घाटी में बीते एक साल में आतंकी संगठनों ने लगभग दोगुने नौजवानों की भर्ती की है
नई दिल्ली:
36 एसएलआर, 39 इंसास, 8 एक-47, 6 कार्बाइन. ये किसी पुलिस स्टेशन के शस्त्रागार की लिस्ट नहीं है बल्कि वो हथियार हैं जो बीते एक साल में कश्मीर में स्थानीय लोगों ने लूटे हैं. केन्द्रीय गृह मंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि घाटी में बीते एक साल में आतंकी संगठनों ने लगभग दुगने नौजवानों की भर्ती की है. हालांकि राज्य सरकार बार-बार नौजवानों से अमन की धारा में लौटने की अपील कर रही है.
जम्मू कश्मीर की मुख्य मंत्री महबूबा मुफ़्ती ने एनडीटीवी इंडिया ने कहा, 'ये रमज़ान का महीना है. उम्मीद की जानी चाहिए कि ये महीना ठीक से बीतेगा और साथ में घाटी में शांति बनी रहेगी.'
एनडीटीवी को मिली जानकारी के मुताबिक़ 2016 में 128 नौजवान अपने घरों से ग़ायब हुए. जांच से पता चला कि वो अलग-अलग तंजीमों से जुड़ गए हैं. इस साल पहले पांच महीनो में ही ये संख्या दुगनी हो गई है. स्थानीय भर्तियां बढ़ी हैं तो हथियारों की लूट भी. बीते एक साल में 90 बंदूकें यानी एक-47, इंसास, एसएलआर और एलएमजी लूटी जा चुकी हैं.
गृह मंत्रालय के अशोक प्रसाद ने कहा, "बॉर्डर पर सेना ने सख़्ती कर दी है इसलिए जो आतंकी आ भी रहे हैं वो भी हथियार नहीं ला पा रहे हैं. ऐसे में इन आतंकी गुटों के पास कोई विकल्प नहीं है इसके अलावा कि वो सुरक्षा बलों के हथियार लूटें.
वैसे सुरक्षा बलों का आंकलन ये भी है क्योंकि हाल में सुरक्षा बलों ने कई आतंकी मारे गिराए हैं, इसलिए स्थानीय भर्ती बढ़ा दी गई है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "हिजबुल ये दिखाना चाहता है कि अगर उनका एक साथी मारा जाएगा तो वो पांच और उसके बदले में भर्ती कर सकते हैं."
उनके मुताबिक़ साथ में अपने काडर का मनोबल बढ़ाए रखने के लिए सुरक्षा बलों को टार्गट कर रहे हैं. " इससे ये संदेश जाता है कि अगर सुरक्षा बल अपने हथियार नहीं बचा पाते तो वो लोगों की सुरक्षा कैसे करेंगे," उनका तर्क है.
उधर सेना ने भी अपने ऑपरेशन घाटी में तेज़ कर दिए हैं. घाटी में बढ़ती कट्टरता को लेकर कई देशों के नुमाइंदे वहां आ रहे हैं. घाटी में पीछले तीन दशकों से अशांति का दौर चल रहा है लेकिन पीछले एक दो सालों से धीरे-धीरे माहौल बदला है. जहां पहले आज़ादी के नारे सुनाई देते थे वहां अब धार्मिक कट्टरता बढ़ती हुई दिखाई पड़ रही है और ये ही ममंत्रालय की चिंता का कारण है.
जम्मू कश्मीर की मुख्य मंत्री महबूबा मुफ़्ती ने एनडीटीवी इंडिया ने कहा, 'ये रमज़ान का महीना है. उम्मीद की जानी चाहिए कि ये महीना ठीक से बीतेगा और साथ में घाटी में शांति बनी रहेगी.'
एनडीटीवी को मिली जानकारी के मुताबिक़ 2016 में 128 नौजवान अपने घरों से ग़ायब हुए. जांच से पता चला कि वो अलग-अलग तंजीमों से जुड़ गए हैं. इस साल पहले पांच महीनो में ही ये संख्या दुगनी हो गई है. स्थानीय भर्तियां बढ़ी हैं तो हथियारों की लूट भी. बीते एक साल में 90 बंदूकें यानी एक-47, इंसास, एसएलआर और एलएमजी लूटी जा चुकी हैं.
गृह मंत्रालय के अशोक प्रसाद ने कहा, "बॉर्डर पर सेना ने सख़्ती कर दी है इसलिए जो आतंकी आ भी रहे हैं वो भी हथियार नहीं ला पा रहे हैं. ऐसे में इन आतंकी गुटों के पास कोई विकल्प नहीं है इसके अलावा कि वो सुरक्षा बलों के हथियार लूटें.
वैसे सुरक्षा बलों का आंकलन ये भी है क्योंकि हाल में सुरक्षा बलों ने कई आतंकी मारे गिराए हैं, इसलिए स्थानीय भर्ती बढ़ा दी गई है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "हिजबुल ये दिखाना चाहता है कि अगर उनका एक साथी मारा जाएगा तो वो पांच और उसके बदले में भर्ती कर सकते हैं."
उनके मुताबिक़ साथ में अपने काडर का मनोबल बढ़ाए रखने के लिए सुरक्षा बलों को टार्गट कर रहे हैं. " इससे ये संदेश जाता है कि अगर सुरक्षा बल अपने हथियार नहीं बचा पाते तो वो लोगों की सुरक्षा कैसे करेंगे," उनका तर्क है.
उधर सेना ने भी अपने ऑपरेशन घाटी में तेज़ कर दिए हैं. घाटी में बढ़ती कट्टरता को लेकर कई देशों के नुमाइंदे वहां आ रहे हैं. घाटी में पीछले तीन दशकों से अशांति का दौर चल रहा है लेकिन पीछले एक दो सालों से धीरे-धीरे माहौल बदला है. जहां पहले आज़ादी के नारे सुनाई देते थे वहां अब धार्मिक कट्टरता बढ़ती हुई दिखाई पड़ रही है और ये ही ममंत्रालय की चिंता का कारण है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं