मार्कंडेय काटजू
नई दिल्ली:
उच्चतम न्यायालय में शुक्रवार को सबकी नजरें पूर्व न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू पर होंगी जिन्हें सौम्या बलात्कार मामले में शीर्ष अदालत के फैसले में उन "बुनियादी खामियों" को बताने के लिए व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए कहा गया है, जिसके बारे में उन्होंने दावा किया था.
काटजू ने गुरुवार को ट्वीट किया, "कल मैं दोपहर में उच्चतम न्यायालय में न्यायमूर्ति (रंजन) गोगोई के नेतृत्व वाली पीठ के समक्ष उनके अनुरोध पर पेश होऊंगा." उच्चतम न्यायालय ने गत 17 अक्टूबर को एक अभूतपूर्व आदेश में उन्हें पेश होकर अपने फेसबुक पोस्ट पर बहस करने के लिए कहा था. काटजू ने अपनी पोस्ट में सौम्या बलात्कार मामले में उस फैसले की
अलोचना की थी जिससे आरोपी फांसी के फंदे से बच गया था क्योंकि उसे हत्या के आरोप से बरी कर दिया गया था.
न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति यू यू ललित की एक पीठ ने न्यायमूर्ति काटजू को एक नोटिस जारी करके कहा था, "वह (न्यायमूर्ति काटजू) एक भद्रपुरुष है. हम उनसे निजी तौर पर आने और अपनी उस फेसबुक पोस्ट पर बहस करने का अनुरोध करते हैं जिसमें उन्होंने फैसले की आलोचना की थी.
उन्हें अदालत में आने दीजिए और हमारे फैसले की मूलभूत खामियों पर बहस करने दीजिए." विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा पहली बार हुआ है कि उच्चतम न्यायालय ने अपने किसी पूर्व न्यायाधीश को किसी मामले में निजी तौर पर पेश होने के लिए कहा है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
काटजू ने गुरुवार को ट्वीट किया, "कल मैं दोपहर में उच्चतम न्यायालय में न्यायमूर्ति (रंजन) गोगोई के नेतृत्व वाली पीठ के समक्ष उनके अनुरोध पर पेश होऊंगा." उच्चतम न्यायालय ने गत 17 अक्टूबर को एक अभूतपूर्व आदेश में उन्हें पेश होकर अपने फेसबुक पोस्ट पर बहस करने के लिए कहा था. काटजू ने अपनी पोस्ट में सौम्या बलात्कार मामले में उस फैसले की
अलोचना की थी जिससे आरोपी फांसी के फंदे से बच गया था क्योंकि उसे हत्या के आरोप से बरी कर दिया गया था.
न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति यू यू ललित की एक पीठ ने न्यायमूर्ति काटजू को एक नोटिस जारी करके कहा था, "वह (न्यायमूर्ति काटजू) एक भद्रपुरुष है. हम उनसे निजी तौर पर आने और अपनी उस फेसबुक पोस्ट पर बहस करने का अनुरोध करते हैं जिसमें उन्होंने फैसले की आलोचना की थी.
उन्हें अदालत में आने दीजिए और हमारे फैसले की मूलभूत खामियों पर बहस करने दीजिए." विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा पहली बार हुआ है कि उच्चतम न्यायालय ने अपने किसी पूर्व न्यायाधीश को किसी मामले में निजी तौर पर पेश होने के लिए कहा है.
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