विरोध की आवाज कैसे दब जाती है, इसका उदाहरण शनिवार को दिल्ली में मुख्यमंत्रियों और सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के जजों के सम्मेलन में देखने को मिला. दरअसल,विज्ञान भवन में न्यायपालिका को कैसे मजबूत किया जाए इसको लेकर पूरा दिन मंथन हुआ. सुबह पीएम मोदी ने भी भरोसा दिलाया कि सरकार आम आदमी को न्याय दिलाने के लिए जो भी मदद होगी वो करेगी. CJI एनवी रमना ने भी बताया कि किस तरह सरकार ही सबसे बड़ी अड़चन है क्योंकि वो सबसे बड़ी मुकदमेबाज है. ये सब होने के बाद फिर मुख्यमंत्रियों और सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के जजो का सम्मेलन शुरू हुआ. इसी जगह के सामने शाम पांच बडे़ प्रेस कांफ्रेंस होनी थी तो तमाम मीडियाकर्मी जिन भर वहां डटे रहे
वहां सम्मेलन की वीडियो तो नहीं थी लेकिन स्पीकर में ऑडियो आ रहा था. सब पता चला रहा था कि जजों और मुख्यमंत्रियों के बीच क्या बातचीत हो रही है. दोपहर हो गई फिर लंच हुआ और फिर सम्मेलन शुरू हुआ. हाल नंबर 6 में सब आवाजें आती रहीं. लंच के बाद के सेशन में भी स्पीकर सब कुछ सुनाता रहा. कई घंटे बीत चुके थे. अचानक पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आवाज सुनाई दी.
वो बोल रही थीं कि वो पेंडेंसी की बात सुन रही है तो टैंडेंसी की बात कर रही हैं. कलकत्ता हाईकोर्ट मे जजों की नियुक्ति को लेकर 2017 की सिफारिश की बात कर रही थीं वो पूछ रही थीं कि इस देरी के लिए कौन जिम्मेदार है. तभी हॉल में एक अफसर ने प्रवेश किया और वहां बैठे कर्मचारी को कहा कि ऑडियो बंद कर दो. उसने स्पीकर को बंद कर दिया. वहां मौजूद लोगों ने पूछा भी कि सुबह से तो चल रहा है. उन्होंने कहा कि वहां से कहा गया है कि बंद कर दो तो आवाज बंद हो गई.
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