
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव के लिए घोषित किए प्रत्याशी
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गोरखपुर और फूलपुर के उपचुनाव में अलग-अलग प्रत्याशी
राजस्थान उपचुनाव में मिली जीत के बाद था अच्छा मौका
क्या 2019 के लोकसभा में एनडीए के खिलाफ बन पाएगा बड़ा मोर्चा
फूलपुर उपचुनाव: अमरनाथ यादव हो सकते हैं BJP का चेहरा, अखिलेश के वोटबैंक में सेंध लगना तय
इस बार क्या कहते हैं राज्यों के समीकरण, 2014 में तो 'मोदी लहर' ने झोली भरकर दी थी सीटें

लेकिन बात करें समाजवादी पार्टी की तो विधानसभा चुनाव से पहले बड़े जोरशोर से शुरू हुई राहुल गांधी और अखिलेश यादव की दोस्ती भी ज्यादा दिन न चल पाई. उत्तर प्रदेश में मिली करारी का ठीकरा सपा नेता कांग्रेस पर ही फोड़ने लगे थे. हालांकि राहुल और अखिलेश लगातार इस दोस्ती तोड़ने की बात से इनकार करते रहे. लेकिन अब जब उत्तर प्रदेश की गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव हो रहे हैं तो वहां भी दोनों पार्टियों ने अपने-अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गोरखपुर सीट के उपचुनाव के लिये प्रवीण निषाद और फूलपुर सीट से नागेन्द्र प्रताप सिंह पटेल की उम्मीदवारी पर भी मुहर लगा दी. तो दूसरी ओर कांग्रेस ने भी डॉक्टर सुरहिता करीम को गोरखपुर और मनीष मिश्रा को फूलपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव के लिए प्रत्याशी बनाया है.
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तो दूसरी ओर मायावती ने समाजवादी पार्टी के साथ कोई भी समझौता इनकार करने से इनकार दिया है. ऐसे में उसका किसी ऐसे मोर्चे में साथ जाना नामुमकिन है जिसमें समाजवादी पार्टी शामिल हो. कुल मिलाकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के सामने लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर बिलकुल वैसी ही चुनौती है जो 2004 में पूर्व कांग्रेस सोनिया गांधी के सामने थी लेकिन उन्होंने यूपीए को बनाने में कामयाबी पाई थी. राजस्थान में में लोकसभा की दो और विधानसभा की एक सीट जीतकर कांग्रेस ने बीजेपी को तगड़ा संदेश दिया है. उत्तर प्रदेश में भी उसके पास मौका था अगर वह सपा और बीएसपी को मनाने में कामयाब हो जाती तो उसके लिए पूरे देश में संदेश देने का पूरा मौका था. फिलहाल इन दो सीटों त्रिकोणीय लड़ाई भी दिलचस्प हो सकती है.
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