नई दिल्ली:
लोकपाल बिल पर मामला फंस गया है। सरकार और सिविल सोसाइटी के लोगों में कोई राय नहीं बन पा रही है इसलिए अब सवाल उठ रहे हैं कि 30 जून की लोकपाल बिल की डेडलाइन कहीं मिस न हो जाए। ड्राफ्टिंग कमेटी की पांचवी बैठक तक आकर सरकार की मंशा कुछ-कुछ साफ हो गई है। सरकार चाहती है कि पीएम को लोकपाल के दायरे में न लाया जाए। साथ ही ऊंची अदालतों को भी इससे राहत दी जाए। इतना ही नहीं सरकार यह भी चाहती है कि सांसदों की जांच कुछ खास तरीके से ही हो और न्यायपालिका, नेता और मंत्री खुद ही अपने ऊपर लगाम लगाएं। कुल मिलाकर लोकपाल बिल अभी तक जंतर-मंतर के मंच से उतरकर गोल-गोल चक्कर ही लगा रहा है।
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