नई दिल्ली:
बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के आह्वान पर देशभर के वकीलों ने बुधवार को हड़ताल रखी, जिससे अदालतों का कामकाज प्रभावित हुआ। वकील गुरुवार को भी हड़ताल पर रहेंगे।
वकीलों का विरोध उच्च शिक्षा संस्थान विधेयक, 2010 के लिए नेशनल एक्रेडिटेशन रेग्यूलेटरी अथॉरिटी सहित चार प्रस्तावित विधेयकों को लेकर है। उनका आरोप है कि इससे देश में विदेशी विधि संस्थानों तथा विश्वविद्यालयों की स्थापना का मार्ग प्रशस्त होगा और बीसीआई की स्वायत्तता भी प्रभावित होगी।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में दिल्ली बार एसोसिएशन तथा यहां की जिला अदालतों के बार संघों की समन्वय समिति के अध्यक्ष आरएन वत्स ने बताया कि हड़ताल से दिल्ली की छह जिला अदालतों- पटियाला हाउस, तीस हजारी, रोहिणी, द्वारका, साकेत तथा कड़कड़डूमा की अदालतों में कामकाज प्रभावित हुआ है। वकील गुरुवार को भी काम नहीं करेंगे।
उत्तर प्रदेश में बीसीआई के आह्वान पर बुधवार को करीब 2.50 लाख वकीलों ने न्यायालयी कामकाज का बहिष्कार किया।
वकीलों ने सड़कों पर उतकर प्रस्तावित विधेयकों की प्रतियां जलाई और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के सदस्य उमेश नारायण शर्मा ने संवाददाताओं से कहा कि इस प्रस्तावित विधेयक से बार काउंसिल के अधिकारों में कटौती होगी। इसे कतई मंजूर नहीं किया जाएगा।
बिहार में करीब एक लाख वकीलों ने अदालती कामकाज को बाधित किया। पटना में वकीलों ने डाक बंगला चौराहे पर विधेयकों की प्रतियां जलाई और केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल का पुतला दहन किया। इसके बाद वकीलों ने मानव शृंखला बनाकर सड़क जाम किया। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधि एवं विधायी प्रकोष्ठ के वकीलों ने भी पटना उच्च न्यायालय के बाहर प्रदर्शन किया।
पटना उच्च न्यायालय के एडवोकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेंद्र चंद्र वर्मा ने कहा कि यदि सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी तो वे और बड़ा आंदोलन करेंगे।
पूर्वोत्तर के सभी आठ राज्यों में भी वकीलों ने हड़ताल रखी, जिससे निचली अदालतों तथा उच्च न्यायालयों में कामकाज बाधित हुआ। गुवाहाटी उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष पिजूश बिश्वास ने पूर्वोत्तर के राज्यों में हड़ताल को पूरी तरह सफल करार देते हुए अगरतला में संवाददाताओं से कहा, "विधेयकों से बीसीआई तथा इसके सदस्यों की स्वायत्तता प्रभावित होगी। यदि ये विधेयक संसद में पारित हो जाते हैं तो अन्य देशों को भारत में विधि कॉलेज खोलने, विदेशी सॉलीसीटर फर्म और वकीलों को यहां काम करने की अनुमति मिल जाएगी।"
बीसीआई के आह्वान पर महाराष्ट्र और गोवा के करीब 1.40 लाख वकीलों ने भी अदालती कामकाज का बहिष्कार किया।
महाराष्ट्र एवं गोवा बार काउंसिल के उपाध्यक्ष आशीष पी. देशमुख ने कहा कि हड़ताल को अच्छी सफलता मिल रही है।
वकीलों का विरोध उच्च शिक्षा संस्थान विधेयक, 2010 के लिए नेशनल एक्रेडिटेशन रेग्यूलेटरी अथॉरिटी सहित चार प्रस्तावित विधेयकों को लेकर है। उनका आरोप है कि इससे देश में विदेशी विधि संस्थानों तथा विश्वविद्यालयों की स्थापना का मार्ग प्रशस्त होगा और बीसीआई की स्वायत्तता भी प्रभावित होगी।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में दिल्ली बार एसोसिएशन तथा यहां की जिला अदालतों के बार संघों की समन्वय समिति के अध्यक्ष आरएन वत्स ने बताया कि हड़ताल से दिल्ली की छह जिला अदालतों- पटियाला हाउस, तीस हजारी, रोहिणी, द्वारका, साकेत तथा कड़कड़डूमा की अदालतों में कामकाज प्रभावित हुआ है। वकील गुरुवार को भी काम नहीं करेंगे।
उत्तर प्रदेश में बीसीआई के आह्वान पर बुधवार को करीब 2.50 लाख वकीलों ने न्यायालयी कामकाज का बहिष्कार किया।
वकीलों ने सड़कों पर उतकर प्रस्तावित विधेयकों की प्रतियां जलाई और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के सदस्य उमेश नारायण शर्मा ने संवाददाताओं से कहा कि इस प्रस्तावित विधेयक से बार काउंसिल के अधिकारों में कटौती होगी। इसे कतई मंजूर नहीं किया जाएगा।
बिहार में करीब एक लाख वकीलों ने अदालती कामकाज को बाधित किया। पटना में वकीलों ने डाक बंगला चौराहे पर विधेयकों की प्रतियां जलाई और केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल का पुतला दहन किया। इसके बाद वकीलों ने मानव शृंखला बनाकर सड़क जाम किया। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधि एवं विधायी प्रकोष्ठ के वकीलों ने भी पटना उच्च न्यायालय के बाहर प्रदर्शन किया।
पटना उच्च न्यायालय के एडवोकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेंद्र चंद्र वर्मा ने कहा कि यदि सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी तो वे और बड़ा आंदोलन करेंगे।
पूर्वोत्तर के सभी आठ राज्यों में भी वकीलों ने हड़ताल रखी, जिससे निचली अदालतों तथा उच्च न्यायालयों में कामकाज बाधित हुआ। गुवाहाटी उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष पिजूश बिश्वास ने पूर्वोत्तर के राज्यों में हड़ताल को पूरी तरह सफल करार देते हुए अगरतला में संवाददाताओं से कहा, "विधेयकों से बीसीआई तथा इसके सदस्यों की स्वायत्तता प्रभावित होगी। यदि ये विधेयक संसद में पारित हो जाते हैं तो अन्य देशों को भारत में विधि कॉलेज खोलने, विदेशी सॉलीसीटर फर्म और वकीलों को यहां काम करने की अनुमति मिल जाएगी।"
बीसीआई के आह्वान पर महाराष्ट्र और गोवा के करीब 1.40 लाख वकीलों ने भी अदालती कामकाज का बहिष्कार किया।
महाराष्ट्र एवं गोवा बार काउंसिल के उपाध्यक्ष आशीष पी. देशमुख ने कहा कि हड़ताल को अच्छी सफलता मिल रही है।
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