प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को लेकर नए मोटर व्हीकल एक्ट के संशोधन पर अमल के लिए दिल्ली एनसीआर के राज्य भी अब तक फिसड्डी साबित हुए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने EPCA की सिफारिश के बाद आदेश दिया था कि पहले वाहनों की उम्र और दशा की पहचान की जाए फिर उनसे निपटने के उपाए तलाशे जाएं. अब तक राज्य ऐसे वाहनों की पहचान के लिए आमराय से कोई तरीका भी विकसित नहीं कर पाए हैं.
डांसर्स ने अनोखे ढंग से सेलीब्रेट किया नवरात्रि का पहला दिन, हेलमेट पहनकर किया गरबा, बताई ये वजह
10-15 साल पुरानी डीजल-पेट्रोल से चलने वाली नई और पुरानी गाड़ियों की पर कैसा स्टिकर लगे इस पर भी सुप्रीम कोर्ट में बहस जारी नजर आई. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा अमल का तौर तरीका कैसा हो? स्टिकर की रंग योजना के बारे में कहा गया कि ब्लू (पेट्रोल/सीएनजी) ऑरेंज (डीजल) और ग्रीन (बैटरी/बिजली) के लिए होगा.
केंद्र सरकार का फरमान- कागज़ात न भी हों तो भी ना काटें चालान, लेकिन लगाई ये शर्त
सुप्रीम कोर्ट ने अलग-अलग ईंधनों से चालित वाहनों के लिए अलग कलर स्टिकर लगाने की योजना पर अमल के लिए दिल्ली, हरियाणा और यूपी से हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया. कोर्ट ने इसके लिए 8 नंवबर अगली तारीख तय की है.
Video: डॉक्यूमेंट्स पास में नहीं हैं फिर भी नहीं होगा चालान, ये है तरीका
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं