फाइल फोटो
नई दिल्ली:
महाराष्ट्र में हिंगोली के किसान मुश्किल में हैं। तेज गर्मी और सूखे के बाद मॉनसून अगले महीने आने वाला है, खेत बुवाई के लिये तैयार हो सकते हैं लेकिन समस्या ये है कि उनके पास इसके लिये पैसे नहीं हैं। पिछली फसल बरबाद हो गई थी, उधार पटा नहीं सके, नया कर्ज कौन देगा।
हिंगोली ज़िले के सूखा पीड़ित इडोलीगांव के किसान जनार्दन यादव पिछले कई महीनों से सूखे की मार झेल रहे हैं। सूखे ने पिछली फसल खराब कर दी। कमाई हुई नहीं, और अब नए सीज़न में फसल बोने के लिए पैसे नहीं हैं। कर्ज़ में डूबे जनार्दन जाधव कहते हैं, "नई फसल बोने के लिए पैसा नहीं है हमारे पास। 50,000 का कर्ज़ लिया था पिछले साल, वो आज तक चुका नहीं पाया हूं।" उनकी पत्नी सरिता जाधव कहती हैं, "घर चलाना मुश्किल हो रहा है...फसल खराब हो हो गयी और कमाई हुई नहीं...हमारे पास पैसे नहीं हैं।''
जनार्दन जाधव के पड़ोसी अंबादास टेकाले भी सूखे के संकट से घिरे हैं। पिछले सीज़न में एक लाख रुपये का कर्ज़ लिया था। आज तक बैंक को पैसा चुका नहीं पाये हैं। अंबादास कहते हैं, "सरकार को हमारा कर्ज़ माफ कर देना चाहिये। साथ ही, हमें नए बुवाई के सीज़न के लिए सरकार को बीज, खाद जैसी सुविधाएं मुफ्त में देनी चाहिये। हमने बैंक से लोन लिया, अब लोन चुकाना मुश्किल हो रहा है।"
मराठवाड़ा इलाके में सूखे का संकट झेल रहे किसानों को अब एक नए संकट से जूझना पड़ रहा है। पहले फसल खराब होने से कमाई ना के बराबर हुई और अब जब दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सीज़न के दौरान अच्छी बारिश का पूर्वानुमान है, उन्हें नई बुवाई के सीज़न के लिए बीज-खाद खरीदने के लिए ज़रूरी पैसे का जुगाड़ करना मुश्किल हो रहा है।
दिल्ली में इस बारे में एनडीटीवी के सीधे सवाल करने पर केन्द्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा, "राज्य सरकार के पास ऐसे सूखा-प्रभावित किसानों की मदद के लिए योजनाएं हैं। सरकारें सस्ता बीज मुहैया करा सकती हैं, डीजल दे सकती हैं, राज्यों के पास उनके राज्य आपदा प्रबंधन फंड में भी काफी पैसा है। किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है, पहले सूखा और अब जब बारिश हो रही है तो बुवाई के लिये पैसे नहीं हैं।
हिंगोली ज़िले के सूखा पीड़ित इडोलीगांव के किसान जनार्दन यादव पिछले कई महीनों से सूखे की मार झेल रहे हैं। सूखे ने पिछली फसल खराब कर दी। कमाई हुई नहीं, और अब नए सीज़न में फसल बोने के लिए पैसे नहीं हैं। कर्ज़ में डूबे जनार्दन जाधव कहते हैं, "नई फसल बोने के लिए पैसा नहीं है हमारे पास। 50,000 का कर्ज़ लिया था पिछले साल, वो आज तक चुका नहीं पाया हूं।" उनकी पत्नी सरिता जाधव कहती हैं, "घर चलाना मुश्किल हो रहा है...फसल खराब हो हो गयी और कमाई हुई नहीं...हमारे पास पैसे नहीं हैं।''
जनार्दन जाधव के पड़ोसी अंबादास टेकाले भी सूखे के संकट से घिरे हैं। पिछले सीज़न में एक लाख रुपये का कर्ज़ लिया था। आज तक बैंक को पैसा चुका नहीं पाये हैं। अंबादास कहते हैं, "सरकार को हमारा कर्ज़ माफ कर देना चाहिये। साथ ही, हमें नए बुवाई के सीज़न के लिए सरकार को बीज, खाद जैसी सुविधाएं मुफ्त में देनी चाहिये। हमने बैंक से लोन लिया, अब लोन चुकाना मुश्किल हो रहा है।"
मराठवाड़ा इलाके में सूखे का संकट झेल रहे किसानों को अब एक नए संकट से जूझना पड़ रहा है। पहले फसल खराब होने से कमाई ना के बराबर हुई और अब जब दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सीज़न के दौरान अच्छी बारिश का पूर्वानुमान है, उन्हें नई बुवाई के सीज़न के लिए बीज-खाद खरीदने के लिए ज़रूरी पैसे का जुगाड़ करना मुश्किल हो रहा है।
दिल्ली में इस बारे में एनडीटीवी के सीधे सवाल करने पर केन्द्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा, "राज्य सरकार के पास ऐसे सूखा-प्रभावित किसानों की मदद के लिए योजनाएं हैं। सरकारें सस्ता बीज मुहैया करा सकती हैं, डीजल दे सकती हैं, राज्यों के पास उनके राज्य आपदा प्रबंधन फंड में भी काफी पैसा है। किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है, पहले सूखा और अब जब बारिश हो रही है तो बुवाई के लिये पैसे नहीं हैं।
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