नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार की मुश्किलें बढ़ाते हुए तृणमूल कांग्रेस ने सोमवार को जहां दिल्ली में केंद्र सरकार पर जमकर हल्ला बोला और उसके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की चेतावनी दे डाली वहीं उसकी सबसे बड़ी सहयोगी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) ने कहा कि खुदरा कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति के फैसले के खिलाफ विपक्ष द्वारा संसद में लाए जाने वाले किसी भी प्रस्ताव का वह समर्थन करेगी।
इस बीच, झारखण्ड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) ने संप्रग सरकार से समर्थन वापस लेने का ऐलान कर दिया है। लोकसभा में उसके दो सदस्य हैं। इससे हालांकि सरकार की सेहत पर कोई खासा असर नहीं पड़ेगा।
ममता बनर्जी ने संप्रग सरकार पर देश को बेचने का आरोप लगाते हुए संसद के आगामी सत्र में उसके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की चेतावनी दी।
जंतर मंतर पर एक रैली को सम्बोधित करते हुए ममता ने कहा, "सुधार के नाम पर सरकार देश को लूट रही है और छोटे किसानों के रोजगार खत्म करने का प्रयास कर रही है। देश को बेचना सुधार नहीं हो सकता। यदि आपने देश को बेचने की कोशिश की तो जनता आपको सत्ता से हटा देगी। यही इस लोकतंत्र की खूबसूरती है।"
ममता ने कहा, "हम जनता को प्रताड़ित नहीं होने देंगे। यदि जरूरत पड़ी तो हम सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आएंगे।" उन्होंने कहा कि किसी भी सरकार को आम आदमी की आजीविका छीनने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा, "सरकार में विश्वास न होने की वजह से तृणमूल कांग्रेस ने अपना समर्थन वापस लिया। मुझे कोई अफसोस नहीं है। मुझे जेल में डाल दो, इसका भी भय नहीं है। मैं राजनीति में देश सेवा के लिए हूं, निजी हितों के लिए नहीं।"
ज्ञात हो कि लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस के 19 सदस्य हैं और पिछले माह उसने केंद्र सरकार से समर्थन वापस ले लिया था।
ममता ने इस अवसर पर कथित आर्थिक सुधारों के खिलाफ अगले महीने से व्यापक विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा भी की। उन्होंने कहा, "तृणमूल कांग्रेस दो नवम्बर को हरियाणा में प्रदर्शन करेगी और 17 नवम्बर को लखनऊ में रैली करेगी। इसके लिए हमने समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव से समर्थन मांगा है। हम 19 और 20 नवम्बर को दिल्ली में भी प्रदर्शन करेंगे।"
केंद्र सरकार पर करारा हमला करते हुए ममता ने कहा, "सरकार जनता के लिए होनी चाहिए, उनका अस्तित्व खत्म करने के लिए नहीं। मैं सरकार में तीन साल रही लेकिन मेरी बातें नहीं सुनी गईं।" उन्होंने कहा, "देश की जनता भूखी, नंगी रही लेकिन उन्होंने कभी उम्मीद नहीं छोड़ी। हमारी जिम्मेदारी व्यवसायी, किसानों और आम आदमी को बचाने की है।" उन्होंने कहा कि एफडीआई से नौकरियां छिनेंगी और छोटे उद्यमी प्रभावित होंगे।
ममता बनर्जी ने कहा, "यह केवल धरना नहीं, बल्कि प्रदर्शन रैली है। हमारे सभी सांसद प्रदर्शन करेंगे, लेकिन हम किसी को पश्चिम बंगाल से नहीं लाए हैं।"
उधर, चेन्नई में डीएमके ने कहा कि एफडीआई के फैसले के खिलाफ विपक्ष द्वारा संसद में लाए जाने वाले किसी भी प्रस्ताव का वह समर्थन करेगी। लेकिन इसका कांग्रेस के साथ उसके समीकरण पर असर नहीं पड़ेगा।
पार्टी कार्यकारिणी की बैठक की अध्यक्षता करने के बाद डीएमके प्रमुख एम. करुणानिधि ने संवाददाताओं से कहा, "विपक्ष यदि एफडीआई के खिलाफ प्रस्ताव लाता है तो हमारी पार्टी उसका समर्थन करेगी।" उन्होंने कहा कि खुदरा कारोबार में एफडीआई के खिलाफ प्रस्ताव का समर्थन करने से उनकी पार्टी का कांग्रेस के साथ रिश्ते पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
करुणानिधि के अनुसार, उनकी पार्टी केंद्र सरकार के समक्ष विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार प्रकट कर चुकी है। उन्होंने उम्मीद जताई कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह हाल में लिए गए आर्थिक फैसलों की समीक्षा करेंगे, क्योंकि इन फैसलों से आम आदमी प्रभावित हो रहा है।
यह पूछे जाने पर डीजल के दाम बढ़ाए जाने, खुदरा कारोबार में एफडीआई की छूट दिए जाने और रसोई गैस सिलेंडरों की रियायती दर उपलब्धता सीमति किए जाने का विरोध कर रही उनकी पार्टी संप्रग सरकार को समर्थन क्यों दे रही है, करुणानिधि ने समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख मुलायम सिंह यादव के शब्द दोहराए कि उनकी पार्टी साम्प्रदायिक ताकतों को सत्ता से दूर रखने के लिए कांग्रेस-नीत केंद्र सरकार को समर्थन जारी रखे हुई है।
इस बीच, जेवीएम (पी) के महासचिव प्रदीप यादव ने रांची में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "हम मनमोहन सिंह सरकार से समर्थन वापस ले रहे हैं।" उन्होंने कहा कि पार्टी के सांसद जल्द ही राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिलेंगे और समर्थन वापसी का पत्र उन्हें सौंपेंगे।
झारखण्ड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने जेवीएम (पी) के इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा, "हमारा गठबंधन तो बहुत पहले ही टूट चुका है। समर्थन वापसी से केंद्र सरकार पर कोई असर नहीं होगा। ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस ने भी सरकार से समर्थन वापस लिया लेकिन उसका भी कोई असर नहीं हुआ।"
वहीं, केंद्र सरकार ने कहा है कि आर्थिक सुधार के मोर्चे पर लिए गए फैसले विकास जारी रखने के लिए आवश्यक हो गए थे।
प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री वी. नारायणसामी ने कहा कि आर्थिक विकास को गति देने और रोजगार सृजित करने के लिए ये निर्णय आवश्यक हो गए थे।
नारायणसामी ने कहा, "रोजगार सृजित नहीं किए गए हैं। राज्य और केंद्र इस तरह नहीं रह सकते। केंद्र को देश के लोगों की इच्छाओं एवं आकांक्षाओं को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ना ही होगा।"
इस बीच, झारखण्ड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) ने संप्रग सरकार से समर्थन वापस लेने का ऐलान कर दिया है। लोकसभा में उसके दो सदस्य हैं। इससे हालांकि सरकार की सेहत पर कोई खासा असर नहीं पड़ेगा।
ममता बनर्जी ने संप्रग सरकार पर देश को बेचने का आरोप लगाते हुए संसद के आगामी सत्र में उसके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की चेतावनी दी।
जंतर मंतर पर एक रैली को सम्बोधित करते हुए ममता ने कहा, "सुधार के नाम पर सरकार देश को लूट रही है और छोटे किसानों के रोजगार खत्म करने का प्रयास कर रही है। देश को बेचना सुधार नहीं हो सकता। यदि आपने देश को बेचने की कोशिश की तो जनता आपको सत्ता से हटा देगी। यही इस लोकतंत्र की खूबसूरती है।"
ममता ने कहा, "हम जनता को प्रताड़ित नहीं होने देंगे। यदि जरूरत पड़ी तो हम सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आएंगे।" उन्होंने कहा कि किसी भी सरकार को आम आदमी की आजीविका छीनने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा, "सरकार में विश्वास न होने की वजह से तृणमूल कांग्रेस ने अपना समर्थन वापस लिया। मुझे कोई अफसोस नहीं है। मुझे जेल में डाल दो, इसका भी भय नहीं है। मैं राजनीति में देश सेवा के लिए हूं, निजी हितों के लिए नहीं।"
ज्ञात हो कि लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस के 19 सदस्य हैं और पिछले माह उसने केंद्र सरकार से समर्थन वापस ले लिया था।
ममता ने इस अवसर पर कथित आर्थिक सुधारों के खिलाफ अगले महीने से व्यापक विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा भी की। उन्होंने कहा, "तृणमूल कांग्रेस दो नवम्बर को हरियाणा में प्रदर्शन करेगी और 17 नवम्बर को लखनऊ में रैली करेगी। इसके लिए हमने समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव से समर्थन मांगा है। हम 19 और 20 नवम्बर को दिल्ली में भी प्रदर्शन करेंगे।"
केंद्र सरकार पर करारा हमला करते हुए ममता ने कहा, "सरकार जनता के लिए होनी चाहिए, उनका अस्तित्व खत्म करने के लिए नहीं। मैं सरकार में तीन साल रही लेकिन मेरी बातें नहीं सुनी गईं।" उन्होंने कहा, "देश की जनता भूखी, नंगी रही लेकिन उन्होंने कभी उम्मीद नहीं छोड़ी। हमारी जिम्मेदारी व्यवसायी, किसानों और आम आदमी को बचाने की है।" उन्होंने कहा कि एफडीआई से नौकरियां छिनेंगी और छोटे उद्यमी प्रभावित होंगे।
ममता बनर्जी ने कहा, "यह केवल धरना नहीं, बल्कि प्रदर्शन रैली है। हमारे सभी सांसद प्रदर्शन करेंगे, लेकिन हम किसी को पश्चिम बंगाल से नहीं लाए हैं।"
उधर, चेन्नई में डीएमके ने कहा कि एफडीआई के फैसले के खिलाफ विपक्ष द्वारा संसद में लाए जाने वाले किसी भी प्रस्ताव का वह समर्थन करेगी। लेकिन इसका कांग्रेस के साथ उसके समीकरण पर असर नहीं पड़ेगा।
पार्टी कार्यकारिणी की बैठक की अध्यक्षता करने के बाद डीएमके प्रमुख एम. करुणानिधि ने संवाददाताओं से कहा, "विपक्ष यदि एफडीआई के खिलाफ प्रस्ताव लाता है तो हमारी पार्टी उसका समर्थन करेगी।" उन्होंने कहा कि खुदरा कारोबार में एफडीआई के खिलाफ प्रस्ताव का समर्थन करने से उनकी पार्टी का कांग्रेस के साथ रिश्ते पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
करुणानिधि के अनुसार, उनकी पार्टी केंद्र सरकार के समक्ष विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार प्रकट कर चुकी है। उन्होंने उम्मीद जताई कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह हाल में लिए गए आर्थिक फैसलों की समीक्षा करेंगे, क्योंकि इन फैसलों से आम आदमी प्रभावित हो रहा है।
यह पूछे जाने पर डीजल के दाम बढ़ाए जाने, खुदरा कारोबार में एफडीआई की छूट दिए जाने और रसोई गैस सिलेंडरों की रियायती दर उपलब्धता सीमति किए जाने का विरोध कर रही उनकी पार्टी संप्रग सरकार को समर्थन क्यों दे रही है, करुणानिधि ने समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख मुलायम सिंह यादव के शब्द दोहराए कि उनकी पार्टी साम्प्रदायिक ताकतों को सत्ता से दूर रखने के लिए कांग्रेस-नीत केंद्र सरकार को समर्थन जारी रखे हुई है।
इस बीच, जेवीएम (पी) के महासचिव प्रदीप यादव ने रांची में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "हम मनमोहन सिंह सरकार से समर्थन वापस ले रहे हैं।" उन्होंने कहा कि पार्टी के सांसद जल्द ही राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिलेंगे और समर्थन वापसी का पत्र उन्हें सौंपेंगे।
झारखण्ड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने जेवीएम (पी) के इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा, "हमारा गठबंधन तो बहुत पहले ही टूट चुका है। समर्थन वापसी से केंद्र सरकार पर कोई असर नहीं होगा। ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस ने भी सरकार से समर्थन वापस लिया लेकिन उसका भी कोई असर नहीं हुआ।"
वहीं, केंद्र सरकार ने कहा है कि आर्थिक सुधार के मोर्चे पर लिए गए फैसले विकास जारी रखने के लिए आवश्यक हो गए थे।
प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री वी. नारायणसामी ने कहा कि आर्थिक विकास को गति देने और रोजगार सृजित करने के लिए ये निर्णय आवश्यक हो गए थे।
नारायणसामी ने कहा, "रोजगार सृजित नहीं किए गए हैं। राज्य और केंद्र इस तरह नहीं रह सकते। केंद्र को देश के लोगों की इच्छाओं एवं आकांक्षाओं को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ना ही होगा।"
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