आबकारी नीति मामले में दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को 5 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेजा गया. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आज मनीष सिसोदिया की आगे की रिमांड नहीं मांगी, जिसके बाद अदालत ने सिसोदिया को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया. सुनवाई के दौरान सिसोदिया ने जेल में पढ़ने के लिए कुछ और किताबें पढ़ने के लिए एप्लिकेशन दी, इस पर कोर्ट ने कहा कि जो किताबें वे चाहते हैं, उनको दी जाएं.इससे पहले, ईडी ने मनीष सिसोदिया को कोर्ट में किया पेश किया, 5 दिन की ईडी रिमांड खत्म होने पर उन्हें कोर्ट में पेश किया गया.
गौरतलब है कि AAP नेता मनीष सिसोदिया की तरफ से प्रवर्तन निदेशालय मामले में जमानत याचिका दाखिल की गई थी जिस पर राउज एवेन्यू कोर्ट ने ईडी को नोटिस जारी किया था. सिसोदिया की सीबीआई जमानत के मामले में वकील दयान कृष्णन ने दलील दी कि मोबाइल फोन सीज हो चुका है. अन्य फोन सेट को लेकर हम जवाब दे चुके हैं. हमारी अपील है कि अब जमानत पर रिहाई का आदेश दिया जाए.सिसोदिया के वकील ने कहा कि सीबीआई कानून के दायरे में काम नहीं कर रही हैं. सीबीआई को जो डिवाइस मिले हैं, उसमें सीधे तौर पर मनीष के खिलाफ कुछ नहीं मिला है. इस मामले में सीबीआई सिर्फ मनीष को परेशान कर रही है. आबकारी मामले में सीबीआई मामले में सभी आरोपियों को जमानत मिल चुकीं है. सीबीआई के पास इस मामले में अब कुछ नया नहीं है.
सिसोदिया के वकील ने पी. चिदम्बरम केस का हवाला दिया और कहा, "मनीष सिसोदिया की पत्नी मल्टीप्ल बीमारी से जूझ रही है. उनकी देखभाल करने के लिए कोई नहीं है. उनका मेडिकल रिपोर्ट कोर्ट में जमा किया जा चुका है. इस मामले में मनीष सिसोदिया को जमानत दी जानी चाहिए.इस पर सीबीआई ने मनीष की दलील का विरोध किया और कहा कि मनीष के पास 18 मंत्रालय थे, उनको सारी जानकारी थी.आबकारी मामले में एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट में जिसको रवि धवन ने तैयार किया था, उसे देखकर डिस्टर्व हो गए. इस मामले में सीधे तौर पर लोगों को फायदा पहुचाना उद्देश्य था.
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