देश में कोरोनावायरस के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. पिछले 24 घंटों में कोरोना के 194 नए मामले सामने आए हैं. इसी के साथ भारत में इस वायरस से पीड़ित लोगों की संख्या बढ़कर 918 हो गई है. कोविड-19 की वजह से अब तक 19 लोगों की जान गई है. इधर सरकार द्वारा बुधवार से पूरे देश में लॉकडाउन लागू कर दिया गया है. जिसके बाद देश के कई भागों में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा है. सरकार पर आरोप लगने लगे थे कि सरकार ने बिना पूरी तैयारी के लॉकडाउन कर दिया जिससे गरीबों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. साथ ही यह भी सवाल उठने लगे थे कि कोरोना संकट से निपटने के लिए सरकार की तरफ से पहले सही कदम नहीं उठाए गए थे.
इस मामले पर सरकार की तरफ से अब प्रतिक्रिया आयी है. सूचना और प्रसारण मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है," सरकार ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की तरफ से सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने से पहले ही देश की सीमाओं पर कम्प्रीहेंसिव रिस्पॉन्स सिस्टम लागू कर दी थी. साथ ही मंत्रालय ने कहा है कि 30 जनवरी को भारत में कोरोनावायरस के पहले मामले का पता चलने से बहुत पहले 18 जनवरी से ही चीन और हांगकांग से आने वाले अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों की थर्मल स्क्रीनिंग की जा रही थी. वहीं इटली और स्पेन जैसे देशों ने थर्मल स्क्रीनिंग की शुरुआत पहले केस आने के 25 और 39 दिनों बाद की थी. मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि देश के 30 एयरपोर्ट और 12 बंदरगाहों पर भी स्क्रीनिंग की जा रही थी.
गौरतलब है कि कोरोनावायरस खतरे को देखते हुए सरकार ने गुरुवार को 1.70 लाख करोड़ रुपये से अधिक के राहत पैकेज की घोषणा की जबकि भारतीय रिजर्व ने कोरोनावायरस से अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए रेपो दर, सीआरआर में कटौती और बैंकों को कर्ज की किस्त पर वसूली से तीन महीने तक रोक की अनुमति दी है.
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