
डीएमके के सबसे कद्दावर नेता एम करुणानिधि का अंतिम संस्कार चेन्नई के मरीना बीच पर ही होगा
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करुणानिधि का अंतिम संस्कार चेन्नई के मरीना बीच पर ही होगा.
मद्रास हाइकोर्ट ने DMK की याचिका पर फैसला सुनाया है.
राज्य सरकार ने इसकी इजाज़त नहीं दी थी
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तमिलनाडु सरकार की दलील:-
- सरकार की ओर से वकील ने कहा कि डीएमके केस दायर कर पोलिटिकल एजेंडा के लक्ष्य को साध रही है. डीके चीफ पेरियार द्रविड़ आंदोलन के सबसे बड़े नेता थे, क्या उन्हें मरीना बीच पर दफनाया गया?
- मरीना बीच में शवों को दफनाने को लेकर लंबित मामलों का हवाला देते हुए ऑल इंडिया द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (अन्नाद्रमुक) की सरकार ने कहा था कि वह सरदार पटेल रोड पर गांधी मंडपम के पास दो एकड़ आवंटित करने के लिए तैयार हैं जहां राजभवन स्थित है.
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DMK की दलील:-- मद्रास हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान डीएमकी वकील ने कहा कि राज्य की 7 करोड़ आबादी में से 1 करोड़ डीएमके के फॉलोअर्स हैं. अगर करुणानिधि को मरीना बीच पर दफनाने की अनुमति नहीं मिलती है, तो वे सभी आहत हो जाएंगे.
- डीएमके वकील ने राज्य सरकार से कहा कि आपने राज्य शोक की घोषणा की है, तो फिर उन्हें दफनाने के लिए जमीन क्यों नहीं देते? केंद्र सरकार के प्रोटोकॉल के तहत कोई प्रतिबंध नहीं है कि मरीना बीच की जमीन पर पूर्व सीएम को दफनाने के लिए जमीन आवंटित की जाए.
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अन्य सभी याचिकाएं खारिज
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एच जी रमेश और न्यायमूर्ति एस एस सुंदर की प्रथम पीठ ने बुधवार सुबह दोबारा सुनवाई शुरू करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता ट्रैफिक रामस्वामी की याचिका समेत सभी याचिकाएं खारिज कर दीं. मंगलवार देर रात विशेष सुनवाई करते हुए अदालत ने मामले की सुनवाई सुबह आठ बजे तक के लिए स्थगित कर दी थी. तमिलनाडु सरकार ने लंबित मामलों का हवाला देते हुए मरीना बीच पर दफनाने का स्थान आवंटित करने में असमर्थता जताई जिसके कुछ घंटों बाद द्रमुक ने अदालत का दरवाजा खटखटाया. द्रमुक ने दलील दी कि बीच पर पूर्व मुख्यमंत्री सी एन अन्नादुरई के स्मारक के भीतर स्थान आवंटित करने में कोई कानूनी अड़चन नहीं है. मंगलवार रात सुनवाई के दौरान मरीना पर पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता को दफनाने तथा उनका स्मारक बनाने के खिलाफ अदालत पहुंचने वाले दो याचिकाकर्ताओं ने अपनी अर्जियां वापस ले ली.
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