बाबूलाल गौर से बातचीत करतीं बरखा दत्त
नई दिल्ली:
व्यापमं घोटाले के कारण अपने राजनीतिक करियर के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ अब पार्टी के भीतर भी विरोध के सुर तेज होने लगे हैं। शिवराज सिंह के पुराने विरोधी अब व्यापम मुद्दे की आड़ में मुख्यमंत्री पर चौतरफा हमला कर रहे हैं।
एनडीटीवी की बरखा दत्त को दिए गए एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में एमपी के गृहमंत्री बाबूलाल गौर ने दावा किया कि व्यापम घोटाले की जांच सीबीआई से करवाने का फैसला करने से पहले मुख्यमंत्री ने इस बारे में उनसे कोई विचार-विमर्श नहीं किया था।
गृहमंत्री को फैसले की खबर नहीं
बरखा दत्त ने जब बाबूलाल गौर से पूछा कि क्या शिवराज सिंह चौहान ने व्यापमं घोटाले की जांच एसटीएफ से लेकर सीबीआई को देने में देर कर दी है, तब इसके जवाब में गौर ने कहा, 'अगर वह मुझसे पूछते तो मैं पहले ही इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की सलाह उन्हें देता। आप अंदाज़ा लगा सकती हैं कि उस वक्त़ मेरा जवाब क्या होता।’ गौर के अनुसार, 'इस घोटाले से हमारी छवि को काफी नुकसान हुआ है।'
साल 2005 में बाबूलाल गौर को हटाकर शिवराज सिंह चौहान को राज्य का मुख़्यमंत्री बनाया गया था। उसके बाद से दोनों नेताओं के संबंध कभी भी सामान्य नहीं रहे।
नौकरी-एडमिशन के लिए रिश्वत
व्यापमं घोटाला का संबंध उन लाखों लोगों से है, जिन्होंने कथित तौर पर सरकारी नौकरी पाने और शैक्षणिक संस्थानों में एडमिशन पाने के लिए लाखों- करोड़ों की रिश्वत दी है। कांग्रेस पार्टी का आरोप है कि इस घोटाले में न सिर्फ राज्य के बड़े प्रशासनिक अधिकारी बल्कि खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पत्नी भी शामिल हैं।
यह पूछे जाने पर कि क्या इस जांच में बीजेपी से जुड़े बड़े लोगों के नाम उजागर हो सकते हैं तो बाबूलाल ने कहा, ‘परेशान वही होंगे, जिन्होंने कुछ ग़लत किया होगा।’
कांग्रेस पार्टी ने व्यापम मामले में 30 से ज़्यादा लोगों की मौत का आरोप लगाया है, हालांकि अभी तक इन मौतों के संबंध में कोई पुख़्ता सबूत नहीं मिले हैं।
उमा की चिंता
मंगलवार को बीजेपी नेता और मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्य़मंत्री उमा भारती ने इस मुद्दे पर समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए गए एक इंटरव्यू में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को यह कहते हुए बड़ा झटका दिया कि, ‘एक मिनिस्टर होने के बावजूद मैं काफी डरी हुई हूं कि पता नहीं कब मेरे साथ कोई हादसा हो जाए। मैं शिवराज सिंह चौहान तक अपना डर जरूर पहुंचाऊंगी।’
एनडीटीवी की बरखा दत्त को दिए गए एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में एमपी के गृहमंत्री बाबूलाल गौर ने दावा किया कि व्यापम घोटाले की जांच सीबीआई से करवाने का फैसला करने से पहले मुख्यमंत्री ने इस बारे में उनसे कोई विचार-विमर्श नहीं किया था।
गृहमंत्री को फैसले की खबर नहीं
बरखा दत्त ने जब बाबूलाल गौर से पूछा कि क्या शिवराज सिंह चौहान ने व्यापमं घोटाले की जांच एसटीएफ से लेकर सीबीआई को देने में देर कर दी है, तब इसके जवाब में गौर ने कहा, 'अगर वह मुझसे पूछते तो मैं पहले ही इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की सलाह उन्हें देता। आप अंदाज़ा लगा सकती हैं कि उस वक्त़ मेरा जवाब क्या होता।’ गौर के अनुसार, 'इस घोटाले से हमारी छवि को काफी नुकसान हुआ है।'
साल 2005 में बाबूलाल गौर को हटाकर शिवराज सिंह चौहान को राज्य का मुख़्यमंत्री बनाया गया था। उसके बाद से दोनों नेताओं के संबंध कभी भी सामान्य नहीं रहे।
नौकरी-एडमिशन के लिए रिश्वत
व्यापमं घोटाला का संबंध उन लाखों लोगों से है, जिन्होंने कथित तौर पर सरकारी नौकरी पाने और शैक्षणिक संस्थानों में एडमिशन पाने के लिए लाखों- करोड़ों की रिश्वत दी है। कांग्रेस पार्टी का आरोप है कि इस घोटाले में न सिर्फ राज्य के बड़े प्रशासनिक अधिकारी बल्कि खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पत्नी भी शामिल हैं।
यह पूछे जाने पर कि क्या इस जांच में बीजेपी से जुड़े बड़े लोगों के नाम उजागर हो सकते हैं तो बाबूलाल ने कहा, ‘परेशान वही होंगे, जिन्होंने कुछ ग़लत किया होगा।’
कांग्रेस पार्टी ने व्यापम मामले में 30 से ज़्यादा लोगों की मौत का आरोप लगाया है, हालांकि अभी तक इन मौतों के संबंध में कोई पुख़्ता सबूत नहीं मिले हैं।
उमा की चिंता
मंगलवार को बीजेपी नेता और मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्य़मंत्री उमा भारती ने इस मुद्दे पर समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए गए एक इंटरव्यू में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को यह कहते हुए बड़ा झटका दिया कि, ‘एक मिनिस्टर होने के बावजूद मैं काफी डरी हुई हूं कि पता नहीं कब मेरे साथ कोई हादसा हो जाए। मैं शिवराज सिंह चौहान तक अपना डर जरूर पहुंचाऊंगी।’
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