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This Article is From Oct 03, 2019

मोदी-शी बैठक: चीनी राष्ट्रपति के स्वागत के लिए बैनर लगाने की मिली अनुमति, बॉलीवुड एक्टर ने किया यह ट्वीट

अदालत ने कहा कि दोनों गणमान्य व्यक्तियों के स्वागत में बैनर लगाये जाने पर उसे कोई आपत्ति नहीं है.

मोदी-शी बैठक: चीनी राष्ट्रपति के स्वागत के लिए बैनर लगाने की मिली अनुमति, बॉलीवुड एक्टर ने किया यह ट्वीट
कोर्ट ने महिला इंजीनियर की मौत के बाद सड़क किनारे बैनर लगाने पर प्रतिबंध लगाया था
चेन्नई:

मद्रास हाईकोर्ट ने अगले सप्ताह चेन्नई में पीएम नरेंद्र मोदी एवं चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच होने वाली अनौपचारिक बैठक के लिये तमिलनाडु और केंद्र सरकार को दोनों नेताओं के स्वागत में बैनर लगाने की बृहस्पतिवार को अनुमति दे दी. अदालत ने कहा कि दोनों गणमान्य व्यक्तियों के स्वागत में बैनर लगाये जाने पर उसे कोई आपत्ति नहीं है. अदालत ने इससे पहले एक महिला इंजीनियर की मौत के बाद सड़क किनारे बैनर लगाने पर प्रतिबंध लगाया था और उसके आदेशों को प्रभावी तरीके से लागू नहीं करने पर सरकार की खिंचाई की थी. न्यायमूर्ति एम सत्यनारायणन और न्यायमूर्ति एन सेशासयी की खंडपीठ ने हालांकि यह स्पष्ट किया कि ऐसे बैनरों को लगाने के संदर्भ में राज्य को मौजूदा सभी नियमों का पालन करना होगा. पीठ ने यह भी कहा कि किसी भी राजनीतिक दल को इस तरह के बैनर लगाने की इजाजत नहीं होगी. 

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राज्य सरकार ने मल्लपुरम में होने वाली मोदी और शी चिनफिंग की मुलाकात से पहले बैनर लगाने के लिये मंगलवार को अदालत से इस संबंध में अनुमति देने का अनुरोध किया था. मल्लपुरम यहां से 50 किलोमीटर दूर है जहां मोदी एवं चिनफिंग की 11-13 अक्टूबर को अनौपचारिक बैठक होने वाली है. दोनों नेताओं के बीच यह ऐसी दूसरी अनौपचारिक बैठक होगी. नगर निगम प्रशासन के आयुक्त और अधिकारियों की ओर से दायर याचिका पर हालांकि अदालत ने समूचे राज्य में ऐसे ढांचे लगाने की अनुमति नहीं दी. याचिकाकर्ता ने बताया था कि मोदी और चिनफिंग पर्यटन शहर में द्विपक्षीय वार्ता करेंगे. याचिकाकर्ता ने कहा कि आगंतुक गणमान्य व्यक्तियों के स्वागत में बैनर लगाना विदेश मंत्रालय की परंपरा रही है. उसने बताया कि राज्य एवं केंद्र सरकारों ने शीर्ष गणमान्य अतिथियों के स्वागत में निश्चित स्थानों पर बैनर लगाने का प्रस्ताव दिया था, जिस पर याचिकाकर्ता ने अदालत से इस प्रस्ताव पर उपयुक्त आदेश देने का अनुरोध किया था. 

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मक्कल निधि मैयम के संस्थापक कमल हासन ने सरकार के इस कदम पर बुधवार को प्रतिक्रिया देते हुए मोदी एवं शी चिनफिंग के स्वागत में बैनर लगाने के लिये अदालत से मंजूरी का अनुरोध करने से संबंधित इस कदम की आलोचना की थी. अभिनेता से नेता बने हासन ने मोदी से ‘‘एक अगुवा के तौर पर कार्य करने'' और ‘‘बैनर संस्कृति'' को खत्म करने की अपील की. इससे पहले अदालत ने 23 वर्षीय इंजीनियर सुभाश्री की मौत के बाद अवैध होर्डिंग को लगाने के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को फटकार लगायी थी. अवैध होर्डिंग के खिलाफ सख्त रुख दिखाते हुए अदालत ने हैरानी जतायी, ‘‘राज्य सरकार को सड़कों को खून से रंगने के लिये और कितने लीटर खून की जरूरत है.''

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27 सितंबर को हुई घटना के सिलसिले में पुलिस ने सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक के स्थानीय स्तर के एक पदाधिकारी जयगोपाल को पकड़ा था और उसके खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया. वह करीब दो हफ्ते से गिरफ्तारी से बच रहा था. अन्नाद्रमुक के पदाधिकारी द्वारा लगायी गयी अवैध होर्डिंग के नीचे से गुजर रही लड़की पर यह होर्डिंग गिर गयी थी जिससे वह सड़क पर गिर गयी, तभी एक लॉरी ने उसे कुचल दिया जिससे उसकी मौत हो गयी. यह होर्डिंग जयगोपाल ने यहां पल्लीकरनई के पास एक हॉल में अपने बेटे की शादी के उपलक्ष्य में लगाया था और इसके लिये उसने नगर निगम अधिकारियों से अनुमति नहीं ली थी. उसकी मौत के बाद आक्रोश भड़कने पर राजनीतिक दलों ने अपने-अपने संबंधित काडर को ऐसे होर्डिंग और बैनर नहीं लगाने का आदेश दिया था. कोयंबटूर में 2017 में ऐसी ही एक घटना में एमजीआर के शताब्दी समारोह के लिये लगायी गयी एक अवैध होर्डिंग से टकराकर 32 वर्षीय एक इंजीनियर रघुनाथ की मौत हो गयी थी.  

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