दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
डीडीसीए विवाद में वित्त मंत्री अरुण जेटली ओर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की लड़ाई के बीच में अब प्रधानमंत्री कार्यालय भी फंस गया है। खुद केजरीवाल कह रहे हैं कि डीडीसीए की फाइल PMO पहुंच चुकी है, लेकिन गृह मंत्रालय का कहना है कि कोई भी फाइल PMO नहीं भेजी गई।
इससे पहले केजरीवाल सरकार की ओर से बनाए गए गोपाल सुब्रह्मण्यम जांच आयोग ने पीएमओ में बैठने वाले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को चिट्ठी लिखकर जांच के लिए सीबीआई और आईबी के वरिष्ठ अफसरों की मांग की। गृह मंत्रालय का कहना है कि केजरीवाल के बयान और आयोग की चिट्ठी का मकसद इस झगड़े में पीएमओ को घसीटना है।
गृह मंत्रालय के मुताबिक राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है। अगर अफसर चाहिए थे तो चिट्ठी गृह मंत्रालय या फिर कार्मिक मंत्रालय को लिखी जानी चाहिए थी। आईबी के अफसर ऐसे मामलों की जांच से नहीं जुड़ सकते, ज्यादा से ज्यादा वो अपनी जानकारियां साझा कर सकते हैं।
गृह मंत्रालय का कहना है कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा हासिल नहीं है, इसीलिए ये आयोग कानूनी वैधता नहीं रखता है। अगर ये आयोग कोर्ट की तरफ से बनाया गया होता तो सीबीआई के अफसर जांच से जुड़ सकते थे। गृह मंत्रालय का ये भी कहना है कि डीडीसीए कोई सरकारी संस्थान नहीं है, इसलिए उसकी जांच सिर्फ रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज ही कर सकती है। उधर, बीजेपी का कहना है कि जांच के मसले पर भी केजरीवाल सरकार राजनीति कर रही है।
इससे पहले केजरीवाल सरकार की ओर से बनाए गए गोपाल सुब्रह्मण्यम जांच आयोग ने पीएमओ में बैठने वाले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को चिट्ठी लिखकर जांच के लिए सीबीआई और आईबी के वरिष्ठ अफसरों की मांग की। गृह मंत्रालय का कहना है कि केजरीवाल के बयान और आयोग की चिट्ठी का मकसद इस झगड़े में पीएमओ को घसीटना है।
गृह मंत्रालय के मुताबिक राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है। अगर अफसर चाहिए थे तो चिट्ठी गृह मंत्रालय या फिर कार्मिक मंत्रालय को लिखी जानी चाहिए थी। आईबी के अफसर ऐसे मामलों की जांच से नहीं जुड़ सकते, ज्यादा से ज्यादा वो अपनी जानकारियां साझा कर सकते हैं।
गृह मंत्रालय का कहना है कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा हासिल नहीं है, इसीलिए ये आयोग कानूनी वैधता नहीं रखता है। अगर ये आयोग कोर्ट की तरफ से बनाया गया होता तो सीबीआई के अफसर जांच से जुड़ सकते थे। गृह मंत्रालय का ये भी कहना है कि डीडीसीए कोई सरकारी संस्थान नहीं है, इसलिए उसकी जांच सिर्फ रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज ही कर सकती है। उधर, बीजेपी का कहना है कि जांच के मसले पर भी केजरीवाल सरकार राजनीति कर रही है।
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