प्रतीकात्मक तस्वीर...
नई दिल्ली:
जासूसी गिरोह में संलिप्तता के मामले में हिरासत में लिए गए पाकिस्तान उच्चायोग के एक कर्मचारी के फर्जी आधार कार्ड में जिस व्यक्ति के पता का इस्तेमाल किया गया, उन्होंने कहा कि अपने घर पर पत्रकारों की भीड़ जुटने के बाद ही उनको मामले का पता चला.
पुलिस ने जासूसी गिरोह में संलिप्तता के लिए पाकिस्तान उच्चायोग के कर्मचारी महमूद अख्तर को उसके दो सहयोगियों के साथ हिरासत में लिया.
उनकी गतिविधियां संवेदनशील रक्षा दस्तावेज और भारत-पाक सीमा पर बीएसफ की तैनाती के विवरण को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ साझा करने से जुड़ी थी.
अख्तर के चांदनी चौक निवासी होने का दावा किया गया और घर का पता 2350, गली निकट मदारी, रोडग्रान मोहल्ला वाला फर्जी आधार कार्ड दिखाया गया.
हालांकि, घर के मालिक मोहम्मद आसिफ ने कहा, 'मुझे नहीं पता कार्ड पर किस तरह और क्यों मेरा पता है. मीडियाकर्मियों के मेरे घर पर आने के बाद तब हमें पता चला जब मुझसे पूछा गया कि मेरा पता उस व्यक्ति के आधार कार्ड पर कैसे था. यह हम सब के लिए हैरान करने वाली बात है.' आसिफ ने कहा कि वह और उनका परिवार पिछले 40 साल से उस इलाके में रह रहा है और घर भी उनकी पारिवारिक विरासत का है. उन्होंने कहा, 'हमारे पूर्वज यहां रहते थे और मेरा परिवार यहां रहता है और इसमें मेरे बच्चे रहेंगे. मैं इस व्यक्ति को नहीं जानता, जिसके कार्ड पर मेरा पता है'. उन्होंने कहा कि अगर पुलिस उनसे पूछताछ करेगी तो वह उन्हें सच बताएंगे.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
पुलिस ने जासूसी गिरोह में संलिप्तता के लिए पाकिस्तान उच्चायोग के कर्मचारी महमूद अख्तर को उसके दो सहयोगियों के साथ हिरासत में लिया.
उनकी गतिविधियां संवेदनशील रक्षा दस्तावेज और भारत-पाक सीमा पर बीएसफ की तैनाती के विवरण को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ साझा करने से जुड़ी थी.
अख्तर के चांदनी चौक निवासी होने का दावा किया गया और घर का पता 2350, गली निकट मदारी, रोडग्रान मोहल्ला वाला फर्जी आधार कार्ड दिखाया गया.
हालांकि, घर के मालिक मोहम्मद आसिफ ने कहा, 'मुझे नहीं पता कार्ड पर किस तरह और क्यों मेरा पता है. मीडियाकर्मियों के मेरे घर पर आने के बाद तब हमें पता चला जब मुझसे पूछा गया कि मेरा पता उस व्यक्ति के आधार कार्ड पर कैसे था. यह हम सब के लिए हैरान करने वाली बात है.' आसिफ ने कहा कि वह और उनका परिवार पिछले 40 साल से उस इलाके में रह रहा है और घर भी उनकी पारिवारिक विरासत का है. उन्होंने कहा, 'हमारे पूर्वज यहां रहते थे और मेरा परिवार यहां रहता है और इसमें मेरे बच्चे रहेंगे. मैं इस व्यक्ति को नहीं जानता, जिसके कार्ड पर मेरा पता है'. उन्होंने कहा कि अगर पुलिस उनसे पूछताछ करेगी तो वह उन्हें सच बताएंगे.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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