
- मिग-21 फाइटर विमान ने 6 दशकों तक भारत की वायुसेना में सेवा देते हुए कई युद्धों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
- यह विमान 1963 में वायुसेना में शामिल हुआ और 26 सितंबर 2025 को चंडीगढ़ में विदाई समारोह के साथ रिटायर होगा.
- मिग-21 ने 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्ध, बांग्लादेश की आज़ादी, करगिल युद्ध में अहम योगदान दिया.
MiG-21 farewell: फाइटर विमान मिग-21 की विदाई का समय आ गया है. पूरे छह दशक की सेवा के बाद वायुसेना का मिग-21, 26 सितंबर को चंडीगढ़ में रिटायर होने जा रहा है. इसकी विदाई की तैयारियों से ज़ाहिर होता है कि ऐसी विदाई दुनिया में किसी एयरक्राफ्ट की शायद ही कभी हुई हो. मिग-21 ने देश की वायुसेना का सिर कभी झुकने नहीं दिया. 1965 के भारत-पाक युद्ध से लेकर चंद महीनों पहले के ऑपरेशन सिंदूर में इस एयक्राफ्ट ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. यही वजह है कि वायुसेना के पूर्व अफसरों से लेकर आज इस विमान के पायलटों की आंखें नम हैं. वायुसेना इसके विदाई समारोह को खास बनाने जा रही है.
देशसेवा में अव्वल रहा मिग-21
यह विमान 1963 में वायुसेना में शामिल हुआ और तब से लेकर आज तक भारत की आसमानी सरहद की हिफाज़त कर रहा है. दिन हो या रात, सर्दी हो या गर्मी, थार का रेगिस्तान हो या फिर करगिल की बर्फीली पहाड़ियां, मिग 21 ने देश को कभी धोखा नहीं दिया. बांग्लादेश की आज़ादी में मिग 21 ने अहम भूमिका निभाई. साथ ही करगिल युद्ध में पाकिस्तानी घुसपैठिओं की कमर तोड़ी. बालाकोट स्ट्राइक के वक़्त मिग 21 ने पाकिस्तानी के अपेक्षाकृत आधुनिक एफ-16 लड़ाकू विमान को मार गिराया. सच कहें तो यह विमान कहीं ज़्यादा सम्मान का हकदार रहा है.
विदाई में क्या होगा खास?
चंडीगढ़ के इस समारोह में वायुसेना ने मिग-21 को उड़ाने वाले लगभग सारे पायलटों को निमंत्रित किया है. वायुसेना के करीब एक हज़ार से ज़्यादा पूर्व पायलट इस ऐतिहासिक पल के गवाह बनेंगे. सुबह 11 बजे से 1 बजे तक चलने वाले इस कार्यक्रम की शुरुआत मिग 21 की 23वीं स्क्वॉड्रन, जिसे पैंथर्स भी कहा जाता है, के विक्ट्री फार्मेशन में फ्लाई करने के साथ होगी, जिसको इस सक्वॉड्रन के कमांडिंग ऑफिसर लीड करेंगे. इसके बाद अंत मे मिग-21 बादल फॉर्मेंशन में फ्लाई करेंगे. साथ में तेजस भी होगा, जो मिग-21की विरासत का अनुसरण करेगा. इसमें यह संदेश भी निहित होगा कि अब मिग-21की जगह तेजस ने ले ली है.
समारोह में 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्धों में मिग-21 ने जिस तरीके से दुश्मन के दांत खट्टे किए थे, उस पल को रीक्रिएट किया जाएगा. उस समय फाइटर एयरक्राफ्ट में कंट्रोलिंग राडार नहीं होता था, तब रेडियो सेट के ज़रिये ही संदेश भेजा जाता था. इसके बाद विमान दुश्मन पर टूट पड़ता था. चंडीगढ़ के इस समारोह में एक साथ छह मिग 21लड़ाकू विमान मंच के सामने लैंड कर स्विच ऑफ करेंगे. मिग 21 की 23वीं स्क्वॉड्रन के कमांडिंग ऑफिसर फॉर्म 700 की किताब वायुसेना प्रमुख को सौपेंगे. इसके साथ ही मिग-21 की अंतिम विदाई होगी और यह विमान इतिहास का हिस्सा बन जाएगा.
चंडीगढ़ में क्यों होगा समारोह?
भारत के इस पहले सुपरसोनिक फाइटर जेट की विदाई के लिए चंडीगढ़ को इसलिए चुना गया, क्योंकि यहां ही यह सबसे पहले आए थे. चंडीगढ़ में होने वाले समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी शामिल होंगे. छह दशकों की सेवा के बाद इस विमान को विदाई दी जा रही है. लंबे समय तक होते रहे हादसों के कारण इसे फ्लाइंग कॉफिन तक कहा गया. वैसे इस फाइटर को नब्बे के दशक में ही रिटायर हो जाना चाहिए था, लेकिन इसकी जगह लेने के लिए देश में दूसरा विमान नहीं आया. लिहाजा पुराने विमान को ही वायुसेना अपग्रेड करवाकर उड़ाती रही. इस विमान के साथ वायुसेना के पॉयलटों की शानदार यादें हैं जो उन्होंने दिल में संजो रखी हैं. तभी तो पूर्व वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बी एस धनोआ कहते हैं कि हमारी स्वीट हार्ट जा रही है.
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