सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग विधेयक की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली दो याचिकाओं को सोमवार को 'अपरिपक्व' करार देते हुए खारिज कर दिया। यह विधेयक हाल ही में संसद से पारित हुआ है, जो उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति की मौजूदा कॉलेजियम प्रणाली का स्थान लेगा।
न्यायमूर्ति एआर दवे, न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर तथा न्यायमूर्ति एके सीकरी की पीठ ने याचिकाओं को अपरिपक्वता के आधार पर खारिज करते हुए हालांकि यह भी कहा कि संबंधित पक्ष इसी आधार पर उचित चरण में अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिए स्वतंत्र हैं।
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से वरिष्ठ वकील फली नरीमन ने दलील दी कि सरकार संविधान में संशोधन किए बगैर राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग विधेयक नहीं ला सकती। संविधान संशोधन की प्रक्रिया अभी जारी है और पूरी नहीं हुई है।
उन्होंने कहा कि जब तक कि संविधान कॉलेजियम प्रणाली के स्थान पर एक नया आयोग बनाने का समर्थन नहीं करता, इससे संबंधित विधेयक लाना और इसे पारित करना अवैधानिक है। यह विधेयक अपने मौजूदा स्वरूप में न्यायालय की स्वतंत्रता पर हमला है, जबकि यह संविधान की मौलिक संरचना है।
वहीं, महान्यायवादी मुकुल रोहतगी ने इन याचिकाओं को खारिज करने के पक्ष में दलील देते हुए कहा कि इन याचिकाओं की प्रकृति अपरिपक्व तथा अव्यावहारिक है। न्यायालय राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग विधेयक में हस्तक्षेप नहीं कर सकता और संविधान संशोधन अब भी विधायिका के दायरे में है।
उन्होंने कहा कि इस तरह की किसी भी याचिका को स्वीकार करने का अर्थ शक्ति पृथक्करण के सिद्धांत का उल्लंघन होगा, जो संविधान की अनिवार्य विशेषता है।
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