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बिहार में तीन महीने के लिए रोका गया भूमि सर्वेक्षण का काम, राज्य सरकार ने बताई ये बड़ी वजह

दिलीप जायसवाल ने कहा कि फ़िलहाल इसे तीन महीने के लिए स्थगित किया जाएगा जिससे सब लोग अपने कागज दुरुस्त कर सके और इस बीच वो जन प्रतिनिधियों और विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर इसकी पूरी समीक्षा करेंगे.

बिहार में तीन महीने के लिए रोका गया भूमि सर्वेक्षण का काम, राज्य सरकार ने बताई ये बड़ी वजह
पटना:

बिहार में जो भूमि सर्वेक्षण का काम चल रहा हैं उसके भविष्य के बारे में मतलब फ़िलहाल इसे तीन महीने के लिए स्थगित किया जाएगा इस पर राज्य सरकार अगले दो से तीन दिन में विधिवत घोषणा करेगी . ये घोषणा राज्य के भूमि सुधार मंत्री दिलीप जायसवाल ने आज सहरसा में की. राज्य के सत्तारूढ़ गठबंधन में इस सर्वेक्षण को लेके नेताओं को लग रहा हैं कि चुनावी वर्ष में इसे टाला नहीं गया तो इसका राजनीतिक ख़ामियाज़ा उठाना पड़ सकता हैं.

दिलीप जायसवाल ने कहा कि फ़िलहाल इसे तीन महीने के लिए स्थगित किया जाएगा जिससे सब लोग अपने कागज दुरुस्त कर सके और इस बीच वो जन प्रतिनिधियों और विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर इसकी पूरी समीक्षा करेंगे.

मुख्य बातें

  1. बिहार में जमीन सर्वेक्षण का काम 3 महीने के लिए स्थगित किया गया.
  2. 16 प्रकार की समस्याओं का करना पड़ रहा सामना.
  3. मंत्री दिलीप जायसवाल ने कहा- लोगों को कागजात सुधारने के लिए तीन महीने का समय
  4. सरकार ने अफवाहों के चलते लोगों को घबराने की आवश्यकता नहीं होने की दी सलाह

उन्होंने कहा, फिलहाल जनता को इसमें दिक्कत आ रही है. कागज खोजने में समय लग रहा है. इसमें एक चीज अच्छी बात है कि बाहर में रहने वालों के लिए ये बहुत अच्छी चीज होने वाली है.

लोगों को हो रही है कई तरह की परेशानी

कई लोगों को पुराने दस्‍तावेज नहीं मिल रहे हैं तो कई लोगों का कहना है कि बंटवारा मौखिक हुआ था. वहीं कई लोगों का कहना है कि जमीन के मामले को लेकर सालों से वह सरकारी कार्यालयों के चक्‍कर लगा रहे हैं तो यह काम इतना जल्‍दी कैसे हो सकेगा. कई लोगों का कहना है कि सरकार के इस सर्वे के लिए कर्मचारियों की कमी है. बता दें कि बिहार में जो खतियान काम में लाया जा रहा है, वह 1910 का है. वहीं कई जगहों पर 1970 और 1980 का खतियान इस्‍तेमाल किया जा रहा है. 

क्यों पड़ी जमीन सर्वे की जरूरत

बिहार में कई जगह पर अब भी जो खतियान इस्तेमाल में लाया जा रहा है, वो सन 1910 तक का बना हुआ है, जबकि कई जगह पर 1970 और 1980 का भी इस्तेमाल में लाया जा रहा है. जब खतियान पुराना हो जाता है तो उस जमीन के कई दावेदार हो जाते हैं. ये होता इसलिए है क्योंकि परिवार कई हिस्सों में बंट जाते हैं. अब उनके नाम से खतियान नहीं होता है तो उन्हें दिक्कत शुरू हो जाती है और जमीन को लेकर विवाद शुरू हो जाता है.

रिकॉर्ड्स ऑनलाइन उपलब्ध कराने की तैयारी 

बिहार सरकार जमीन को लेकर तमाम रिकॉर्ड्स अब ऑनलाइन उपलब्ध कराने की तैयारी में है. इस सर्वे से पहले जमीन के मौजूदा और वास्तविक मालिक की पहचान की जाएगी और उसके बाद उस जमीन से जुड़ी तमाम जानकारियों को बिहार सरकार की साइट पर अपडेट और अपलोड किया जाएगा. सर्वे के पूरा होने के बाद अब कोई भी अपने जमीन का रिकॉर्ड ऑनलाइन ही देख पाएगा.

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