर पर पश्चिम रेलवे का बयान भी पोस्ट किया. पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (सीपीआरओ) रवींद्र भाकड़ ने कहा, ‘रिपोर्टों के विपरीत उक्त तीन महीने में इस खंड से पश्चिम रेलवे की कुल कमाई 233 करोड़ रुपए रही.’ इससे पहले शहर के रहने वाले आरटीआई (सूचना का अधिकार) कार्यकर्ता अनिल गलगली ने सूचना के तहत प्राप्त जानकारी का हवाला दावा करते हुए कहा था कि पश्चिम रेलवे की वास्तविक कमाई और कमाई की संभावना में 29 करोड़ रुपए का फर्क है क्योंकि मुंबई -अहमदाबाद खंड से गुजरने वाली ट्रेनों में 40 फीसदी सीटें खाली रहती हैं. गलगली ने बुलेट ट्रेन परियोजना को लेकर भी चिंता जाहिर की थी और कहा था कि यह वित्तीय तौर पर और साथ ही आम आदमी के दृष्टिकोण से ‘कोई व्यवहारिक विकल्प’ नहीं है.
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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