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This Article is From Nov 22, 2015

गुजरात में निकाय चुनाव : मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल के लिए बड़ी चुनौती

गुजरात में निकाय चुनाव : मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल के लिए बड़ी चुनौती
गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल (फाइल फोटो)
अहमदाबाद: गुजरात में स्थानीय निकाय चुनाव हो रहे हैं। रविवार को पहले चरण में 6 महानगरों अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा, राजकोट, जामनगर, भावनगर म्युनिसिपल कॉर्पोरेशनों के चुनाव के लिए वोट डाले गए। विधानसभा की 70 प्रतिशत वोटिंग के मुकाबले मतदान काफी कम रहा।

मोदी के गुजरात छोड़ने के बाद अहम चुनाव
यह चुनाव गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल के लिए  बड़ी चुनौती के तौर पर देखे जा रहे हैं। आखिर नरेन्द्र मोदी के गुजरात छोड़कर प्रधानमंत्री बनने के बाद यह पहले चुनाव हैं जो बड़े पैमाने पर हो रहे हैं। इसके अलावा आनंदीबेन पटेल को अपने ही समाज, पाटीदार समाज से सबसे बड़ी चुनौती मिल रही है। पटेल समुदाय पिछले चार माह से शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन कर रहा है। इसी वजह से चुनाव प्रचार के दौरान कई जगह भाजपा नेताओं को पटेलों के विरोध का सामना करना पड़ा। आम तौर पर पटेल समुदाय भाजपा का सबसे बड़ा समर्थक माना जाता है।

भाजपा के लिए कठिन दौर
गौरतलब है कि 2010 में सभी महानगरपालिकाओं और ग्रामीण इलाकों के चुनावों में भाजपा ने दो तिहाई बहुमत प्राप्त किया था। अब अगर सीटें घटती हैं तो साफ तौर पर इसे भाजपा की खिसक रही जमीन के तौर पर देखा जा सकता है। बिहार के चुनावों में हार के बाद अगर गुजरात, जो कि भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का गढ़ माना जाता है, में भी भाजपा का प्रदर्शन कमजोर रहता है तो गिरती लोकप्रियता भाजपा के लिए चिंता का विषय बन सकती है।

चुनाव में एक तरफ मतदान धीमा रहा और बड़े पैमाने पर लोगों ने वोटर लिस्टों में से अपने नाम हटाए जाने की फरियाद भी की। कांग्रेस ने इसे भाजपा की साजिश बताया।

चुनाव आयोग का कम असंतोषजनक
राजनीति अपनी जगह है लेकिन एक बात जरूर कही जा सकती है कि गुजरात चुनाव आयोग, चुनाव सही तरीके से कराने की जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभा पाया। इस पूरी प्रक्रिया में चुनाव आयोग पर पहले से ही सवाल उठते रहे हैं। पहले आयोग ने पटेलों के आंदोलन के चलते चुनाव टाले। जब हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग के चुनाव टालने के फैसले को असंवैधानिक बताया तो हड़बड़ी में पक्की वोटर लिस्ट के बिना ही वोटिंग करवा दी। इसकी वजह से कई लोग अपने वोट नहीं दे पाए।

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