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This Article is From Nov 11, 2021

भारत में निर्मित Anti-Covid Pills को जल्द मिल सकती है मंजूरी, घर पर ही ठीक हो सकेंगे मरीज

कोविड स्ट्रैटजी ग्रुप, CSIR के अध्यक्ष डॉ राम विश्वकर्मा ने दवा को "विज्ञान द्वारा वायरस के ताबूत में अंतिम कील" बताते हुए कहा कि मुझे लगता है कि मोलनुपिरवीर हमारे लिए जल्द ही उपलब्ध होगी.

उन्होंने कहा कि फाइजर की पैक्सलोविड में कुछ और समय लग सकता है

नई दिल्ली:

हल्के से मध्यम लक्षण वाले COVID-19 रोगियों के उपचार के लिए मर्क की एंटीवायरल गोली मोलनुपिरवीर (Merck's antiviral pill Molnupiravir) को आपातकालीन उपयोग की अनुमति कुछ ही दिनों में मिल सकती है. यह जानकारी कोविड स्ट्रैटजी ग्रुप, सीएसआईआर के अध्यक्ष डॉ राम विश्वकर्मा ने एनडीटीवी को दी. यह दवा उन लोगों के लिए है, जिन्हें गंभीर COVID-19 या अस्पताल में भर्ती होने का खतरा है. उन्होंने कहा कि एक और गोली फाइजर की पैक्सलोविड में कुछ और समय लग सकता है.

उन्होंने कहा कि दो दवाएं आने से काफी फर्क पड़ेगा और जैसा कि हम महामारी को खत्म करने की तरफ बढ़ रहे हैं, तो ऐसे में ये टीकाकरण से अधिक महत्वपूर्ण साबित होंगी.

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दवाओं को "विज्ञान द्वारा वायरस के ताबूत में अंतिम कील" बताते हुए उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि मोलनुपिरवीर हमारे लिए जल्द ही उपलब्ध होगी. पांच कंपनियां दवा निर्माता के साथ काम रही हैं. मुझे लगता है कि किसी भी दिन हमें इसके उपयोग की मंजूरी मिल जाएगी.

उन्होंने कहा कि ब्रिटेन में इसके उपयोग को अनुमति मिलने के बाद एसईसी इस पर निगरानी रखे हुए हैं. ऐसे में मुझे लगता है कि वे इसके लिए जल्द ही अनुमति प्राप्त कर लेंगे. इसलिए, यह कहना गलत नहीं होगा कि अगले एक महीने के भीतर मर्क की दवा के लिए अनुमति देने पर निर्णय हो सकता है. 

बता दें कि फाइजर ने बयान जारी करते हुए कहा है कि क्लिनिकल परीक्षण के अनुसार उनकी पैक्सलोविड गोली कमजोर मरीजों में अस्पताल में भर्ती होने या मृत्यु के जोखिम को 89 प्रतिशत तक कम करती है.

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मर्क ने पहले ही पांच कंपनियों से कॉन्ट्रैक्ट किया हुआ है. जिस तरह से मर्क ने कई कंपनियों को यह लाइसेंस दिया है, फाइजर भी ऐसा ही करेगा क्योंकि फाइजर दवा के वैश्विक उपयोग के लिए भारतीय क्षमता का इस्तेमाल करना चाहेगी. 

उन्होंने कहा कि इसकी लागत अमेरिका में मर्क वैक्सीन के लिए अनुमानित 700 डॉलर से बहुत कम होगी क्योंकि अमेरिका में यह कई अन्य कारणों से महंगी है, न कि निर्माण लागत की वजह से. मुझे लगता है कि जब भारत सरकार इस पर काम करेगी, तो वे इन कंपनियों से थोक में दवाई खरीदेगी और निश्चित रूप से उनके पास दो तरह की व अलग-अलग मूल्य प्रणाली होगी. शुरू में इसकी कीमत 2000 से 3000 हजार या 4000 रुपये पूरे उपचार का खर्च हो सकती है. हालांकि बाद में यह कीमत 500 से 600 रुपये या 1,000 रुपये तक आ जाएगी.

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