याकूब मेमन की फाइल फोटो
मुंबई:
मुंबई बम धमाकों के आरोपी याकूब मेमन को फांसी दी जाए या नहीं इस को लेकर महाराष्ट्र सरकार सुप्रीम कोर्ट की तरफ़ नजर लगाए बैठी है। याकूब फिलहाल महाराष्ट्र की नागपुर जेल में बंद है और कोर्ट के पुराने आदेश के अनुसार 30 जुलाई को उसे फांसी पर चढ़ाया जाना है। अपनी फांसी के खिलाफ़ याकूब की कोर्ट में दायर याचिका पर जारी सुनवाई मंगलवार को पूरी नहीं हुई।
महाराष्ट्र सरकार के मुख्यमंत्री कार्यालय स्थित सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि फांसी को लेकर वही होगा जो कोर्ट कहेगा। हम केवल कानूनी प्रक्रिया को अमल में लाने वाले हैं। इसमें सरकार का कोई पक्ष नहीं। ना ही हस्तक्षेप है।
इससे पहले राज्य सरकार के गृह विभाग ने फांसी का दिन करीब आते देख नागपुर जेल में इंतजाम दुरुस्त करने शुरू किए हैं। राज्य सरकार ने 22 लाख रुपये के खर्चे को मंजूरी देकर जेल प्रशासन को कहा है कि फांसी की जगह को लोहे की जाली से घेर दिया जाए। इस के अलावा फांसी के बाद पैदा होनेवाले किसी भी हालात पर काबू पाने के लिए राज्यभर में सतर्कता के आदेश दिए गए हैं।
राज्य सरकार का विधि एवं न्याय विभाग याकूब मेमन के मामले में महाराष्ट्र के राज्यपाल सी. विद्यासागर राव को सूचित कर चुका है कि याचिका में किसी नए तथ्य को जोड़ा नहीं गया है। बल्कि इससे पहले जिन तथ्यों के आधार पर याचिका को खारिज़ किया गया उन्हीं तथ्यों के आधार पर दुबारा याचिका पेश की गई है।
12 मार्च 1993 को मुंबई में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों में 257 लोग मारे गए थे।
महाराष्ट्र सरकार के मुख्यमंत्री कार्यालय स्थित सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि फांसी को लेकर वही होगा जो कोर्ट कहेगा। हम केवल कानूनी प्रक्रिया को अमल में लाने वाले हैं। इसमें सरकार का कोई पक्ष नहीं। ना ही हस्तक्षेप है।
इससे पहले राज्य सरकार के गृह विभाग ने फांसी का दिन करीब आते देख नागपुर जेल में इंतजाम दुरुस्त करने शुरू किए हैं। राज्य सरकार ने 22 लाख रुपये के खर्चे को मंजूरी देकर जेल प्रशासन को कहा है कि फांसी की जगह को लोहे की जाली से घेर दिया जाए। इस के अलावा फांसी के बाद पैदा होनेवाले किसी भी हालात पर काबू पाने के लिए राज्यभर में सतर्कता के आदेश दिए गए हैं।
राज्य सरकार का विधि एवं न्याय विभाग याकूब मेमन के मामले में महाराष्ट्र के राज्यपाल सी. विद्यासागर राव को सूचित कर चुका है कि याचिका में किसी नए तथ्य को जोड़ा नहीं गया है। बल्कि इससे पहले जिन तथ्यों के आधार पर याचिका को खारिज़ किया गया उन्हीं तथ्यों के आधार पर दुबारा याचिका पेश की गई है।
12 मार्च 1993 को मुंबई में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों में 257 लोग मारे गए थे।
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