
सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति काटजू ने वीरभद्र के रवैये को 'अलोकतांत्रिक' करार देते हुए कहा कि यह इसका ताजा उदाहरण है कि नेता उस तरह से व्यवहार नहीं कर रहे, जिसकी अपेक्षा उनसे लोकतंत्र में की जाती है।
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नई दिल्ली:
भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) मरक डेय काटजू ने शिमला में मीडियाकर्मियों का कैमरा तोड़ने की धमकी देने वाले हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष वीभद्र सिंह की आलोचना करते हुए बुधवार को कहा कि देश के कुछ नेताओं का रवैया मीडिया के प्रति असहिष्णु होता जा रहा है।
सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति काटजू ने वीरभद्र के रवैये को 'अलोकतांत्रिक' करार देते हुए कहा कि यह इसका ताजा उदाहरण है कि नेता उस तरह से व्यवहार नहीं कर रहे, जिसकी अपेक्षा उनसे लोकतंत्र में की जाती है।
काटजू ने एक बयान जारी कर कहा कि नेताओं को यह याद रखना चाहिए कि लोकतंत्र में लोगों को उनकी आलोचना करने और मीडिया को उनकी गतिविधियों के बारे में पड़ताल कर लोगों को बताने का अधिकार है।
उन्होंने कहा, "लोकतंत्र में लोगों की सत्ता सर्वोच्च है। नेता केवल नौकर हैं। चूंकि लोकतंत्र में जनता के हाथों में ताकत है इसलिए उन्हें यह जानने का अधिकार है कि उनके नौकर (नेता, न्यायाधीश, नौकरशाह, पुलिसकर्मी आदि) किस तरह काम कर रहे हैं और अक्सर मीडिया के जरिये उन्हें इसकी जानकारी मिलती है।
दरअसल, मीडिया लोगों को उनके नौकरों के बारे में सूचना देने वाले एजेंट की तरह काम करता है।" उन्होंने यह भी कहा कि नेताओं के इस तरह के व्यवहार के लिए लोकतंत्र में कोई स्थान नहीं है।
सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति काटजू ने वीरभद्र के रवैये को 'अलोकतांत्रिक' करार देते हुए कहा कि यह इसका ताजा उदाहरण है कि नेता उस तरह से व्यवहार नहीं कर रहे, जिसकी अपेक्षा उनसे लोकतंत्र में की जाती है।
काटजू ने एक बयान जारी कर कहा कि नेताओं को यह याद रखना चाहिए कि लोकतंत्र में लोगों को उनकी आलोचना करने और मीडिया को उनकी गतिविधियों के बारे में पड़ताल कर लोगों को बताने का अधिकार है।
उन्होंने कहा, "लोकतंत्र में लोगों की सत्ता सर्वोच्च है। नेता केवल नौकर हैं। चूंकि लोकतंत्र में जनता के हाथों में ताकत है इसलिए उन्हें यह जानने का अधिकार है कि उनके नौकर (नेता, न्यायाधीश, नौकरशाह, पुलिसकर्मी आदि) किस तरह काम कर रहे हैं और अक्सर मीडिया के जरिये उन्हें इसकी जानकारी मिलती है।
दरअसल, मीडिया लोगों को उनके नौकरों के बारे में सूचना देने वाले एजेंट की तरह काम करता है।" उन्होंने यह भी कहा कि नेताओं के इस तरह के व्यवहार के लिए लोकतंत्र में कोई स्थान नहीं है।
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