
लद्दाख में पूर्ण राज्य के दर्जे और छठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार को लद्दाख के युवाओं पर बल प्रयोग करने से बचने की हिदायत दी. तीन बार जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे फारूक ने कहा कि वो जितना ज्यादा दमन के लिए बल का इस्तेमाल करेंगे, खतरा उतना ही बढ़ेगा. उन्होंने हिंसा के लिए केंद्र के अधूरे वादों को जिम्मेदार ठहराया.
'खोखले वादों से बढ़ रही अशांति'
जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के पिता फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि लद्दाख संवेदनशील इलाका है. चीन ने मैकमोहन रेखा को स्वीकार नहीं किया है. सरकार को लोगों का मुंह बंद कराने के बजाय असली समस्याओं का समाधान करना चाहिए. आर्टिकल 370 खत्म करने और जम्मू कश्मीर को दो हिस्सों में बांटने के बाद केंद्र ने जो खोखले वादे किए थे, उसकी वजह से लोगों में अशांति बढ़ रही है. केंद्र को लद्दाख के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए उनके साथ बातचीत करनी चाहिए.
क्या बाहरी ताकतें फैला रही गड़बड़ी?
क्या लद्दाख में कोई बाहरी ताकतें गड़बड़ी पैदा कर रही हैं, पूर्व मुख्यमंत्री ने इसे खारिज करते हुए कहा कि इसमें कोई बाहरी हाथ नहीं है. यह जनता की आवाज है. लद्दाख के लोग पिछले पांच वर्षों से छठी अनुसूची और राज्य के दर्जे के लिए शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन कर रहे हैं. केंद्र को लद्दाख की स्थिति से सबक सीखना चाहिए और जम्मू-कश्मीर के संबंध में अपने वादों को पूरा करना चाहिए.
फारूक बोले, चीन घात लगाए बैठा है
अब्दुल्ला ने कहा कि मैं सरकार से कहना चाहता हूं कि लद्दाख एक सीमावर्ती राज्य है. चीन घात लगाये बैठा है, उसने जमीन पर कब्जा कर लिया है. इसे जल्द सुलझाने का समय आ गया है. सरकार को बातचीत कर इसे सुलझाना चाहिए. सरकार के इस दावे पर कि चीन ने लद्दाख में कोई जमीन नहीं ली है, अब्दुल्ला ने कहा कि पूरी दुनिया जानती है कि उन्होंने कितनी जमीन ली है. हम अपनी जमीन पर गश्त भी नहीं कर सकते.
'सोनम वांगचुक को युवाओं ने दरकिनार किया'
सरकार द्वारा हिंसा के लिए एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक को दोषी ठहराए जाने के बारे में पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वांगचुक इसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं. उन्होंने (वांगचुक ने) कभी गांधीवादी रास्ता नहीं छोड़ा. युवाओं ने आज उन्हें दरकिनार कर दिया है. नेता अपनी मांगों के लिए लेह से दिल्ली तक पैदल चले. उन्होंने आंदोलन नहीं बल्कि गांधीवादी रास्ता अपनाया. लेकिन युवाओं को लगा कि उनके वादे खोखले थे. नतीजा यह हुआ कि वे इसे और बर्दाश्त नहीं कर सके.
'कांग्रेस 10 लोग जमा नहीं कर सकती'
लद्दाख हिंसा के लिए भाजपा द्वारा कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराए जाने पर अब्दुल्ला ने कहा कि कांग्रेस का यहां ज्यादा प्रभाव नहीं है. वह 10 लोगों को इकट्ठा नहीं कर सकती. यह लोगों के असंतोष का नतीजा है. क्या नेशनल कॉन्फ्रेंस लद्दाख में हिंसक आंदोलन का समर्थन करती है, इस पर फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि हमारी पार्टी ने कभी गांधीवादी रास्ता नहीं छोड़ा. हमने बलिदान दिये, लेकिन कभी हिंसा का रास्ता नहीं अपनाया. हालांकि युवा भविष्य में क्या करेंगे, मैं निश्चित रूप से नहीं कह सकता.
याद दिला दें कि लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) के आह्वान पर आयोजित बंद के दौरान बुधवार को हिंसक झड़पों में चार लोगों की मौत हो गई और कम से कम 80 लोग घायल हो गए. उपद्रवियों ने बीजेपी कार्यालय और हिल काउंसिल के मुख्यालय को भी आग के हवाले कर दिया था.
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