केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, उद्योगपति नवीन जिंदल और उत्तर प्रदेश के मंत्री जितिन प्रसाद उन दलबदलुओं में शामिल हैं, जिन्होंने लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की, जबकि अशोक तंवर, सीता सोरेन और परनीत कौर उन लोगों की सूची में शामिल हो गए, जो भाजपा में शामिल तो हुए, लेकिन चुनावी जीत नहीं हासिल कर सके. मध्य प्रदेश के गुना निर्वाचन क्षेत्र से उड्डयन मंत्री सिंधिया पांच लाख से अधिक मतों के अंतर से जीते.
सिंधिया ने 2019 में कांग्रेस के टिकट पर गुना से चुनाव लड़ा था, लेकिन भाजपा के कृष्णपाल सिंह से हार गए थे. यह निर्वाचन क्षेत्र सिंधिया परिवार का गढ़ रहा है, जिसका प्रतिनिधित्व उनकी दादी विजया राजे सिंधिया ने किया था, जिन्हें ग्वालियर की राजमाता के रूप में जाना जाता है. उन्होंने 1989 से 1998 तक भाजपा सदस्य के रूप में लगातार चार बार जीत हासिल की थी.
उन्होंने 2020 में कांग्रेस के खिलाफ विद्रोह कर दिया और मध्य प्रदेश में अपने 22 समर्थक विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए, जिसके परिणामस्वरूप भाजपा ने राज्य की सत्ता हासिल की.
उद्योगपति और दो बार सांसद रह चुके नवीन जिंदल इस साल मार्च में भाजपा में शामिल हुए थे और कांग्रेस से दो दशक पुराना नाता तोड़ लिया था. उन्होंने हरियाणा के कुरुक्षेत्र से 29,000 से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की.
उत्तर प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता स्वर्गीय जितेन्द्र प्रसाद के पुत्र जितिन प्रसाद तीन साल पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे. उन्हें मौजूदा सांसद वरुण गांधी के स्थान पर पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र से मैदान में उतारा गया और उन्होंने 1.64 लाख से अधिक मतों के अंतर से जीत हासिल की.
इस वर्ष की शुरुआत में भाजपा में शामिल हुए हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर सिरसा से कांग्रेस की कुमारी शैलजा से 2.68 लाख से अधिक मतों के अंतर से चुनाव हार गए. तंवर ने 2019 में कांग्रेस छोड़ दी थी और 2022 में आप में शामिल हो गए थे. इस बीच, पूर्व लोकसभा सांसद ने अपनी पार्टी बनाई और कुछ समय के लिए तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में भी शामिल हुए.
इस साल मार्च में भाजपा में शामिल हुई झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) की विधायक सीता सोरेन दुमका से 22,000 से अधिक मतों के अंतर से चुनाव हार गईं. वह झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भाभी हैं.
इसी साल भाजपा में शामिल हुईं पूर्व केंद्रीय मंत्री परनीत कौर पटियाला से चुनाव हार गईं. वह इस सीट पर पहले चार बार जीत चुकी थीं. कौर तीसरे स्थान पर रहीं और लगभग 16,000 वोटों के अंतर से हार गईं.
कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर 2019 में जीतने वाले और मार्च में भाजपा में शामिल हुए रवनीत बिट्टू अपनी लुधियाना सीट नहीं बचा पाए. वह कांग्रेस के अमरिंदर सिंह राजा से 20,000 से अधिक मतों से हार गए.
निवर्तमान लोकसभा में आम आदमी पार्टी के लोन सांसद रहे सुशील रिंकू भी चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गए. वह भी अपनी जालंधर सीट नहीं बचा पाए. उन्हें पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस के चरनजीत सिंह चन्नी ने हराया.
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