कानपुर:
पैसे लेकर अवैध रूप से गर्भ में पल रहे भ्रूण की जांच करने और बाद में उसका गर्भपात करने के आरोप में कानपुर पुलिस ने शहर के नामी प्राइवेट अस्पतालों, नर्सिंग होम और अल्ट्रासाउंड सेंटर पर छापेमारी की और पांच डॉक्टर, दो नर्स और एक वार्ड ब्वॉय को गिरफ्तार कर लिया।
कानपुर पुलिस ने यह कार्रवाई एक स्वयंसेवी संस्था द्वारा पुलिस की मदद से किए गए स्टिंग ऑपरेशन के बाद किया। इस स्टिंग ऑपरेशन के वीडियो में डॉक्टर दो हजार से 10 हजार रुपये तक मांग करते देखे गए।
अब कानपुर पुलिस इन डॉक्टरों के अस्पतालों के पंजीकरण रद्द कराने की प्रक्रिया शुरू कर रही है और इन चिकित्सकों के बारे में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को भी पत्र भेज रही है, ताकि इनका लाइसेंस निरस्त हो सके। इन अस्पतालों में शहर के नामी-गिरामी प्राइवेट अस्पताल भी शामिल हैं।
कानपुर पुलिस के एसएसपी यशस्वी यादव ने बताया कि शहर की एक एनजीओ ने इस बारे में जानकारी दी कि किस तरह से शहर के बड़े नामी प्राइवेट अस्पताल, नर्सिंग होम और अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर कन्या भ्रूण परीक्षण (फीमेल फेटिसाइड टेस्ट) होता है और उसके बाद गर्भ में अगर लड़की पल रही है, तो उसका अबॉर्शन कर दिया जाता है। इसके लिए अलग-अलग अस्पतालों के अलग-अलग रेट थे। कुछ छोटे अस्पताल 2000 रुपये में तैयार हो जाते थे, जबकि कुछ बड़े और नामी अस्पताल इसकी फीस 10 हजार रुपये या इससे भी अधिक लेते थे।
एसएसपी ने बताया कि इन सभी बड़े निजी अस्पतालों के खिलाफ इस स्टिंग ऑपरेशन की सीडी शहर के डीएम एमपी अग्रवाल को दिखाई गई। उन्होंने इस सीडी की जांच करवाई, उसके बाद ही इन अस्पतालों के डॉक्टरों को गिरफ्तार करने के आदेश दिए गए। उन्होंने कहा कि इस बात की भी जांच की जाएगी कि इन प्राइवेट अस्पतालों के इस कन्या भ्रूण परीक्षण में सरकारी स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी तो शामिल नहीं थे।
कानपुर पुलिस ने यह कार्रवाई एक स्वयंसेवी संस्था द्वारा पुलिस की मदद से किए गए स्टिंग ऑपरेशन के बाद किया। इस स्टिंग ऑपरेशन के वीडियो में डॉक्टर दो हजार से 10 हजार रुपये तक मांग करते देखे गए।
अब कानपुर पुलिस इन डॉक्टरों के अस्पतालों के पंजीकरण रद्द कराने की प्रक्रिया शुरू कर रही है और इन चिकित्सकों के बारे में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को भी पत्र भेज रही है, ताकि इनका लाइसेंस निरस्त हो सके। इन अस्पतालों में शहर के नामी-गिरामी प्राइवेट अस्पताल भी शामिल हैं।
कानपुर पुलिस के एसएसपी यशस्वी यादव ने बताया कि शहर की एक एनजीओ ने इस बारे में जानकारी दी कि किस तरह से शहर के बड़े नामी प्राइवेट अस्पताल, नर्सिंग होम और अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर कन्या भ्रूण परीक्षण (फीमेल फेटिसाइड टेस्ट) होता है और उसके बाद गर्भ में अगर लड़की पल रही है, तो उसका अबॉर्शन कर दिया जाता है। इसके लिए अलग-अलग अस्पतालों के अलग-अलग रेट थे। कुछ छोटे अस्पताल 2000 रुपये में तैयार हो जाते थे, जबकि कुछ बड़े और नामी अस्पताल इसकी फीस 10 हजार रुपये या इससे भी अधिक लेते थे।
एसएसपी ने बताया कि इन सभी बड़े निजी अस्पतालों के खिलाफ इस स्टिंग ऑपरेशन की सीडी शहर के डीएम एमपी अग्रवाल को दिखाई गई। उन्होंने इस सीडी की जांच करवाई, उसके बाद ही इन अस्पतालों के डॉक्टरों को गिरफ्तार करने के आदेश दिए गए। उन्होंने कहा कि इस बात की भी जांच की जाएगी कि इन प्राइवेट अस्पतालों के इस कन्या भ्रूण परीक्षण में सरकारी स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी तो शामिल नहीं थे।
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