ओडिशा (Odisha) में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (Biju Janata Dal) और विपक्षी भाजपा के बीच गठबंधन को लेकर हो रही बातचीत अटक गई है, क्योंकि सीट बंटवारे को लेकर सहमति नहीं बन सकी. दोनों दलों के नेताओं ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. राज्य में विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ होते हैं. भाजपा के सूत्रों ने दावा किया कि 147 सदस्यीय ओडिशा विधानसभा में बीजद ने 100 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की मांग की, जो भाजपा को स्वीकार्य नहीं है. निवर्तमान विधानसभा में क्षेत्रीय पार्टी के 114 सदस्य हैं और शुरुआत में उसने भाजपा के साथ बातचीत के दौरान 112 सीट की मांग की थी.
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ''बीजद लगभग 75 प्रतिशत विधानसभा सीट की मांग कर रही है, जो हमें स्वीकार नहीं है.''
उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति राज्य में भाजपा की संभावना पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी.
दूसरी ओर, भाजपा ने ओडिशा की 21 लोकसभा सीट में से 14 सीट मांगी थीं, जिसे बीजद ने खारिज कर दिया है.
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजद ने 12 सीट पर जीत हासिल की थी, जबकि भाजपा ने आठ सीट हासिल की थीं.
बीजद नेता ने कहा, “अगर हम 10 से कम लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ते हैं, तो यह हमारे लिए नुकसानदेह होगा.''
भाजपा नेताओं से बातचीत पर साधी चुप्पी
बीजद अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के करीबी सहयोगी - वी के पांडियन और प्रणब प्रकाश दास शुक्रवार दोपहर दिल्ली से लौट आए. वह बृहस्पतिवार शाम को भाजपा नेतृत्व से बातचीत करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी गए थे.
पांडियन और दास ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर बीजद मुख्यालय में आयोजित एक समारोह में भाग लिया, लेकिन बृहस्पतिवार रात को दिल्ली में भाजपा के शीर्ष नेताओं के साथ हुई चर्चा पर चुप्पी साधे रहे.
भाजपा की ओडिशा इकाई के नेता अपने प्रदेश अध्यक्ष मनमोहन सामल के नेतृत्व में दिल्ली में रुके हुए हैं और उन्होंने राज्य चुनाव प्रभारी और राज्यसभा सदस्य विजय पाल सिंह तोमर के आवास पर कई केंद्रीय नेताओं के साथ बैठकें कीं.
ओडिशा प्रदेश भाजपा के महासचिव पृथ्वीराज हरिचंदन ने कहा, ''आज दोपहर तक गठबंधन पर कोई फैसला नहीं लिया गया.''
11 सालों तक गठबंधन में रहे दोनों दल
बीजद और भाजपा 1998 से 2009 के बीच लगभग 11 वर्षों तक गठबंधन में रहे और उन्होंने तीन लोकसभा और दो विधानसभा चुनाव एक साथ लड़े.
इससे पहले, बीजद और भाजपा के बीच सीट बंटवारे के तहत बीजद ने 84 विधानसभा और 12 लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ा था, वहीं भाजपा ने 63 विधानसभा और नौ लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ा था.
दोनों दलों के गठबंधन ने 1998 में 21 में से 17 लोकसभा सीट पर जीत हासिल की थी. वहीं, 1999 के आम चुनाव में गठबंधन को 19 सीट पर जीत मिली थी, जो 2004 के लोकसभा चुनाव में घटकर 18 हो गई थी.
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