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"लद्दाख से किए वादे नहीं निभा रही मोदी सरकार..." : सोनम वांगचुक ने दी आमरण अनशन की चेतावनी

सोनम वांगचुक ने कहा कि लद्दाख के लोग पहाड़ों के साथ खिलवाड़ रोकना चाहते हैं. इसलिए उन्‍होंने इस धरती के लिए संरक्षण मांगा था और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग की.

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सोनम वांगचुक ने कहा कि लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश बनने के कुछ वक्‍त बाद नाराजगी शुरू हुई. (फाइल)

नई दिल्‍ली:

लद्दाख (Ladakh) को केंद्र शासित प्रदेश के लिए छठी अनुसूची के तहत राज्य का दर्जा देने और संवैधानिक सुरक्षा की मांग को लेकर हजारों लोग रोजाना प्रदर्शन कर रहे हैं. केंद्र सरकार ने वहां के नेताओं को 19 फरवरी को बातचीत के लिए दिल्‍ली बुलाया है. इसे लेकर पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) से हमारी संवाददाता नीता शर्मा ने बातचीत की है. एनडीटीवी से खास बातचीत में सोनम वांगचुक ने कहा कि केंद्र सिर्फ वादे कर रहा है, लेकिन उसे निभा नहीं रहा है. साथ ही उन्‍होंने कहा कि 19 फरवरी को मांगें पूरी नहीं हुई तो 21 दिन का अनशन करूंगा और जरूरत पड़ी तो आमरण अनशन करूंगा. 

सोनम वांगचुक ने कहा कि लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश बनने के कुछ वक्‍त बाद नाराजगी शुरू हुई. उन्‍होंने कहा कि जब लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बना तो हर ओर खुशियां और उम्‍मीदें थीं. हालांकि केंद्र सरकार ने अपने वादों को पूरा नहीं किया. 

वांगचुक ने कहा कि अनुच्‍छेद 370 के दौरान यह पर्वत उद्योग और खनन से संरक्षित थे. उन्‍होंने कहा कि लद्दाख के लोग पहाड़ों के साथ खिलवाड़ रोकना चाहते हैं. इसलिए उन्‍होंने इस धरती के लिए संरक्षण मांगा था और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग की. 

लद्दाख को पूर्ण राज्‍य का दर्जा क्‍यों नहीं?

उन्‍होंने कहा कि जब चुनाव बहिष्‍कार करने की बात की गई तो केंद्र सरकार ने चुनाव के बाद हर समस्‍या का समाधान करने की बात कही थी. उन्‍होंने कहा कि उस आश्‍वासन के चार साल के बाद पिछले साल दिसंबर में हाई पावर्ड कमेटी की बैठक हुई थी और उस बैठक में लिखित मांगें मांगी गई थी और उस पर कोई फैसला नहीं हुआ. उन्‍होंने कहा कि अब वक्‍त नहीं रहा है. केंद्र ने अब 19 फरवरी को उच्‍चस्‍तरीय बैठक बुलाई गई है, लेकिन अब उम्‍मीदें बहुत कम हैं. उन्‍होंने कहा कि जब जम्‍मू कश्‍मीर को पूर्ण राज्‍य का दर्जा दिया जा रहा है तो लद्दाख को क्‍यों नहीं? 

उन्‍होंने कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी के स्‍थानीय नेताओं ने जब कहा कि यह मांग कुछ ही लोगों की मांग है तो इससे लोग बेहद नाराज हुए और यह कितने लोगों की मांग है यह दर्शाने के लिए 3 फरवरी को लेह चलो आंदोलन में पूरा लद्दाख यहां पर आ गया है. उन्‍होंने कहा कि लेह लद्दाख की आबादी डेढ़ लाख से कम है, उसमें से 30 हजार प्रदर्शन में पहुंचे. उन्‍होंने कहा कि हमारे नेताओं को ऐसे इशारे मिल रहे हैं कि 19 फरवरी की बैठक में भी कुछ होने वाला नहीं है.

हमारे पास कम हैं ऑप्‍शन : वांगचुक 

एक सवाल के जवाब में उन्‍होंने कहा कि हमारे पास ऑप्‍शन बहुत कम हैं. उन्‍होंने कहा कि यहां के सांसद रहे थुप्स्तन छेवांग ने मांगे पूरी नहीं होने पर 19 फरवरी के बाद आमरण अनशन की घोषणा की है, जिसके बाद सैंकड़ों लोगों ने अनशन पर जाने का फैसला किया है. उन्‍होंने कहा कि मैं 21 दिनों का अनशन करूंगा और जरूरत पड़ेगी तो आमरण अनशन भी करूंगा. उन्‍होंने कहा कि यदि थुप्स्तन छेवांग को कुछ होता है तो लद्दाख जलेगा. उन्‍होंने कहा कि 19 फरवरी की बातचीत अगर विफल होगी तो लद्दाख में बहुत गड़बड़ी होगी.

उन्‍होंने कहा कि हम उम्‍मीद कर रहे हैं कि यह बातचीत विफल न हो. उन्‍होंने कहा कि संसद के दौरान ही यह संशोधन होते हैं तो शांतिपूर्ण ढंग से इस मामले को सुलझाया जा सकता है. 

मेरी आवाज दबाने की कोशिश हो रही : वांगचुक 

उन्‍होंने कहा कि मैं 2019 से आवाज उठा रहा हूं. मेरी आवाज को दबाने के लिए काफी कोशिश हो रही है. उन्‍होंने अपनी संस्‍था को लेकर खड़े किए जा रहे सवालों को लेकर भी जवाब दिया और कहा कि हम यहां पर एक यूनिवर्सिटी बना रहे थे, जिसे लेकर स्‍थानीय नेताओं ने गांव के लोगों को कहा कि यह जमीन मिल जाएगी तो आपको बांट दी जाएगी. वो सिर्फ 15 लोग थे, जिन्‍हें 30 हजार लोगों ने जवाब दिया है. 

लद्दाख के लोगों की मांगों पर विचार करने के लिए केंद्र ने पहले ही गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय की अगुआई में एक हाई पावर कमेटी का गठन किया है.

5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाकर पूर्ण राज्य का दर्जा खत्म कर दिया था. 

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