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This Article is From Apr 04, 2024

सपा ने क्यों बदले यूपी के 9 लोकसभा उम्मीदवार? मेरठ में 2 बार बदले प्रत्याशी

समाजवादी पार्टी ने सबसे पहले भानु प्रताप सिंह को मेरठ से चुनाव लड़ने के लिए उतारा था.  लेकिन पार्टी के स्थानीय कैडर के विरोध के कारण सपा को उनसे टिकट वापस लेना पड़ा. कुछ समय बाद उनका भी टिकट कट गया.

सपा ने क्यों बदले यूपी के 9 लोकसभा उम्मीदवार? मेरठ में 2 बार बदले प्रत्याशी
नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश में एनडीए और इंडिया गठबंधन में लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में अधिकतर जगहों पर सीधा मुकाबला होने की संभावना है. हालांकि बीएसपी के उम्मीदवार के मैदान में आ जाने के कारण कई जगहों पर मुकाबला त्रिकोणीय भी हो गया है. इस बीच समाजवादी पार्टी की तरफ से कई जगहों पर उम्मीदवारों के नाम में परिवर्तन किया जा रहा है. सबसे अजीबोगरीब मामला मेरठ में देखने को मिला जहां पार्टी की तरफ से दो बार अपने उम्मीदवार बदले गए. 

समाजवादी पार्टी ने सबसे पहले भानु प्रताप सिंह को मेरठ से चुनाव लड़ने के लिए उतारा था. लेकिन पार्टी के स्थानीय कैडर के विरोध के कारण सपा को उनसे टिकट वापस लेना पड़ा. इसके बाद मैदान में विधायक अतुल प्रधान आए, लेकिन उनका टिकट भी काट लिया गया और अंतिम टिकट सुनीता वर्मा को दे दिया गया. सुनीता वर्मा ने गुरुवार दोपहर को चुनाव के लिए नामांकन पत्र भरा. दिलचस्प बात यह है कि अतुल प्रधान ने वर्मा परिवार को पार्टी में लाने में अहम भूमिका निभाई. 

चुनाव से पहले कई राजनीतिक दल उम्मीदवारों को बदलते रहे हैं. सीट जीतने की संभावनाओं के आधार पर उम्मीदवारों को बदला जाता रहा है. मेरठ में उम्मीदवार को दूसरी बार बदले जाने को लेकर दलित मतों को कारण बताया जा रहा है. गौरतलब है कि मेरठ संसदीय क्षेत्र में दलित मतदाताओं की संख्या लगभग 4 लाख है. 

मेरठ ही नहीं कई अन्य जगहों पर भी विवाद
उम्मीदवारों को लेकर मेरठ के अलावा मुरादाबाद, रामपुर और बदांयू में भी सपा को मुश्किलों का सामना करना पड़ा है.  मुरादाबाद में समाजवादी पार्टी ने पहले एसटी हसन को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन बाद में रुचि वीरा का नाम सामने आया. स्थानीय कैडर द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया. दोनों के पर्चा दाखिल करने से असमंजस की स्थिति बनी रही.  आख़िरकार रुचि वीरा की उम्मीदवारी पक्की हो गई.

रामपुर में भी सपा में टकराव
रामपुर की सीट को लेकर भी समाजवादी पार्टी में टकराव देखने को मिला था. रामपुर में आज़म खान का गढ़ रहा था. जेल में होने के बाद भी आजम खान का इस क्षेत्र में व्यापक प्रभाव रहा है. उम्मीदवार को लेकर आजम खान और अखिलेश यादव के समर्थक में टकराव की नौबत आ गयी थी. अंततः अखिलेश यादव के उम्मीदवार, असीम रज़ा ने नामांकन दाखिल किया. लेकिन यह विवाद पर्चा दाखिल करने के अंतिम दिन तक चलता रहा. 

 बदांयू में भी विवाद
 बदांयू में भी टिकट का मामला समाजवादी पार्टी में अब तक सेट नहीं हो पाया है. धर्मेंद्र यादव को पहले टिकट मिलने की संभावना थी बाद में यह टिकट उनके चाचा शिवपाल यादव को मिल गयी.  लेकिन शिवपाल यादव अपनी जगह पर अपने बेटे आदित्य को चुनाव में उतारना चाहते हैं. यहां का विवाद अभी तक सुलझ नहीं पाया है. 

इनके अलावा भी अखिलेश यादव की पार्टी ने बागपत, बिजनौर, गौतम बौद्ध नगर, मिसरिख और संबल सीटों के साथ-साथ मध्य प्रदेश के खजुराहो के लिए भी अपने उम्मीदवार बदल दिए हैं. संबल में बदलाव - एक सीट जो एसपी ने 2019 में जीती थी - जरूरी हो गई थी क्योंकि सांसद शफीकुर रहमान बर्क का 93 वर्ष की आयु में निधन हो गया था. 

63 सीटों पर चुनाव लड़ रही है समाजवादी पार्टी
समाजवादी पार्टी यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से अधिकांश पर चुनाव लड़ रही है. उसे कांग्रेस के साथ समझौते के तहत 63 सीटें मिलीं है. कांग्रेस पार्टी 17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जिसमें उसके पारिवारिक गढ़ अमेठी और रायबरेली भी शामिल हैं. यूपी में 2024 के लोकसभा चुनाव के सात चरणों में से प्रत्येक चरण में मतदान होगा. 

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