
- बिहार के सिवान जिले में एक महिला का नाम मतदाता सूची में पहली बार 124 वर्ष उम्र के साथ दर्ज किया गया है
- यह त्रुटि ऑनलाइन फॉर्म भरने के दौरान हुई, वास्तविक उम्र केवल पैंतीस वर्ष बताई गई है
- बूथ अधिकारी ने स्वीकार किया कि डेटा एंट्री में गलती हुई है और इसे सुधारने का आश्वासन दिया है
संसद के भीतर आज एक अनोखा विरोध देखने को मिला, जब बिहार से विपक्षी सांसद विशेष टी-शर्ट पहनकर पहुंचे, जिन पर बड़े अक्षरों में लिखा था MINTA DEVI विपक्ष का आरोप था कि सिवान जिले में चुनाव आयोग की जल्दबाजी और लापरवाही के चलते 124 साल की एक महिला का नाम पहली बार मतदाता सूची में जोड़ा गया है. इस पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि यह बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण (SIR) की पारदर्शिता पर गंभीर प्रश्न खड़ा करता है.
पूरा मामला दरौंदा विधानसभा क्षेत्र के सिसवन प्रखंड के सिसवा कला पंचायत के अरजानीपुर गांव का है. यहां मतदाता सूची में मिंता देवी नाम की महिला की उम्र 124 वर्ष दर्ज की गई और पहली बार उनका नाम सूची में जोड़ा गया. एनडीटीवी की पड़ताल में हालांकि सच्चाई कुछ और निकली. रिपोर्ट के मुताबिक, अरजानीपुर गांव निवासी धनंजय कुमार सिंह की पत्नी मिंता देवी की वास्तविक उम्र मात्र 35 साल है. यह गड़बड़ी ऑनलाइन फॉर्म भरने के दौरान हुई, जिसमें गलत प्रविष्टि के कारण उनकी उम्र 124 साल दर्ज हो गई.

गांव के कन्या उत्क्रमित मध्य विद्यालय, बूथ संख्या 94 के बूथ लेवल अधिकारी उपेंद्र शाह ने भी माना कि यह गलती डेटा एंट्री के समय हुई. उन्होंने कहा कि ऑनलाइन फॉर्म भरते वक्त आयु में त्रुटि हो गई, जिससे उम्र 124 साल दिख रही है. इसे सुधारा जाएगा.

फिर भी, विपक्ष ने इस मुद्दे को संसद में जोर-शोर से उठाया. उनका कहना है कि यह सिर्फ एक उदाहरण है, असली समस्या मतदाता सूची की पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता और सटीकता की है. बिहार में जारी SIR को लेकर पहले से ही विवाद है, जहां बड़ी संख्या में नाम हटाने और गलत प्रविष्टियों की शिकायतें सामने आ रही हैं.

विपक्षी सांसदों का तर्क है कि अगर ऐसी बुनियादी गलतियां हो रही हैं, तो यह चुनाव की निष्पक्षता और मतदाता सूची की विश्वसनीयता को प्रभावित करेगा. वहीं, चुनाव आयोग का कहना है कि तकनीकी त्रुटियां सामान्य हैं और उन्हें सुधारने के लिए प्रक्रिया तय है.
124 साल की उम्र वाली “पहली बार वोटर” की कहानी ने आज संसद से लेकर गांव तक बहस छेड़ दी है. विपक्ष इसे सिस्टम की नाकामी का प्रतीक मान रहा है, जबकि स्थानीय प्रशासन इसे एक मानवीय त्रुटि बताकर मामला शांत करने की कोशिश में है.
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