नई दिल्ली:
देश में एक तरफ जहां बीजेपी और संघ की ओर से देश के अगले प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के तौर पर नरेंद्र मोदी के नाम को लेकर बहस छिड़ी हुई है, वहीं बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने परोक्ष रूप से इशारा किया है कि अगले लोकसभा चुनाव के बाद देश में सरकार भले ही किसी भी गठबंधन की बने, लेकिन प्रधानमंत्री कांग्रेस या बीजेपी से बनने की संभावना नहीं है। उन्होंने विश्लेषकों के हवाले से अगले आम चुनाव में कांग्रेस की सीटें सौ से कम रह जाने की भी संभावना जताई।
पिछले लोकसभा चुनाव में मुख्य विपक्षी दल के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार रहे आडवाणी ने अपने ब्लॉग में लिखा है, कांग्रेस या बीजेपी के समर्थन वाली सरकार का नेतृत्व किसी गैर-कांग्रेसी या गैर-बीजेपी प्रधानमंत्री द्वारा किया जाना संभव है। ऐसा अतीत में भी हुआ है।
उन्होंने अतीत में कांग्रेस के समर्थन वाली सरकारों में चौधरी चरण सिंह, चंद्रशेखर, एचडी देवगौड़ा और इंद्र कुमार गुजराल तथा बीजेपी समर्थित सरकार में वीपी सिंह के प्रधानमंत्री होने का उदाहरण पेश किया है।
आडवाणी ने इससे पहले यह भी लिखा, पिछले ढाई दशक में देश में राष्ट्रीय राजनीति का जो स्वरूप बना है, उसके मुताबिक नई दिल्ली में ऐसी सरकार बनना व्यावहारिक रूप से असंभव है, जिसे कांग्रेस या बीजेपी का समर्थन नहीं हो। इसलिए तीसरे मोर्चे की सरकार की संभावना खारिज की जा सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार तो कांग्रेस या बीजेपी के समर्थन वाली होगी, लेकिन प्रधानमंत्री गैर-कांग्रेसी या गैर-बीजेपी का हो सकता है।
आडवाणी ने यह राय ऐसे समय में दी है, जब देश में बीजेपी की ओर से नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने को लेकर बहस छिड़ी हुई है। एनडीए के कार्यकारी अध्यक्ष ने अपनी राय सरकार के दो वरिष्ठ कैबिनेट मंत्रियों के विचारों का हवाला देते हुए दी।
आडवाणी ने कहा कि हाल ही में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा निवर्तमान राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के सम्मान में दिए गए रात्रिभोज के दौरान दोनों मंत्रियों ने अनौपचारिक बातचीत में यह राय दी थी कि 16वें लोकसभा चुनाव में न तो कांग्रेस और न ही बीजेपी सरकार बनाने के लिहाज से स्पष्ट बहुमत हासिल करने के लिए गठबंधन बना पाएंगे और 2013 या 14, जब भी चुनाव होंगे, तीसरे मोर्चे की सरकार बन सकती है।
बीजेपी नेता के अनुसार उन्होंने सरकार के मंत्रियों की राय के विपरीत अपना विचार रखते हुए कहा, मैं आपकी चिंता समझता हूं, लेकिन मैं इससे इत्तेफाक नहीं रखता। मेरी राय अलग है। आडवाणी ने कांग्रेस और यूपीए सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि देश में जब भी कांग्रेस या बीजेपी का प्रधानमंत्री रहा है, तभी स्थिरता रही है, लेकिन दुर्भाग्य से 2004 के बाद से यूपीए-1 और यूपीए-2 दोनों सरकारों में शासन बहुत खराब रहा।
आडवाणी ने कहा, लोगों का आमतौर पर मानना है कि कांग्रेस पार्टी के लिए लोकसभा चुनाव परिणाम के लिहाज से सबसे बुरा समय 1977 में आपातकाल के बाद हुए चुनाव रहे। (लेकिन) आश्चर्य नहीं होगा अगर अगले लोकसभा चुनाव का परिणाम कांग्रेस पार्टी के लिए 1952 के बाद से इतिहास का सबसे बुरा नतीजा साबित हो।
पिछले लोकसभा चुनाव में मुख्य विपक्षी दल के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार रहे आडवाणी ने अपने ब्लॉग में लिखा है, कांग्रेस या बीजेपी के समर्थन वाली सरकार का नेतृत्व किसी गैर-कांग्रेसी या गैर-बीजेपी प्रधानमंत्री द्वारा किया जाना संभव है। ऐसा अतीत में भी हुआ है।
उन्होंने अतीत में कांग्रेस के समर्थन वाली सरकारों में चौधरी चरण सिंह, चंद्रशेखर, एचडी देवगौड़ा और इंद्र कुमार गुजराल तथा बीजेपी समर्थित सरकार में वीपी सिंह के प्रधानमंत्री होने का उदाहरण पेश किया है।
आडवाणी ने इससे पहले यह भी लिखा, पिछले ढाई दशक में देश में राष्ट्रीय राजनीति का जो स्वरूप बना है, उसके मुताबिक नई दिल्ली में ऐसी सरकार बनना व्यावहारिक रूप से असंभव है, जिसे कांग्रेस या बीजेपी का समर्थन नहीं हो। इसलिए तीसरे मोर्चे की सरकार की संभावना खारिज की जा सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार तो कांग्रेस या बीजेपी के समर्थन वाली होगी, लेकिन प्रधानमंत्री गैर-कांग्रेसी या गैर-बीजेपी का हो सकता है।
आडवाणी ने यह राय ऐसे समय में दी है, जब देश में बीजेपी की ओर से नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने को लेकर बहस छिड़ी हुई है। एनडीए के कार्यकारी अध्यक्ष ने अपनी राय सरकार के दो वरिष्ठ कैबिनेट मंत्रियों के विचारों का हवाला देते हुए दी।
आडवाणी ने कहा कि हाल ही में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा निवर्तमान राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के सम्मान में दिए गए रात्रिभोज के दौरान दोनों मंत्रियों ने अनौपचारिक बातचीत में यह राय दी थी कि 16वें लोकसभा चुनाव में न तो कांग्रेस और न ही बीजेपी सरकार बनाने के लिहाज से स्पष्ट बहुमत हासिल करने के लिए गठबंधन बना पाएंगे और 2013 या 14, जब भी चुनाव होंगे, तीसरे मोर्चे की सरकार बन सकती है।
बीजेपी नेता के अनुसार उन्होंने सरकार के मंत्रियों की राय के विपरीत अपना विचार रखते हुए कहा, मैं आपकी चिंता समझता हूं, लेकिन मैं इससे इत्तेफाक नहीं रखता। मेरी राय अलग है। आडवाणी ने कांग्रेस और यूपीए सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि देश में जब भी कांग्रेस या बीजेपी का प्रधानमंत्री रहा है, तभी स्थिरता रही है, लेकिन दुर्भाग्य से 2004 के बाद से यूपीए-1 और यूपीए-2 दोनों सरकारों में शासन बहुत खराब रहा।
आडवाणी ने कहा, लोगों का आमतौर पर मानना है कि कांग्रेस पार्टी के लिए लोकसभा चुनाव परिणाम के लिहाज से सबसे बुरा समय 1977 में आपातकाल के बाद हुए चुनाव रहे। (लेकिन) आश्चर्य नहीं होगा अगर अगले लोकसभा चुनाव का परिणाम कांग्रेस पार्टी के लिए 1952 के बाद से इतिहास का सबसे बुरा नतीजा साबित हो।
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