प्राचीन काल के कवि देवरदासी मैया के जन्मदिन के मौके पर कर्नाटक विधानसभा के बैंक्वेट हॉल में एक कार्यक्रम चल रहा था। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के साथ-साथ कई वरिष्ठ नेता और मंत्री वहां मौजूद थे।
तभी कन्नड़ भाषा के जाने माने इतिहासकार चिदंनदा मूर्ति और उनके कुछ समर्थक इसका विरोध करने लगे, ये कहते हुए कि जेठदेवरदासी मैया न सिर्फ कथावाचक थे बल्कि देवरदासी से बड़े शिवभक्त थे।
ऐसे में जन्म शताबदी समारोह जेठदेवरदासी का मनाया जाना चाहिये। इससे आयोजक नाराज़ हो गए और दोनों ग्रुप आपस में भिड़ गए।
मामला बिगड़ता देख पुलिस ने तक़रीबन 81 वर्षीय चिदानंदा मूर्ति और उनके समर्थकों को हॉल से बाहर कर दिया। सवाल ये उठता है कि अगर साहित्य अकादमी अवार्ड से सम्मानित इतिहासकार और लेखक चिदानंदा मूर्ती को इस कार्येक्रम से ऐतराज था तो वो अपना विरोध दूसरे तरीक़ों से भी ज़ाहिर कर सकते थे या फिर अदालत का दरवाज़ा भी खटखटा सकते थे, लेकिन कार्यक्रम के बीच में इसका विरोध किसी को रास नहीं आया।
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