
दिल्ली में यूएनटीसीसी सम्मेलन 14 से 16 अक्टूबर तक आयोजित होने जा रहा है. इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में अहम योगदान देने वाले 32 देशों के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी एक साथ मौजूद होंगे. भारत संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में सबसे बड़े योगदानकर्ताओं में से एक होने के नाते इस हाई लेवल सम्मेलन का आयोजन कर रहा है. जिसका उद्देश्य उभरते खतरों पर विचार-विमर्श करना और भविष्य की शांति स्थापना के लिए एक साझा दृष्टिकोण विकसित करना है.
यूएनटीसीसी एक ऐसा खास मंच है, जो ऑपरेशनल चुनौतियों, उभरते खतरों, आपसी भागीदारी, निर्णय-प्रक्रिया में समावेशिता और शांति स्थापना को बढ़ावा देने में टेक्नोलॉजी और ट्रेनिंग की भूमिका पर विचार-विमर्श का मौका देता है. यह सम्मेलन वसुधैव कुटुम्बकम की भारतीय दर्शन परंपरा का सशक्त प्रतीक है. इस सम्मेलन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी समेत कई अधिकारियों का संबोधन होगा.
इस सम्मेलन में अल्जीरिया, आर्मेनिया, ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, भूटान, ब्राजील, बुरुंडी, कंबोडिया, मिस्र, इथियोपिया, फिजी, फ्रांस, घाना, इटली, कजाखिस्तान, केन्या, किर्गिजस्तान, मेडागास्कर, मलेशिया, मंगोलिया, मोरक्को, नेपाल, नाइजीरिया, पोलैंड, रवांडा, श्रीलंका, सेनेगल, तंजानिया, थाईलैंड, युगांडा, उरुग्वे और वियतनाम होंगे लेकिन सूत्रों की मानें तो चीन और पाकिस्तान को इस अहम सम्मेलन के लिये न्योता नहीं दिया गया है.
चीन और पाकिस्तान को छोड़कर सभी पड़ोसी देश शिरकत कर रहे हैं. सम्मेलन के दौरान जमीनी चुनौतियों के मुताबिक, मिशनों को और भी ज्यादा उत्तरदायी बनाने पर भी बातचीत होगी. यह आयोजन वैश्विक शांति, स्थिरता और समावेशी समृद्धि के प्रति भारत की अटूट प्रतिबद्धता दर्शाएगा. सम्मेलन में कुल 32 संयुक्त राष्ट्र सैन्य योगदानकर्ता देशों ने हिस्सा लेने की पुष्टि की है, जिनमें 15 देशों के आर्मी चीफ, 17 देशों के वाइस चीफ और अन्य उच्च स्तरीय सैन्य अधिकारी शामिल होंगे.
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