लोकसभा में बड़ी जीत के बाद अब सरकार ने अपने कार्यकाल के पहले सौ दिन के लिए एक एक्शन प्लान तैयार करना शुरू कर दिया है. PMO ने सभी मंत्रालयों से कहा है कि वे अपनी प्राथमिकताएं तय करें...और पहली मोदी सरकार के अपूर्ण एजेंडे को आगे बढ़ाने की रणनीति बनाएं.
पीएमओ के सूत्र बता रहे हैं कि 31 मई को ही कैबिनेट की पहली बैठक होगी. यानी शपथ ग्रहण के साथ ही सरकार हरकत में आ जाएगी. नई मोदी सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता होगी भारत को 5 ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था बनाना जिसके तहत बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 100 लाख करोड़ रुपये ख़र्च का लक्ष्य है. कृषि और ग्रामीण क्षेत्र में 25 लाख करोड़ लगाए जाएंगे. 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का घोषित लक्ष्य पुराना है. भारत को ग्लोबल स्टार्ट-अप हब बनाया जाना है.
लोकसभा का पहला सत्र 6 से 15 जून तक चलने की संभावना, कैबिनेट की बैठक 31 मई को
नीति आयोग की विशेषज्ञों की लैंड समिति के चैयरमैन, टी हक ने एनडीटीवी से कहा, "सबसे बड़ी चिंता का विषय है अर्थव्यवस्था में स्लोडाउन, विशेषकर MSME सेक्टर में ... एग्रीकल्चर सेक्टर में 10% ग्रोथ के लिए एनुअल इनवेस्टमेंट 14% से 15% तक बढ़ाना होगा.इसके लिए नया रिसोर्स मोबिलाइजेशन की रणनीति बनानी होगी, टैक्स बढ़ाना होगा, सेस बढ़ाना होगा, सब्सिडी कोऔर रेशनलाइज करना होगा."
सरकार के एजेंडे पर दिल्ली और एनसीआर का इलाका भी है. नज़र 2020 के विधानसभा चुनावों पर है. दक्षिणी दिल्ली से नव-निर्वाचित सांसद रमेश बिधुड़ी ने एनडीटीवी से कहा, "पीएम मोदी ने कहा है कि अगले पांच साल में दिल्ली के हर घर में पेयजल की सप्लाई पाइपलाइन के जरिेए हम कराएंगे. केजरीवाल सरकार की वजह से दिल्ली मेट्रो का चौथा फेज 2016 से लागू करने में देर हुई. हमारी प्राथमिकता होगी चौथे फेज का दिल्ली मेट्रो का काम पूरा करना.इ सभी एजेंडा को लागू करने के लिए हम अगले 100 दिन का एक प्लान बनाएंगे.
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एनडीए ने 5 ट्रिलियन का लक्ष्य ऐसे समय रखा है जब आर्थिक चुनौतियां बड़ी होती दिख रही हैं. इस बड़े लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार को टैक्स बढ़ाने जैसे अलोकप्रिय फ़ैसले भी करने पड़ सकते हैं. सवाल है, क्या सरकार के पास ये राजनीतिक इच्छा शक्ति है?
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