युद्ध प्रभावित यूक्रेन (Ukraine) से निकाल कर भारत लाए गये भारतीय विद्यार्थियों ने देश में मेडिकल कॉलेज (Medical College) में दाखिले की मांग करते हुए शुक्रवार को प्रदर्शन (Protest) किया. उन्होंने सरकार से अपील की कि अकादमिक साल के नुकसान से उन्हें बचाने के लिए एकबारगी उपाय के तौर पर उनका समायोजन किया जाए. दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश , पंजाब, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश एवं राजस्थान से आये इन एमबीबीएस विद्यार्थियों एवं उनके अभिभावकों ने यहां राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के बाहर प्रदर्शन किया. ‘पैरेंट्स एसोसिएशन ऑफ यूक्रेन मेडिकल स्टूडेंट्स' के बयान में कहा गया है, ‘‘ चूंकि सारे विद्यार्थी भावी डॉक्टर हैं, इसलिए ऑनलाइन शिक्षा उनके लिए अच्छा विकल्प है. हमारी मांग है कि सभी विद्यार्थियों को भारतीय चिकित्सा महाविद्यालयों में समायोजित किया जाए. ''
एसोसएिशन के अध्यक्ष आर बी गुप्ता ने कहा, ‘‘ अपने बच्चों के समायोजन में मदद मांगने के लिए हम यहां इकट्ठा हुए हैं. मेरा बेटा द्वितीय वर्ष का विद्यार्थी है जो इवानो में पढ़ रहा है. हम बस सरकार से यह अनुरोध कर रहे हैं कि इन बच्चों को एकबारगी उपाय के तौर समायोजित किया जाए. '' इस बीच, कई विद्यार्थियों ने कहा कि उन्हें अपने भविष्य की चिंता है क्योंकि यूक्रेन में युद्ध अब भी चल रहा है.
एमबीबीएस के पांचवे वर्ष के एक विद्यार्थी ने नाम न बताने के अनुरोध पर कहा, ‘‘ हमें नहीं पता कि यह युद्ध कब खत्म होगा. हमारी पढाई-लिखाई प्रभावित हो रही है. हमारे माता-पिता ने इतने पैसे लगाये और कई ने तो कर्ज ले रखा है. यदि हम अपनी पढाई नहीं जारी रख पाए तो सब कुछ बर्बाद हो जाएगा. इसलिए सरकार को हमें समायोजित करना चाहिए. ''
वैशाली नामक एक छात्रा ने कहा, ‘‘ हमारा भविष्य दांव पर लगा है. यदि युद्ध खत्म हो जाता है तो भी विश्वविद्यालय सामान्य अकादमिक कार्यक्रम पर लौटने में वक्त लेंगे. उस स्थिति में हमारा साल बर्बाद चला जाएगा. हम सरकार से मदद की अपील करते हैं.'' अप्रैल में भी ऐसे विद्यार्थियों के अभिभावकों ने उनके बच्चों को समायोजित करने की मांग के लिए सरकार से हस्तक्षेप की मांग करते हुए यहां जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया था. इसी विषय पर उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका भी दायर की गयी थी.
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