उत्तर भारत से और बढ़ेंगे सांसद, दक्षिण को होगा घाटा, जानें- परिसीमन के बाद कितनी बढ़ सकती हैं लोकसभा सीटें

Delimitation: साल 2026 में हमारी अनुमानित जनसंख्‍या 1 अरब 42 करोड़ 19 लाख 48 हजार हो जाएगी. 2026 की अनुमानित जनसंख्या को अगर 543 सीटों के हिसाब से देखें, तो अभी 26 लाख वोटों की एक लोकसभा है, जो साल 2001 में 18लाख की थी.

नई दिल्‍ली:

महिला आरक्षण बिल (Women Reservation Bill) संसद (Parliament Session) में पास होने के बाद कानून भले ही बन जाए, लेकिन यह लागू अभी नहीं हो पाएगा. दरअसल, बिना जनगणना (Census) और परिसीमन (Delimitation) के महिला आरक्षण कानून को लागू कर पाना संभव नहीं है. देश में जनगणना होने और परिसीमन होने के बाद महिला आरक्षण से जुड़ा कानून लागू होने की स्थिति में इसे मूर्त रूप लेने में कई साल लग जाएंगे. देश में परिसीमन से लोकसभा सीटों (Lok Sabha Seats) की संख्‍या में इजाफा हो जाएगा. साल 2026 में भारत की अनुमानित जनसंख्‍या 1 अरब 42 करोड़ 19 लाख 48 हजार हो जाएगी और परिसीमन के बाद सीटों की संख्‍या बढ़कर 753 होने का अनुमान है.

2026 में बढ़कर इतनी हो जाएंगी लोकसभा सीटें!

साल 2026 में हमारी अनुमानित जनसंख्‍या 1 अरब 42 करोड़ 19 लाख 48 हजार हो जाएगी. 2026 की अनुमानित जनसंख्या को अगर 543 सीटों के हिसाब से देखें, तो अभी 26 लाख वोटों की एक लोकसभा है, जो साल 2001 में 18लाख की थी. साल 2001 से 2026 की जनसंख्या में 38.5 प्रतिशत का परिवर्तन होगा. अगर इस परिवर्तन को सीटों में जोड़े तो कुल 210 सीटें बढ़ेगी यानि की 2026 में 543+210 को जोड़ दे, तो वो बढ़कर 753 सीट हो जाएगी. बता दें कि साल 1977 से अभी तक लोकसभा सीटों में परिवर्तन नहीं हुआ है.

परिसीमन के बाद दक्षिण के राज्‍यों में सबसे कम परिवर्तन

ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि परिसीमन के बाद दक्षिण के राज्‍यों में लोकसभा सीटों की संख्‍या सबसे कम बढ़ेंगी. इसे लेकर विपक्षी पार्टियां सवाल भी उठा सकती हैं. कर्नाटक में वर्तमान लोकसभा सीटों की संख्‍या 28 है, जिनका 2026 में बढ़कर 36 होने का अनुमान है यानि 8 सीटों की बढ़ोतरी. वहीं, केरल में मौजूदा लोकसभा सीटें 20 हैं, जो 2026 में परिसीमन के बाद 19 रह जाने का अनुमान है. यानि दक्षिण के इस राज्‍य में एक सीट घट जाएगी. तेलंगाना की बात करें, तो अभी यहां 17 लोकसभा सीटें हैं, जिनका 2026 में परिसीमन के बाद 20 होने का अनुमान है यानि 3 सीटें बढ़ेंगी. आंध्र प्रदेश की बात करें, तो अभी यहां लोकसभा की 25 सीटें हैं. परिसीमन के बाद इस राज्‍य में लोकसभा सीटों की संख्‍या 28 होने का अनुमान है. वहीं, तेलंगाना की बात करें, तो यहां अभी 39 लोकसभा सीटें हैं, जिनका परिसीमन के बाद बढ़कर 41 होने का अनुमान है. 

उत्‍तर भारत के राज्‍यों में परिसीमन के बाद ये होगी स्थिति 

उत्‍तर भारत के राज्‍यों में परिसीमन के बाद लोकसभा की काफी सीटें बढ़ने का अनुमान है. दरअसल, इन राज्‍यों की जनसंख्‍या में बीते सालों में दक्षिण के राज्‍यों के मुकाबले ज्‍यादा इजाफा हुआ है. उत्‍तर प्रदेश में अभी लोकसभा सीटों की संख्‍या 80 है. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि परिसीमन के बाद राज्‍य में लोकसभा की सीटें 128 हो जाएंगी यानि 48 सीटें बढ़ जाएंगी. बिहार में 30 लोकसभा सीटों के इजाफे का अनुमान है. यहां लोकसभा की मौजूदा सीटों की संख्‍या 40 है, जिनका परिसीमन के बाद 70 होने का अनुमान है. मध्‍य प्रदेश में अभी 29 लोकसभा सीटें हैं, जिनका परिसीमन के बाद 2026 में 47 होने का अनुमान है यानि 18 सीटें बढ़ेंगी. महाराष्‍ट्र में भी परिसीमन के बाद 20 सीटों के बढ़ने का अनुमान है. यहां अभी लोकसभा की 48 सीटें हैं, 2026 में बढ़कर 68 होने का अनुमान है. राजस्‍थान में लोकसभा की मौजूदा सीटें 25 हैं, जिनकी संख्‍या परिसीमन के बाद 44 होने का अनुमान है यानि 19 सीटों का इजाफा. वहीं, गुजरात में अभी 26 लोकसभा सीटें हैं, परिसीमन के बाद इनमें 13 सीटों का इजाफा होने का अनुमान है.    

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बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बृहस्पतिवार को राज्‍यसभा में बिल पर बहस के दौरान बताया कि लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को आरक्षण सुनिश्चित करने वाला संविधान संशोधन विधेयक यदि संसद से पारित हो जाता है, तो 2029 में लोकसभा में 33 प्रतिशत महिलाओं की मौजूदगी सुनिश्चित हो जाएगी. जी हां, 2029...! कानून बन जाने के बाद 543 सदस्यों वाली लोकसभा में महिला सदस्यों की मौजूदा संख्या (82) से बढ़कर 181 हो जाएगी. इसके पारित होने के बाद विधानसभाओं में भी महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीट आरक्षित हो जाएंगी. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद जनगणना और परिसीमन की कार्रवाई पूरी की जाएगी और लोकसभा तथा राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण से संबंधित कानून बहुत जल्द आकार लेगा.

जानें परिसीमन क्या है?

इसके जरिए निर्वाचन क्षेत्र की सीमाओं का निर्धारण होता है. आयोग का निर्णय अंतिम होता है. आयोग के निर्णय को चुनौती नहीं दी जा सकती. इस आयोग का गठन राष्ट्रपति करते हैं. आयोग चुनाव आयोग के साथ काम करेगा. सुप्रीम कोर्ट के रिटार्यड जज सदस्य होंगे. मुख्य चुनाव आयुक्त राज्य के चुनाव आयुक्त सदस्य होते हैं. अभी तक 4 बार परिसीमन आयोग बना है. 1952, 1963, 1973, 2002 में आयोग बना है. 1981, 1991 की जनगणना के बाद परिसीमन नहीं हुआ. 2001 की जनगणना के बाद परिसीमन हुआ मगर सीट नहीं बढ़ी. 1977 के बाद अभी तक लोकसभा की सीटें नहीं बढ़ी हैं.

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