रांची:
झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के नेता हेमंत सोरेन ने शनिवार को झारखंड के नए मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। आदिवासी नेता और झारखंड मुक्ति मोर्चा प्रमुख शिबू सोरेन के पुत्र हेमंत सोरेन को राज्यपाल सैयद अहमद ने राजभवन परिसर में स्थित बिरसा मंडप में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई।
राज्य में कांग्रेस विधायक दल के नेता राजेंद्र प्रसाद सिंह और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) विधायक दल की नेता अन्नपूर्णा देवी ने भी मंत्रियों के तौर पर शपथ ली। पृथक झारखंड बनने के बाद 13 साल से भी कम समय में नौवें मंत्रिमंडल की अगुवाई कर रहे हेमंत पांचवें आदिवासी मुख्यमंत्री हैं।
झारखंड 15 नवंबर, 2000 को अस्तित्व में आया था और तब से इसकी कमान चार आदिवासी नेता- बाबूलाल मरांडी (एक बार), अर्जुन मुंडा (तीन बार), शिबू सोरेन (तीन बार) और मधु कोड़ा (एक बार) संभाल चुके हैं।
इससे पहले राजभवन को राज्य में केंद्रीय शासन हटाने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल की सिफारिश पर राष्ट्रपति की सहमति के बारे में आधिकारिक पत्र मिला। तत्पश्चात राज्यपाल ने सोरेन को शपथ ग्रहण समारोह के लिए शुक्रवार देर रात आमंत्रित किया। जेएमएम विधायक दल के नेता सोरेन ने कांग्रेस, आरजेडी, छोटे दलों और निर्दलीय विधायकों के साथ गठबंधन सरकार बनाने के लिए 9 जुलाई को दावा किया था।
उन्होंने 82-सदस्यीय विधानसभा में 43 विधायकों का समर्थन प्राप्त होने का दावा करते हुए राज्यपाल को इन विधायकों के नामों की सूची सौंपी थी। समझा जाता है कि सदन में विश्वास मत हासिल करने के बाद वह मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे। राज्य में छह माह पहले राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था, जिसकी अवधि 18 जुलाई को खत्म होनी थी।
जेएमएम ने अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में बीजेपी नीत सरकार से 8 जनवरी को समर्थन वापस ले लिया था, जिसके बाद 18 जनवरी को झारखंड में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था। प्रदेश में जेएमएम ने बीजेपी को 11 सितंबर, 2010 को समर्थन दिया था और उन दिनों राज्य में लगा राष्ट्रपति शासन इस समर्थन के बाद समाप्त हो गया था।
इससे पहले 24 मई, 2010 को शिबू सोरेन नीत गठबंधन से बीजेपी ने खुद को अलग कर दिया था, क्योंकि उस साल लोकसभा में एक प्रस्ताव के दौरान जेएमएम ने यूपीए के पक्ष में मतदान किया था। बीजेपी के शिबू सोरेन नीत गठबंधन से खुद को अलग करने के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। नवंबर-दिसंबर 2009 में झारखंड में संपन्न विधानसभा चुनावों में खंडित जनादेश मिलने के बाद यह तीसरी सरकार गठित हुई है।
राज्य में कांग्रेस विधायक दल के नेता राजेंद्र प्रसाद सिंह और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) विधायक दल की नेता अन्नपूर्णा देवी ने भी मंत्रियों के तौर पर शपथ ली। पृथक झारखंड बनने के बाद 13 साल से भी कम समय में नौवें मंत्रिमंडल की अगुवाई कर रहे हेमंत पांचवें आदिवासी मुख्यमंत्री हैं।
झारखंड 15 नवंबर, 2000 को अस्तित्व में आया था और तब से इसकी कमान चार आदिवासी नेता- बाबूलाल मरांडी (एक बार), अर्जुन मुंडा (तीन बार), शिबू सोरेन (तीन बार) और मधु कोड़ा (एक बार) संभाल चुके हैं।
इससे पहले राजभवन को राज्य में केंद्रीय शासन हटाने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल की सिफारिश पर राष्ट्रपति की सहमति के बारे में आधिकारिक पत्र मिला। तत्पश्चात राज्यपाल ने सोरेन को शपथ ग्रहण समारोह के लिए शुक्रवार देर रात आमंत्रित किया। जेएमएम विधायक दल के नेता सोरेन ने कांग्रेस, आरजेडी, छोटे दलों और निर्दलीय विधायकों के साथ गठबंधन सरकार बनाने के लिए 9 जुलाई को दावा किया था।
उन्होंने 82-सदस्यीय विधानसभा में 43 विधायकों का समर्थन प्राप्त होने का दावा करते हुए राज्यपाल को इन विधायकों के नामों की सूची सौंपी थी। समझा जाता है कि सदन में विश्वास मत हासिल करने के बाद वह मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे। राज्य में छह माह पहले राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था, जिसकी अवधि 18 जुलाई को खत्म होनी थी।
जेएमएम ने अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में बीजेपी नीत सरकार से 8 जनवरी को समर्थन वापस ले लिया था, जिसके बाद 18 जनवरी को झारखंड में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था। प्रदेश में जेएमएम ने बीजेपी को 11 सितंबर, 2010 को समर्थन दिया था और उन दिनों राज्य में लगा राष्ट्रपति शासन इस समर्थन के बाद समाप्त हो गया था।
इससे पहले 24 मई, 2010 को शिबू सोरेन नीत गठबंधन से बीजेपी ने खुद को अलग कर दिया था, क्योंकि उस साल लोकसभा में एक प्रस्ताव के दौरान जेएमएम ने यूपीए के पक्ष में मतदान किया था। बीजेपी के शिबू सोरेन नीत गठबंधन से खुद को अलग करने के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। नवंबर-दिसंबर 2009 में झारखंड में संपन्न विधानसभा चुनावों में खंडित जनादेश मिलने के बाद यह तीसरी सरकार गठित हुई है।
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