मुंबई:
मुंबई हमला मामले में सुनवाई के दौरान पुलिस की ओर से पेश होने वाले विशेष सरकारी वकील उज्ज्वल निकम ने कहा कि पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल कसाब को फांसी पर लटका कर 26 नवंबर 2008 को हुए हमले में जान गंवाने वाले सभी लोगों को श्रद्धांजलि दी गई है।
निकम ने कहा, यह देश के लिए जीत है। कसाब को फांसी पर लटका कर हमने उन सभी पुलिसकर्मियों और बेकसूर लोगों को श्रद्धांजलि दी है, जिन्होंने मुंबई हमलों में अपनी जान गंवाई थी। कसाब को सुबह पुणे की यरवडा जेल में फांसी पर लटका दिया गया। राष्ट्रपति ने 5 नवंबर को उसकी दया याचिका ठुकरा दी थी।
2008 में हुए हमले के तत्काल बाद कसाब को गिरफ्तार किया गया था और तब से ही वह ऑर्थर रोड जेल में बंद था। उसे निचली अदालत ने 6 मई 2010 को मुंबई हमलों के मामले का दोषी ठहराया और मौत की सजा सुनाई थी। बंबई उच्च न्यायालय ने 21 फरवरी 2011 को निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा था। इसके बाद उच्चतम न्यायालय ने इस साल 29 अगस्त को कसाब की सजा बरकरार रखी थी।
निकम ने कहा, कसाब को दोषी ठहराकर और मौत की सजा देकर हमने साबित कर दिया है कि पूरा षड्यंत्र किस तरह पाकिस्तान में रचा गया था। हमने एक उदाहरण पेश किया है कि भारत ऐसे हमलों को बर्दाश्त नहीं करेगा और आरोपियों को न्याय के दायरे में लाया जाएगा। मुंबई हमला मामले की सुनवाई के दौरान निकम निचली अदालत और उच्च न्यायालय में सरकारी वकील के तौर पर पेश हुए और उच्चतम न्यायालय में उन्होंने वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम की सहायता की थी।
कसाब तथा नौ अन्य पाकिस्तानी आतंकवादी कराची से समुद्र मार्ग से आए और 26 नवंबर 2006 को दक्षिण मुंबई पहुंचे। उन्होंने विभिन्न स्थानों पर अंधाधुंध गोलीबारी की जिसमें विदेशियों सहित 166 लोग मारे गए। सुरक्षाबलों की कार्रवाई में जहां नौ आतंकवादी मारे गए वहीं कसाब को जीवित पकड़ लिया गया था।
निकम ने कहा, यह देश के लिए जीत है। कसाब को फांसी पर लटका कर हमने उन सभी पुलिसकर्मियों और बेकसूर लोगों को श्रद्धांजलि दी है, जिन्होंने मुंबई हमलों में अपनी जान गंवाई थी। कसाब को सुबह पुणे की यरवडा जेल में फांसी पर लटका दिया गया। राष्ट्रपति ने 5 नवंबर को उसकी दया याचिका ठुकरा दी थी।
2008 में हुए हमले के तत्काल बाद कसाब को गिरफ्तार किया गया था और तब से ही वह ऑर्थर रोड जेल में बंद था। उसे निचली अदालत ने 6 मई 2010 को मुंबई हमलों के मामले का दोषी ठहराया और मौत की सजा सुनाई थी। बंबई उच्च न्यायालय ने 21 फरवरी 2011 को निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा था। इसके बाद उच्चतम न्यायालय ने इस साल 29 अगस्त को कसाब की सजा बरकरार रखी थी।
निकम ने कहा, कसाब को दोषी ठहराकर और मौत की सजा देकर हमने साबित कर दिया है कि पूरा षड्यंत्र किस तरह पाकिस्तान में रचा गया था। हमने एक उदाहरण पेश किया है कि भारत ऐसे हमलों को बर्दाश्त नहीं करेगा और आरोपियों को न्याय के दायरे में लाया जाएगा। मुंबई हमला मामले की सुनवाई के दौरान निकम निचली अदालत और उच्च न्यायालय में सरकारी वकील के तौर पर पेश हुए और उच्चतम न्यायालय में उन्होंने वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम की सहायता की थी।
कसाब तथा नौ अन्य पाकिस्तानी आतंकवादी कराची से समुद्र मार्ग से आए और 26 नवंबर 2006 को दक्षिण मुंबई पहुंचे। उन्होंने विभिन्न स्थानों पर अंधाधुंध गोलीबारी की जिसमें विदेशियों सहित 166 लोग मारे गए। सुरक्षाबलों की कार्रवाई में जहां नौ आतंकवादी मारे गए वहीं कसाब को जीवित पकड़ लिया गया था।
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