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This Article is From Dec 25, 2013

फर्जी मुठभेड़ : छह सैन्यकर्मियों के खिलाफ कोर्ट मार्शल शुरू करने का आदेश

फर्जी मुठभेड़ : छह सैन्यकर्मियों के खिलाफ कोर्ट मार्शल शुरू करने का आदेश
फाइल फोटो
नई दिल्ली:

सेना ने आज 2010 के माछिल फर्जी मुठभेड़ मामले में दो अधिकारियों समेत छह सैन्यकर्मियों के खिलाफ कोर्ट मार्शल की कार्यवाही शुरू करने का आदेश दिया। गौरतलब है कि माछिल में हुए मुठभेड़ के बाद कश्मीर घाटी में दो महीने का आंदोलन शुरू हो गया था।

सेना ने कहा कि आरोपी सैन्यकर्मियों के खिलाफ कोर्ट मार्शल की कार्यवाही शुरू कर दी गई है।

सूत्रों ने बताया कि कोर्ट मार्शल का सामना करने वाले सैन्यकर्मियों में कर्नल डीके पठानिया, चार राजपूताना रेजीमेंट के कमांडिंग ऑफिसर मेजर उपिंदर और रेजीमेंट के चार जवान शामिल हैं।

30 अप्रैल, 2011 को सेना ने नियंत्रण रेखा के पास माछिल सेक्टर में तीन घुसपैठियों को मारने का दावा किया था। सेना ने बाद में कहा कि वे पाकिस्तानी आतंकवादी थे, लेकिन बाद में उनकी पहचान बारामूला जिले के नदीहाल इलाके के रहने वाले मोहम्मद शाफी, शहजाद अहमद और रियाज अहमद के रूप में की गई। उन्हें कथित तौर पर सीमा इलाके में ले जाकर गोली मारी गई।

पीड़ितों के रिश्तेदारों की शिकायतों के बाद पुलिस ने प्रादेशिक सेना के एक जवान और दो अन्य को गिरफ्तार किया, लेकिन घटना की वजह से पूरी कश्मीर घाटी में अशांति फैल गई और बड़े पैमाने पर प्रदर्शन होने लगे, जिनमें 123 लोग मारे गए। उत्तरी कमान के एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि सेना ने 2010 के कथित माछिल फर्जी मुठभेड़ मामले में शामिल सैन्य इकाईयों के आरोपी सैन्यकर्मियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू करने का आदेश दिया।

उन्होंने कहा, गवाहों को समन देने, सबूत दर्ज करने और आरोपी सैन्यकर्मियों के दोष की स्थापना के लिए राज्य पुलिस और न्यायिक विभाग की मदद से विस्तृत एवं व्यापक जांच की गई। प्रवक्ता ने कहा, पूरे मामले और संबंधित सैन्यकर्मियों द्वारा किए गए अपराध की विस्तृत जांच के बाद सेना ने कोर्ट मार्शल की कार्यवाही शुरू करने का आदेश दिया ताकि त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के सेना के संकल्प को दिखाते हुए कानूनी प्रक्रिया को एक तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाया जाए। राज्य पुलिस ने जुलाई, 2010 में इस मामले में सेना के एक कर्नल, एक मेजर और सात अन्य के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था।

आरोप पत्र में राजपूताना रेजीमेंट के कर्नल पठानिया, मेजर उपिंदर एवं चार अन्य और प्रादेशिक सेना के एक जवान एवं दो अन्य के खिलाफ कथित तौर पर सोपोर से तीन युवकों को नौकरी दिलाने के बहाने अगवा करने और बाद में आतंकवादी बताकर कुपवाड़ा में मारने का आरोप लगाया गया। यह आरोप पत्र सोपोर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में दायर किया।

पुलिस ने मामले में कथित संलिप्तता के लिए प्रादेशिक सेना के जवान अब्बास शाह और बशारत लोन एवं अब्दुल हामिद भट्ट को गिरफ्तार किया था।

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