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This Article is From Nov 13, 2021

कंगना रनौत के विवादास्पद बयान पर बिहार के नेता सुशील मोदी और शिवानंद तिवारी में जुबानी जंग

सुशील मोदी ने एक और ट्वीट में राष्ट्रीय जनता दल से सलमान ख़ुर्शीद के किताब के बारे में भी सवाल दागा.इसके जवाब में शिवानंद तिवारी ने शनिवार को जारी एक बयान में सुशील मोदी से एक साथ कई सारे सवाल किए और उन्हें चुनौती दी कि किसी भी मुद्दे पर वो सार्वजनिक बहस के लिए उनके साथ तैयार हैं.

कंगना रनौत के विवादास्पद बयान पर बिहार के नेता सुशील मोदी और शिवानंद तिवारी में जुबानी जंग
Kangana Ranaut के बयान को लेकर मचा है सियासी घमासान
पटना:

बॉलीवुड फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत (Kangana Ranaut ) द्वारा देश की आजादी को लेकर दिए गए विवादास्पद बयान को लेकर राजनीतिक तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा है. बिहार में ही बीजेपी और राजद नेता के बीच जुबानी जंग छिड़ी हुई है.दरअसल शिवानंद तिवारी (Shivanand Tiwari) ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से व्यंग्य करते हुए कंगना के समर्थन में ट्वीट या बयान देने की अपील की थी. इसके बाद बिहार बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व उप मुख्य मंत्री सुशील मोदी (Sushil Modi) ने ट्वीट कर शिवानंद तिवारी से सवाल दागे और ये जुबानी जंग खत्म होने का नाम नहीं ले रही है.

सुशील मोदी ने एक और ट्वीट में राष्ट्रीय जनता दल से सलमान ख़ुर्शीद के किताब के बारे में भी सवाल दागा.इसके जवाब में शिवानंद तिवारी ने शनिवार को जारी एक बयान में सुशील मोदी से एक साथ कई सारे सवाल किए और उन्हें चुनौती दी कि किसी भी मुद्दे पर वो सार्वजनिक बहस के लिए उनके साथ तैयार हैं. शिवानंद ने कहा कि सुशील मोदी बहुत चतुराई के साथ कंगना रनौत के बयान का बचाव कर रहे हैं. जबकि कंगना का बयान न सिर्फ आजादी के लिये हमारे पुरखों के महान संघर्ष को अपमानित करता है बल्कि अनेकों कुर्बानी के बाद अंग्रेजों की गुलामी से मिली हमारी मुक्ति को भी जलील कर रहा है.

सुशील कंगना को एक साधारण अभिनेत्री का बयान बता कर उसको महत्वहीन साबित करने की नाजायज प्रयास कर रहे हैं. कंगना कोई साधारण अभिनेत्री नहीं हैं. फिल्म जगत की वह एकमात्र अभिनेत्री हैं जिनको भारत सरकार ने वाइ प्लस कैटेगरी की सुरक्षा प्रदान की है. उस बयान के 2-3 दिन पहले कंगना को नरेंद्र मोदी की सरकार ने पद्म सम्मान से उन्हें विभूषित किया था. एक राष्ट्रीय टीवी चैनल के कार्यक्रम में सम्मानित अतिथि के रूप में उन्होंने यह बयान दिया था.

शिवानंद ने कहा,   "सुशील मोदी पुराने नेता हैं. सरकार के कई पदों को सुशोभित कर चुके हैं लेकिन मुझे गंभीर संदेह है कि जिस तरह के कार्यक्रम में कंगना विशिष्ट अतिथि थीं उस तरह के कार्यक्रम में सुशील मोदी को न्योता भी मिलता होगा या नहीं."तिवारी ने कहा, मुझे नहीं मालूम है कि सुशील जी के पुरखों की आजादी की लड़ाई में क्या भूमिका थी.

लेकिन इतिहास गवाह है कि मेरे पिता स्वर्गीय रामानंद तिवारी आजादी के उस महान संघर्ष में अपनी जान हथेली पर लेकर कूद गये थे. जेल की सजा भोगी थी. इसलिए मुझे लगा कि कंगना अपने बयान से मेरे पिताजी के संघर्ष को भी अपमानित और जलील कर रही हैं. इसलिये मैं उस बयान का पुरजोर विरोध कर रहा हूँ.

बात बात में दूसरों से सवाल पूछने वाले सुशील मोदी बताएं कि क्या वह 15 अगस्त 1947 को मिली हमारी आजादी को कंगना जी की तरह ही भीख मानते हैं ! उनको यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वे कंगना की तरह नरेंद्र मोदी के सत्तारूढ़ होने के वर्ष 2014 को ही देश की आजादी का असली वर्ष मानते हैं. सुशील मोदी पहले इन सवालों पर अपनी स्थिति को स्पष्ट करें. बाक़ी सवालों पर उनके साथ सार्वजनिक रूप से चर्चा करने के लिए मैं तैयार हूं.

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