प्रतीकात्मक फोटो.
मुंबई:
महाराष्ट्र सरकार ने बैलगाड़ी दौड़ आयोजन को कानूनन संरक्षण देने के लिए संशोधन बिल पेश किया. महाराष्ट्र विधानमंडल के दोनों सदनों ने इस संशोधन को एकमत से अनुमति दी. लेकिन बीजेपी के अंदर ही इसे लेकर विरोध सामने आया है. सत्ता पक्ष के एक विधायक ने इसे जानवरों पर अत्याचार बताया. हालांकि सदन में उनको अनसुना करके विधेयक को मंजूरी दे दी गई.
महाराष्ट्र के पशुसंवर्धन मंत्री महादेव जानकर ने एनडीटीवी इंडिया से कहा कि राज्य की सांस्कृतिक परंपराओं को बरकरार रखने और बैलों की 35 मूल प्रजातियों को बचाने के लिए यह बदलाव का प्रस्ताव लाया गया है. बैलों पर ज्यादती न हो इसलिए संशोधन में विशेष प्रावधान किया गया है. इसके उल्लंघन पर 5 लाख रुपये का जुर्माना या तीन साल की कैद की सजा दी जाएगी.
अपने कानून को और सक्षम बनाने के लिए राज्य सरकार ने दौड़ के आयोजन का अधिकार स्थानीय पुलिस से छीन लिया है. अब जिलाधिकारी की अनुमति से बैलगाड़ी दौड़ का आयोजन किया जा सकेगा.
लेकिन, जहा अलग-अलग दलों ने इस बिल के संशोधन का समर्थन किया, बीजेपी में ही इस संशोधन को लेकर विरोध सामने आया है. बीजेपी विधायक मंगलप्रभात लोढा ने विधानसभा में अपना विरोध व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि ऐसी दौड़ में जानवरों से अक्सर बुरा बर्ताव होता है. इसे देखते हुए सरकार कानून में बदलाव न करे.
हालांकि सदन ने इस विरोध को अनदेखा कर बहुमत के आधार पर कानून में संशोधन को मंजूरी दी.
महाराष्ट्र के पशुसंवर्धन मंत्री महादेव जानकर ने एनडीटीवी इंडिया से कहा कि राज्य की सांस्कृतिक परंपराओं को बरकरार रखने और बैलों की 35 मूल प्रजातियों को बचाने के लिए यह बदलाव का प्रस्ताव लाया गया है. बैलों पर ज्यादती न हो इसलिए संशोधन में विशेष प्रावधान किया गया है. इसके उल्लंघन पर 5 लाख रुपये का जुर्माना या तीन साल की कैद की सजा दी जाएगी.
अपने कानून को और सक्षम बनाने के लिए राज्य सरकार ने दौड़ के आयोजन का अधिकार स्थानीय पुलिस से छीन लिया है. अब जिलाधिकारी की अनुमति से बैलगाड़ी दौड़ का आयोजन किया जा सकेगा.
लेकिन, जहा अलग-अलग दलों ने इस बिल के संशोधन का समर्थन किया, बीजेपी में ही इस संशोधन को लेकर विरोध सामने आया है. बीजेपी विधायक मंगलप्रभात लोढा ने विधानसभा में अपना विरोध व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि ऐसी दौड़ में जानवरों से अक्सर बुरा बर्ताव होता है. इसे देखते हुए सरकार कानून में बदलाव न करे.
हालांकि सदन ने इस विरोध को अनदेखा कर बहुमत के आधार पर कानून में संशोधन को मंजूरी दी.
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