डॉ. जाकिर नाईक (फाइल फोटो)
मुंबई:
विवादों में घिरे इस्लामिक धर्मगुरु डॉ. जाकिर नाईक ने अपने भड़काऊ भाषणों से आतंकवादियों को प्रेरणा देने की बात का एक बार फिर से खंडन किया। जाकिर नाईक ने मझगांव में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेन्स में स्काइप के जरिये मीडिया को सम्बोधित कर अपनी सफाई दी।
मुंबई के मझगांव में बिना नाम वाला बैंक्वेट हॉल मीडिया से खचाखच भरा हुआ था। खुद डॉ जाकिर के पीस टीवी चैनल के आधा दर्जन कैमरे लगे थे। तकनीकी कारणों से प्रेस कॉन्फ्रेंस तय समय से तकरीबन डेढ़ घंटे बाद शुरू हुई लेकिन एक बार शुरू होने पर घंटों जारी रही।
मीडिया की तरफ से पहला सवाल फिदाईन हमले से जुड़ा था। सवाल था क्या डॉ. जाकिर फिदाईन हमले को जायज मानते हैं? डॉ. ज़ाकिर ने निर्दोष और मासूमों को मारने की तो मजम्मत की लेकिन देशहित में युद्ध के मैदान पर फिदाईन हमले को जायज बताया।
फिदाईन और आतंकी हमलों पर लंबी तकरीर देने वाले धर्मगुरु ने भारतीय मुसलमानों की शिक्षा और उनकी समस्याओं से जुड़े सवालों पर चुप्पी साध ली। सवाल को सन्दर्भ से हटकर बताया। जबकि सभी मुसलमानों को आतंकी बनना चाहिए और ओसामा बिन लादेन की निंदा नहीं करने के आरोपों पर मीडिया को ही कटघरे में खड़ा करते हुए उनके बयानों को आधा और गलत संदर्भ में दिखाए जाने का आरोप लगाया।
खुद को आतंक के खिलाफ दिखाने के लिए डॉक्टर ने आतंकी संगठन इस्लामकि स्टेट की ये कहकर निंदा की कि वो इस्लामिक नहीं एंटी इस्लामिक है। लेकिन भारत में जम्मू कश्मीर के आतंकियों पर गोलमोल जवाब दिया। यंहा तक कि 26/11 आतंकी हमले के मास्टर माइंड हाफिज सईद और हाल ही में मारे गये आतंकी बुरहान वानी का नाम भी सुना होने से मना कर दिया।
हाजी अली दरगाह में महिलाओं के प्रवेश पर भी डॉ. साहब बोलने से बचते रहे। जबकि अपने संगठन इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन और भड़काऊ भाषणों से जुड़े सवालों पर जमकर बोले। अभी तक किसी भी मामले में पुलिस, एटीएस या किसी भी जांच एजेंसी से पूछताछ की बात से इंकार किया। ये कहते हुए भारतीय संविधान में भरोसा जताया कि हमारा संविधान किसी भी मजहब से भेदभाव नहीं सिखाता।
तो फिर भारत आकर क्यों नहीं जांच में सहयोग देने और गिरफ्तारी से डरने के सवाल पर कहा कि वो एक एनआरआई हैं ज्यादातर बाहर ही रहते हैं और अभी सालभर में उनका भारत आने का कोई कार्यक्रम नहीं है।
ढाका आतंकी हमले के बाद से विवादों में घिरे डॉ. जाकिर पिछले 12 जुलाई को ही प्रेस कॉन्फ्रेंस लेकर सफाई देना चाहते थे। लेकिन तब उन्होंने मुंबई आना रद्द कर दिया था। बाद में उन्हें प्रेस कॉन्फ्रेन्स के लिए जगह ही नहीं मिल रही थी। आखिरकर इस छोटे से हॉल में स्काइप के जरिये प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई जिसमें कभी डॉक्टर जाकिर नाईक मीडिया को कोसते और कटघरे में खड़े करते रहे तो कभी मीडिया उनपर सवालों से भागने का आरोप लगाती रही।
डॉ जाकिर नाईक ने तक़रीबन 4 घंटे प्रेस कॉन्फ्रेंस लेकर सफाई तो दी लेकिन साफ कुछ नहीं हुआ क्योंकि डॉ. जाकिर का अंदाज है कि वो सवालों का सीधा जवाब देने की बजाय किन्तु परन्तु से जोड़ देते हैं। गुरुवार को भी वैसा ही हुआ।
मुंबई के मझगांव में बिना नाम वाला बैंक्वेट हॉल मीडिया से खचाखच भरा हुआ था। खुद डॉ जाकिर के पीस टीवी चैनल के आधा दर्जन कैमरे लगे थे। तकनीकी कारणों से प्रेस कॉन्फ्रेंस तय समय से तकरीबन डेढ़ घंटे बाद शुरू हुई लेकिन एक बार शुरू होने पर घंटों जारी रही।
मीडिया की तरफ से पहला सवाल फिदाईन हमले से जुड़ा था। सवाल था क्या डॉ. जाकिर फिदाईन हमले को जायज मानते हैं? डॉ. ज़ाकिर ने निर्दोष और मासूमों को मारने की तो मजम्मत की लेकिन देशहित में युद्ध के मैदान पर फिदाईन हमले को जायज बताया।
फिदाईन और आतंकी हमलों पर लंबी तकरीर देने वाले धर्मगुरु ने भारतीय मुसलमानों की शिक्षा और उनकी समस्याओं से जुड़े सवालों पर चुप्पी साध ली। सवाल को सन्दर्भ से हटकर बताया। जबकि सभी मुसलमानों को आतंकी बनना चाहिए और ओसामा बिन लादेन की निंदा नहीं करने के आरोपों पर मीडिया को ही कटघरे में खड़ा करते हुए उनके बयानों को आधा और गलत संदर्भ में दिखाए जाने का आरोप लगाया।
खुद को आतंक के खिलाफ दिखाने के लिए डॉक्टर ने आतंकी संगठन इस्लामकि स्टेट की ये कहकर निंदा की कि वो इस्लामिक नहीं एंटी इस्लामिक है। लेकिन भारत में जम्मू कश्मीर के आतंकियों पर गोलमोल जवाब दिया। यंहा तक कि 26/11 आतंकी हमले के मास्टर माइंड हाफिज सईद और हाल ही में मारे गये आतंकी बुरहान वानी का नाम भी सुना होने से मना कर दिया।
हाजी अली दरगाह में महिलाओं के प्रवेश पर भी डॉ. साहब बोलने से बचते रहे। जबकि अपने संगठन इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन और भड़काऊ भाषणों से जुड़े सवालों पर जमकर बोले। अभी तक किसी भी मामले में पुलिस, एटीएस या किसी भी जांच एजेंसी से पूछताछ की बात से इंकार किया। ये कहते हुए भारतीय संविधान में भरोसा जताया कि हमारा संविधान किसी भी मजहब से भेदभाव नहीं सिखाता।
तो फिर भारत आकर क्यों नहीं जांच में सहयोग देने और गिरफ्तारी से डरने के सवाल पर कहा कि वो एक एनआरआई हैं ज्यादातर बाहर ही रहते हैं और अभी सालभर में उनका भारत आने का कोई कार्यक्रम नहीं है।
ढाका आतंकी हमले के बाद से विवादों में घिरे डॉ. जाकिर पिछले 12 जुलाई को ही प्रेस कॉन्फ्रेंस लेकर सफाई देना चाहते थे। लेकिन तब उन्होंने मुंबई आना रद्द कर दिया था। बाद में उन्हें प्रेस कॉन्फ्रेन्स के लिए जगह ही नहीं मिल रही थी। आखिरकर इस छोटे से हॉल में स्काइप के जरिये प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई जिसमें कभी डॉक्टर जाकिर नाईक मीडिया को कोसते और कटघरे में खड़े करते रहे तो कभी मीडिया उनपर सवालों से भागने का आरोप लगाती रही।
डॉ जाकिर नाईक ने तक़रीबन 4 घंटे प्रेस कॉन्फ्रेंस लेकर सफाई तो दी लेकिन साफ कुछ नहीं हुआ क्योंकि डॉ. जाकिर का अंदाज है कि वो सवालों का सीधा जवाब देने की बजाय किन्तु परन्तु से जोड़ देते हैं। गुरुवार को भी वैसा ही हुआ।
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