युद्धग्रस्त यूक्रेन (Ukraine) से लौटे मेडिकल छात्र (Medical Students) भारतीय मेडिकल कॉलेजों (Indian Medical Colleges) में प्रवेश की मांग पर दिल्ली में पांच दिन के लिए भूख हड़ताल (Hunger Strike) पर बैठे हैं. इन छात्रों ने अवसाद, चिंता और अन्य मानसिक मुद्दों का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) से अपना भविष्य बचाने के लिए कदम उठाने का अनुरोध किया है. रामलीला मैदान में 23 जुलाई से शुरू हुए और 27 जुलाई तक चलने वाले विरोध प्रदर्शन में छात्रों के साथ उनके पेरेंट्स भी शामिल हुए.
यूक्रेन में तीसरे वर्ष के छात्र मुहम्मद अकील रजा ने कहा, "मैं सरकार से सहायता का अनुरोध करता हूं. सरकार को हमारी मदद करनी चाहिए. हमें पीएम नरेंद्र मोदी से बहुत उम्मीदें हैं."
एक अभिभावक ने कहा, "इन छात्रों ने सब कुछ पीछे छोड़ दिया क्योंकि उन्हें युद्ध के बीच यूक्रेन से बाहर ले जाया गया. हम उन्हें वापस नहीं भेजेंगे. हम सरकार से उन्हें मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराने में मदद करने का अनुरोध करते हैं."
इससे पहले, पेरेंट्स एसोसिएशन ऑफ यूक्रेन एमबीबीएस स्टूडेंट्स ने एक बयान में कहा कि उसने कई विरोध प्रदर्शन किए हैं और प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र भी लिखा है, लेकिन कुछ नहीं हुआ.
पिछले महीने कई छात्रों ने दिल्ली के जंतर मंतर पर देश के मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए भूख हड़ताल पर बैठे थे.
बयान में कहा, "हमने द्वारका में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) कार्यालय में तीन बार और दो बार जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया. साथ ही पीएमओ, स्वास्थ्य मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय, एनएमसी और भारत के राष्ट्रपति को अपना मांग सह अनुरोध पत्र भी सौंपा, लेकिन आज तक कोई आश्वासन नहीं मिला. छात्रों ने अब भूख हड़ताल पर बैठने का फैसला किया है.'
उनका दावा है कि चूंकि लगभग 12,000 ऐसे छात्र हैं (अंतिम वर्ष को छोड़कर), उन्हें देश के 600 मेडिकल कॉलेजों में समायोजित किया जा सकता है, प्रत्येक संस्थान में लगभग 20 छात्रों की व्यवस्था है.
यूक्रेन के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में पढ़ने वाले कम से कम 18,000 छात्र फरवरी में भारत लौट आए थे, उस वक्त रूस की सेना ने पूर्वी यूरोपीय देश के खिलाफ आक्रामक अभियान शुरू किया था.
अप्रैल में भी इन एमबीबीएस छात्रों के अभिभावकों ने सरकार से हस्तक्षेप की मांग को लेकर जंतर-मंतर पर धरना दिया था.
मार्च में एक जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई थी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट से भारत में एडमिशन और पढ़ाई जारी रखने को लेकर निर्देश देने की मांग की गई थी.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने भी पीएम मोदी से भारतीय मेडिकल कॉलेजों में छात्रों को उनके शेष एमबीबीएस पाठ्यक्रमों के लिए समायोजित करने का अनुरोध किया है.
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