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This Article is From Jul 08, 2022

"पार्टी चिन्ह को छोड़कर पहले उद्धव जी को अपने कार्यकर्ताओं से बात करनी चाहिए", दीपक केसरकर बोले

चुनाव चिन्ह को लेकर केसरकर ने कहा कि पहले जो सरकार होती है वो लोगों का काम करने के लिए होती है. अभी कोई चुनाव नहीं है इसलिए चिन्ह के बारे में क्या बात करना.

नई दिल्ली:

महाराष्ट्र में नई सरकार बनने के बाद एक बार फिर उद्धव गुट और एकनाथ शिंदे गुट के बीच बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है. दोनों गुट शिवसेना के पार्टी चिन्ह पर अभी भी अपना अपना दावा कर रहे हैं. सीएम एकनाथ शिंदे गुट के नेता दीपक केसरकर ने राज्य की मौजूदा राजनीतिक स्थिति को लेकर NDTV से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि किसी ने तीर-धनुष का चिन्ह छीनने की कोशिश भी नहीं की है. उद्धव ठाकरे को तो पहले अपने कार्यकर्ताओं से बात करनी चाहिए. उन्हें चाहिए की वो पहले अपने कार्यकर्ताओं की सुनें. उद्धव के चुनाव कराने की मांग पर केसरकर ने कहा कि जो भी पार्टी अपना बहुमत खो देती है वो ऐसी मांगे करती ही रहती है. और अगर उनको टेस्ट करना है, तो पंद्रह लोग अयोग्य साबित हो रहे हैं या हो सकते हैं. वहां पर ये टेस्ट हो सकता है. हालांकि हम बिल्कुल भी नहीं चाहते की वो अयोग्य साबित हों. लेकिन जो भी कानून उसके हिसाब से तो वो अयोग्य साबित हो सकते हैं. दूसरा प्रावधान तो ये है कि अगर 15 दिन के अंदर वो माफी मांग लें और अपना स्टैंड वापस ले लें तो हमारे पार्टी लीडर स्पीकर को सूचित कर सकते हैं कि उन्हें अयोग्य ना साबित किया जाए. ये तो उनके ऊपर है कि उन्हें अयोग्य साबित होना या नहीं है. चुनाव चिन्ह को लेकर केसरकर ने कहा कि पहले जो सरकार होती है वो लोगों का काम करने के लिए होती है. अभी कोई चुनाव नहीं है इसलिए चिन्ह के बारे में क्या बात करना. इनको तो पहले विचारधारा पर बात करनी चाहिए. इन्हें बात करनी चाहिए कि वो जिस विचारधारा के साथ जनता के पास गए थे वो आज उसके साथ हैं या नहीं. वो तो पहले कर रहे थे कि उनके पास कई विधायक वापस जाएंगे. लेकिन ऐसा हुआ नहीं है. 

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बता दें कि इससे पहले महाराष्‍ट्र में एकनाथ शिंदे गुट के बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने के बाद पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने शुक्रवार को पहली प्रेस कॉन्‍फ्रेंस की, इसमें ठाकरे बेहद हमलावर मूड में नजर आए. उन्‍होंने कहा, "शिवसेना का चिह्न हमसे कोई नहीं छीन नहीं सकता.तीर और कमान' उनकी पार्टी का चुनाव चिह्न रहेगा." ठाकरे ने एकनाथ शिंदे से चुनौती भरे लहजे में कहा कि वे शिवसेना को चुनाव चिह्न छीनकर दिखाएं.‘उद्धव ठाकरे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट  का 11 जुलाई का फैसला सिर्फ शिवसेना का ही नहीं बल्कि भारतीय लोकतंत्र का भविष्य भी तय करेगा.उन्‍होंने राज्‍य में मध्‍यावधि चुनाव की मांग की.

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उद्धव ने इस अवसर पर कहा, "बहुत दिन बाद आप सभी का मातोश्री में स्वागत है. आप सभी को सम्मान से यहां बुलाया है और बिना किसी देरी के आप यहां  आए हैं और विश्वास है कि भविष्य में भी आप आएंगे. मैं आज आपसे दो तीन मुद्दों पर बात करने बुला रहा हूं.  दो दिन में आशादी एकादशी है जिसमें लाखों लोग पंढरपुर जाएंगे और माऊली का दर्शन लेंगे. लोगों ने मुझसे भी कहा कि आप आइए, मैं आऊंगा लेकिन अभी नहीं. लेकिन दो तीन मुद्दों पर आज बात करना है. आज मैंने किसी को यहां बुलाया नहीं, पिछले 15 दिनों से बहुत कार्यकर्ता आ रहे हैं, उनसे बात करते समय सभी के आंखों में आंसू है." शिवसेना प्रमुख का एक बात है जिसे याद रखना चाहिए, उनसे पूछा गया था कि आपको बुरा नहीं लग रहा, तब उन्होंने कहा कि मछली के आंखों के आंसू किसी को दिखाई नहीं देते हैं.

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उन्‍होंने कहा, "आपसे बात करने से पहले आज भी मेरी शक्ल पर मास्क था. कुछ दिन पहले मुझे कोविड था, नेगेटिव हुआ. तब डॉक्टर ने कहा कि पोस्ट कोविड परेशानी है क्या, मैंने कहा जो परेशानी मुझे है वो शायद किसी को नहीं है." शिवसेना के चिन्ह धनुष्य बाण को लेकर लेकर कहा, "मैंने सभी को कहा कि धनुष-बाण हमारी है वो हमसे कोई नहीं ले सकता. लेकिन लोग सिर्फ धनुष-बाण नही, किसके पास वो चिन्ह है वो देखते हैं. पिछले कुछ समय से क्या कुछ हुआ वो भी हमने हमारे कार्यकर्ताओं को हमने बताया. शिवसेना का धनुष्य बाण हमसे कोई नहीं ले सकता. ठाकरे ने कहा, "तस्वीरें आ रही हैं कि इतने पार्षद चले गए, लेकिन अब महानगरपालिका चल नहीं रहा है, यह सभी फिलहाल कार्यकर्ता हैं, पार्षद नहीं. दिन ब दिन कार्यकर्ता आ रहे हैं, उस दिन महिला कार्यकर्ता आए, उनकी आंखों में आंसू थे.  मुझे अभिमान है कि शिवसेना ने बिना कुछ देखे छोटे, सादे लोगों को हमने बड़ा किया है.जो लोग बड़े हुए, वो चले गए लेकिन जो सादे लोग हैं वो हमारे साथ ही हैं."


 

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