रेल यात्रियों के बीच संकटमोचक के तौर पर मशहूर राकेश शर्मा नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर बतौर स्टेशन प्रबंधक तैनात हैं. अब तक करीब 430 मुसाफिरों के ट्रेन में छूटे सामान उन तक पहुंचा चुके हैं. ये उनके काम का हिस्सा नहीं पर फिर भी मानवता की सेवा अपने दम पर कर रहे हैं.
पंजाब के गुरुदासपुर के शर्मा 24 साल के उम्र में रेलवे में नौकरी की शुरुआत की पर मुसाफिरों तक उनके खोए सामान पहुंचाने की पहल अप्रैल 2016 से कर रहे हैं. अपनी नौकरी की ड्यूटी के अलावा इस काम के ज़रिए इंसानियत का फर्ज़ अदा कर रहे हैं. राकेश शर्मा ने एनडीटीवी को बताया कि अब तक हमने 432 यात्रियों तक उनका खोया सामान पहुंचाया है. जब हमें पैंट्री कार, कुली, मुसाफिर बर्थ पर पड़ा सामान लाकर देता है तो फिर हम उनसे कोच नंबर पूछते हैं और PNR नंबर के जरिए हो या सामान में पड़े आधार, पैन कार्ड के जरिए उनका नंबर निकालकर संपर्क करते हैं और फिर सामान पहुंचाते हैं.
अब तक ट्रेन में यात्रियों का खोया या छूटा सामान स्टेशन के लॉस्ट प्रॉपर्टी ऑफिस में जमा होता है, लेकिन जब तक कोई क्लेम करने नहीं आता था तब तक वो सामान वहीं पड़ा रहता था. पर इससे आगे बढ़कर राजेश शर्मा उस यात्री को ढूंढ निकाल रहे हैं जिसका वो सामान है. इतना ही नहीं PNR से यात्री तक पहुंचने के अलावा सहारा सोशल मीडिया में फेस बुक का भी लेना शुरू किया. तो शबासी भी मिल रही है और यात्री शुक्रिया अदा भी कर रहे हैं.
ऐसे ही रेलवे के कुछ मुसाफिरों से एनडीटीवी ने बात की.
IP एक्सटेंशन के फ्रेंड्स अपार्टमेंट में रहने वाले निकुंज जैन पिछले साल दिसंबर में जयपुर से नई दिल्ली आ रहे थे तो ट्रॉली बैग की अदला बदली हो गई. दूसरे यात्री का बैग लेकर ये शर्मा जी के पास पहुंचे और जमा किया. फिर राकेश शर्मा ने फौरन PNR के डिटेल्स के ज़रिए उस यात्री के मोबाइल नंबर तक पहुंचे जिससे निकुंज के सामान की अदला बदली हो गई थी. निकुंज बताते हैं कि राकेश जी ने कई लोगों का bag लौटाया है. मुश्किल लग रहा था. पर pnr नंबर से ढूंढ निकाला. 1 दिन के भीतर उन्होंने उनका खोया सामान लौटाया. सवा चार सौ यात्री जिन तक उनका समान राकेश शर्मा ने पहुंचाया उनमें
संतोष कुमार पिछले साल दिसंबर में ही पटना से नई दिल्ली के लिए ट्रेन पकड़ी और ज्यादा सामान होने की वजह से एक बैग ट्रेन की सीट पर ही भूल आए. महज़ दो घंटे के भीतर उनका खोया सामान राकेश शर्मा ने लौटाया. हालांकि दो साल पहले प्लेटफार्म पर उनका चोरी हुआ बैग अब तक नहीं मिला पर जो खोया था वो उनके पास आ गया. संतोष कुमार कहते हैं कि इतना क्विक एक्शन रेलवे का सोचा नहीं था. पहले भी करीब सालभर पहले समान चोरी हो गया था पर, मिला नहीं था. राकेश शर्मा का धन्यवाद कि रेलवे में ऐसे अधिकारी हैं जो इस तरह का काम कर रहे हैं.
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